Gold Rates: सोने और चांदी की कीमतों में भारी गिरावट
Gold Rates: इस सप्ताह भारतीय बाजार में सोने और चांदी की कीमतों में बड़ी गिरावट देखी गई है। 24 कैरेट गोल्ड का दाम 640 रुपये घटकर 75,380 रुपये प्रति 10 ग्राम पर पहुंच गया है।
कल शाम सोने की कीमत 76,013 रुपये थी, यानी एक दिन में ही कीमत में गिरावट आई है। वहीं, चांदी की कीमत में भी भारी कमी आई है, जो 2,000 रुपये प्रति किलो घटकर 85,133 रुपये प्रति किलो हो गई है।
क्यों घट रहे हैं सोने और चांदी के दाम?
सोने और चांदी की कीमतों में गिरावट के प्रमुख कारण अमेरिकी केंद्रीय बैंक, फेडरल रिजर्व, द्वारा की गई ब्याज दर में कटौती का ऐलान है। इसके बाद से वैश्विक वित्तीय बाजारों में अस्थिरता बढ़ी है, जिससे डॉलर मजबूत हुआ है और सोने-चांदी जैसे कीमती धातुओं की कीमतों में गिरावट आई है।
फेडरल रिजर्व ने यह भी कहा कि भविष्य में महंगाई को नियंत्रित करने के लिए और दो बार ब्याज दरों में कटौती की जा सकती है। इस घोषणा ने बाजारों में अनिश्चितता पैदा की है, जिससे इन धातुओं की कीमतें कम हो रही हैं।
दो दिनों में गिरावट
बीते दो दिनों में सोने के दाम में करीब 2000 रुपये प्रति 10 ग्राम और चांदी के दाम में 4000 रुपये प्रति किलो की गिरावट आई है। MCX और बुलियन बाजार में भी इसी प्रकार की गिरावट देखी जा रही है।
क्या थे आज के सोने के दाम?
आज सुबह 995 शुद्धता वाले सोने की कीमत 75,244 रुपये प्रति 10 ग्राम थी, जबकि 916 (22 कैरेट) प्योरिटी वाले गोल्ड का दाम 69,201 रुपये प्रति 10 ग्राम था। 750 (18 कैरेट) और 585 (14 कैरेट) प्योरिटी वाले सोने के रेट क्रमशः 56,660 रुपये और 44,195 रुपये प्रति 10 ग्राम थे।
इस प्रकार, सोने और चांदी की कीमतों में गिरावट निवेशकों के लिए एक संकेत हो सकता है कि वे इस समय इन धातुओं में निवेश करने के बारे में विचार कर सकते हैं, खासकर यदि उन्हें कीमतों में और गिरावट का अनुमान हो।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कुवैत यात्रा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कुवैत यात्रा भारतीय विदेश नीति और मध्य पूर्व के देशों के साथ बढ़ते रिश्तों की एक महत्वपूर्ण कड़ी है।
इस यात्रा के दौरान भारतीय प्रधानमंत्री और कुवैत के अधिकारियों के बीच कई अहम समझौतों पर हस्ताक्षर होने की संभावना है, जो दोनों देशों के बीच व्यापार, सुरक्षा और अन्य क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ावा देंगे। यह यात्रा विशेष रूप से इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि 43 साल बाद कोई भारतीय प्रधानमंत्री कुवैत का दौरा कर रहा है, जिससे भारत और कुवैत के रिश्ते और भी मजबूत होंगे।
भारत और कुवैत के बीच ऐतिहासिक रिश्ते रहे हैं, और दोनों देशों के बीच कारोबारी और सांस्कृतिक संबंधों का एक लंबा इतिहास है। कुवैत में भारतीयों की बड़ी संख्या और भारत की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए कुवैत की अहम भूमिका ने भी इन रिश्तों को और गहरा किया है। इस लेख में हम सात महत्वपूर्ण कारणों पर चर्चा करेंगे, जिनसे यह स्पष्ट होता है कि अरब देशों, खासकर कुवैत, भारत के लिए क्यों महत्वपूर्ण बन गए हैं।
व्यावहारिक विदेश नीति
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने मध्य पूर्व देशों के साथ रिश्तों को प्राथमिकता दी है। मोदी ने 14 बार मध्य पूर्व का दौरा किया है, जो दर्शाता है कि भारत इस क्षेत्र के साथ अपने रिश्तों को किस कदर महत्व देता है।
मध्य पूर्व में प्रवासी भारतीयों की बड़ी आबादी
कुवैत में लगभग 10 लाख भारतीय रहते हैं, और मध्य पूर्व में भारतियों की बड़ी संख्या आर्थिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है। इन प्रवासी भारतीयों द्वारा भारत को भेजे गए पैसे भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं।
भारत की ईंधन ज़रूरतें
भारत अपनी ऊर्जा ज़रूरतों को पूरा करने के लिए अरब देशों पर निर्भर है, और कुवैत, भारत का छठा सबसे बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता है। कुवैत से भारत की तेल ज़रूरतों का लगभग 3% पूरा होता है, जिससे दोनों देशों के बीच ऊर्जा सहयोग की अहमियत बढ़ती है।
अरब देशों की आर्थिक ताक़त
मध्य पूर्व के देशों जैसे कुवैत, क़तर, और यूएई की वैश्विक अर्थव्यवस्था में अहम भूमिका है। भारत इन देशों से अपने कारोबार को बढ़ाने और आर्थिक सहयोग बढ़ाने की दिशा में कार्य कर रहा है।
इसराइल और अरब देशों के रिश्तों में नरमी
इसराइल और अरब देशों के रिश्तों में आई नरमी के चलते भारत ने एक संतुलित विदेश नीति अपनाई, जिसमें उसने इसराइल के साथ रिश्तों को मजबूत किया और अरब देशों के साथ भी सहयोग बढ़ाया।
सुरक्षा और सहयोग
भारत और मध्य पूर्व के देशों के बीच सुरक्षा सहयोग भी एक महत्वपूर्ण पहलू है, खासकर आतंकवाद और अन्य वैश्विक सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के संदर्भ में।
वैश्विक स्तर पर पाकिस्तान का कमज़ोर होना
पाकिस्तान की वैश्विक स्थिति में कमजोर होने के कारण, भारत और मध्य पूर्व के देशों के बीच रिश्तों में पाकिस्तान अब एक बड़ी अड़चन नहीं है, जिससे भारत को इन देशों से और अधिक सहयोग मिल रहा है।
इस प्रकार, कुवैत का दौरा और अन्य अरब देशों के साथ भारत के रिश्ते एक नई दिशा में आगे बढ़ रहे हैं, जो दोनों देशों के बीच व्यावसायिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक रिश्तों को और मजबूत करेगा।
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