US Military Aid to Taiwan – ताइवान को अमेरिकी सैन्य मदद पर चीन का कड़ा विरोध: ‘आग से खेल रहा अमेरिका‘
US military aid to Taiwan – अमेरिका द्वारा ताइवान को नई सैन्य मदद और हथियारों की बिक्री की मंजूरी के बाद चीन ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। चीन ने इसे ‘वन चाइना’ सिद्धांत का उल्लंघन करार देते हुए अमेरिका को चेतावनी दी है कि वह “आग से खेलना” बंद करे।
चीन की तीखी प्रतिक्रिया
चीन के विदेश मंत्रालय और ताइवान मामलों के कार्यालय ने इस कदम की निंदा करते हुए कहा कि यह ताइवान की स्वतंत्रता का समर्थन करने वाली ताकतों को गलत संदेश देता है।
चीनी स्टेट काउंसिल के प्रवक्ता ज़ू फेंगलियान ने कहा,
“ताइवान को हथियार देना और स्वतंत्रता के लिए अलगाववादी ताकतों को प्रोत्साहित करना ताइवान जलडमरूमध्य में शांति और स्थिरता के लिए गंभीर खतरा है।”
उन्होंने अमेरिका से तुरंत ताइवान को हथियार देना बंद करने और “वन चाइना” नीति का सम्मान करने की मांग की।
अमेरिका की मदद और चीन की ‘लाल रेखा‘
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने ताइवान को 57.13 करोड़ डॉलर की रक्षा सहायता और 29.5 करोड़ डॉलर के हथियारों की बिक्री को मंजूरी दी है।
चीन ने इसे अपनी “लाल रेखा” करार देते हुए कहा कि अमेरिका का यह कदम चीन-अमेरिका संबंधों को गंभीर नुकसान पहुंचाएगा।
चीन के रक्षा मंत्रालय ने भी इस पर नाराजगी जताते हुए कहा कि चीन अपनी राष्ट्रीय संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा के लिए हर संभव कदम उठाएगा।
ताइवान का नजरिया
ताइवान ने अमेरिकी मदद का स्वागत किया है। ताइवान के विदेश मंत्रालय ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर कहा,
“यह ताइवान की सुरक्षा को लेकर अमेरिकी सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।”
ताइवान लोकतांत्रिक तरीके से चलने वाला एक द्वीप है, जिसे चीन अपना हिस्सा मानता है। ताइवान सरकार ने चीन के इस दावे को बार-बार खारिज किया है और खुद को स्वतंत्र भू-राजनीतिक इकाई के रूप में मान्यता दी है।
क्या है अमेरिका का इरादा?
अमेरिका का कहना है कि ताइवान को हथियार और सैन्य मदद देना उसकी सुरक्षा सुनिश्चित करने और चीन के आक्रमण को रोकने के लिए जरूरी है।
1950 से अब तक ताइवान अमेरिका से सबसे अधिक हथियार खरीदने वाले देशों में चौथे स्थान पर है।
विशेषज्ञों का विश्लेषण
चीन-ताइवान मुद्दे पर नजर रखने वाले विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिका और चीन के बीच तनाव और बढ़ सकता है। अमेरिका का ताइवान को सैन्य सहायता देना बीजिंग को भड़काने वाला कदम हो सकता है, जिससे एशिया-प्रशांत क्षेत्र में भू-राजनीतिक अस्थिरता बढ़ने की आशंका है।
यह विवाद सिर्फ ताइवान और चीन का मामला नहीं है, बल्कि इसमें अमेरिका का हस्तक्षेप वैश्विक राजनीति के संतुलन को प्रभावित कर सकता है।
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