Story of Lohri

Story of Lohri – लोहड़ी की कहानी – दुल्ला भट्टी और सुंदरी-मुंदरी

Story of Lohri – लोहड़ी की कहानी – दुल्ला भट्टी और सुंदरी-मुंदरी

Story of Lohri – लोहड़ी पर्व, जिसे मुख्यतः पंजाब में मनाया जाता है, केवल एक कृषि आधारित उत्सव नहीं है, बल्कि इसके पीछे एक प्रेरक और साहसिक कहानी भी छिपी है। यह कहानी दुल्ला भट्टी नामक एक बहादुर मुग़ल विरोधी योद्धा से जुड़ी है, जिनकी वीरता और मानवता की सेवा को आज भी याद किया जाता है।

दुल्ला भट्टी का इतिहास: दुल्ला भट्टी एक पंजाबी योद्धा था, जो मुगलों के जुल्मों के खिलाफ खड़ा हुआ था। यह कहानी मुगलों के शासनकाल की है, जब एक ब्राह्मण की दो बेटियों, सुंदरी और मुंदरी, को एक स्थानीय मुग़ल शासक ने अपनी शादी के लिए जबरन पकड़ लिया था। यह शासक उन दोनों को अपनी पत्नी बनाने का इच्छुक था, लेकिन वे पहले से कहीं और सगाई कर चुकी थीं। उनके ससुराल वाले डर के कारण शादी के लिए तैयार नहीं थे।

दुल्ला भट्टी का साहस: इस कठिन समय में, दुल्ला भट्टी ने इन बेटियों को मुग़ल शासक से बचाया। उसने लड़कियों के परिवारवालों को समझाया और उन्हें शादी से मना लिया। फिर उसने जंगल में एक आग जलाकर सुंदरी और मुंदरी की शादी करवाई और खुद ही उनका कन्यादान किया। कहा जाता है कि दुल्ला ने इन दोनों को शगुन के रूप में शक्कर दी थी। इस साहसिक कार्य को लोहड़ी के रूप में मनाने की परंपरा बन गई।

Story of Lohri – लोहड़ी की कहानी

लोहड़ी का गीत: इस कहानी को हमेशा के लिए जीवित रखने के लिए लोहड़ी के दिन एक प्रसिद्ध गीत गाया जाता है:

सुंदर, मुंदरिये हो,

तेरा कौन विचारा हो,

दुल्ला भट्टी वाला हो,

दूल्ले धी (लड़की) व्याही हो,

सेर शक्कर पाई हो।

लोहड़ी और परंपराएँ: लोहड़ी का संबंध सिर्फ दुल्ला भट्टी की कहानी से नहीं है, बल्कि यह त्योहार पंजाब की कृषि परंपराओं से भी जुड़ा है। इस समय गेहूं और सरसों की फसलें पकती हैं और लोग अपने अच्छे स्वास्थ्य और समृद्धि की कामना करने के लिए लोहड़ी की आग में तिल डालते हैं। इस दिन, लोग एकजुट होकर गीत गाते, भांगड़ा और गिद्दा करते हैं, और एक-दूसरे को गुड़, मूंगफली और रेवड़ी बांटते हैं।

समाज में बदलाव: आजकल लोहड़ी का उत्सव थोड़ी सी बदल चुकी है, खासकर शहरी इलाकों में, जहां पारंपरिक गीतों और परंपराओं के बजाय डीजे और आधुनिक संगीत का चलन बढ़ गया है। फिर भी, लोहड़ी का मुख्य उद्देश्य भाईचारे, प्रेम और सुकून को बढ़ावा देना है।

लोहड़ी का पर्व अब लड़कों के जन्म पर विशेष रूप से मनाया जाता है, ताकि लड़कियों के जन्म पर भी समान सम्मान और खुशी मनाई जा सके। यह पर्व न केवल पुराने रीति-रिवाजों को जीवित रखता है, बल्कि नए संदेशों को भी फैलाता है जैसे कि लिंग समानता और समाज में भाईचारा।

उपसंहार: लोहड़ी केवल एक कृषि उत्सव नहीं है, बल्कि यह सत्य, साहस, और मानवता की जीत का प्रतीक है। दुल्ला भट्टी की वीरता की कहानी हमें यह सिखाती है कि सच्चाई और अच्छाई की हमेशा जीत होती है, और इस त्योहार के माध्यम से हम अपने रिश्तों में मिठास और सद्भावना का संदेश फैलाते हैं।

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  • vikas gupta

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