Hindenburg closed its Shop

Hindenburg closed its Shop – हिंडनबर्ग रिसर्च के बंद होने पर वकील जयअनंत देहाद्राई के बयान: साजिश और राजनीतिक खेल के आरोप

Hindenburg closed its Shop – हिंडनबर्ग रिसर्च के बंद होने पर वकील जयअनंत देहाद्राई के बयान: साजिश और राजनीतिक खेल के आरोप

Hindenburg Closing – हिंडनबर्ग रिसर्च के बंद होने की खबर ने वैश्विक और राष्ट्रीय स्तर पर बहस छेड़ दी है। सीनियर वकील जयअनंत देहाद्राई ने इस मामले पर अपनी राय व्यक्त की और इसे गहरी साजिश करार दिया। उनका दावा है कि हिंडनबर्ग का बंद होना केवल एक व्यावसायिक निर्णय नहीं है, बल्कि इसके पीछे कई गोपनीय राज़ छिपे हुए हैं।

सुनियोजित साजिश और ग्लोबल एंगल”

देहाद्राई के अनुसार, हिंडनबर्ग की रिपोर्टें एक सुनियोजित साजिश थीं, जिनमें ग्लोबल और नेशनल दोनों एंगल शामिल थे।

ग्लोबल एंगल:

कंपनी अमेरिका में लिमिटेड लाइबिलिटी कंपनी (LLC) के रूप में पंजीकृत थी।

देहाद्राई ने कहा कि यह रिपोर्ट्स केवल भारतीय कंपनियों को निशाना बनाने के लिए तैयार की गई थीं।

नेशनल एंगल:

हिंडनबर्ग की रिपोर्टों ने अदाणी ग्रुप जैसी प्रमुख भारतीय कंपनियों को नुकसान पहुंचाने का काम किया।

रिपोर्ट के माध्यम से भारतीय कंपनियों की छवि खराब करने की कोशिश की गई।

सत्ता परिवर्तन का असर”

देहाद्राई ने हिंडनबर्ग के बंद होने की टाइमिंग को अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप की वापसी से जोड़ा।

ट्रंप की संभावित जीत और उनकी टीम के सत्ता संभालने के संकेतों ने हिंडनबर्ग को बंद होने पर मजबूर कर दिया।

अमेरिकी सांसद लैंस गुडिन ने न्याय विभाग से अदाणी ग्रुप पर की गई जांच के आधार पर सवाल उठाए थे।

देहाद्राई ने आरोप लगाया कि अमेरिका में सत्ता परिवर्तन के साथ डीप स्टेट का प्रभाव खत्म होने लगा है।

जॉर्ज सोरोस और डीप स्टेट की भूमिका”

देहाद्राई ने दावा किया कि हिंडनबर्ग का संचालन जॉर्ज सोरोस और उनके जैसे व्यक्तियों के प्रभाव में हो रहा था।

उन्होंने कहा कि अमेरिकी संस्थानों में डीप स्टेट के जरिए राजनीतिक विरोधियों को निशाना बनाया जा रहा था।

ट्रंप की टीम ने संकेत दिए हैं कि डीप स्टेट के इन तत्वों को हटाने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।

हिंडनबर्ग की दुकान बंद होने के बावजूद प्लानिंग जारी”

देहाद्राई ने यह भी कहा कि हिंडनबर्ग ने अपने भविष्य के लिए रास्ते खुले रखे हैं।

कंपनी ने जल्दबाजी में अपनी दुकान बंद की है।

देहाद्राई ने इसे राजनीतिक दबाव और न्यायिक प्रक्रियाओं का परिणाम बताया।

उन्होंने यह भी कहा कि हिंडनबर्ग भविष्य में फिर से सक्रिय हो सकता है।

निष्कर्ष: क्या हिंडनबर्ग का बंद होना महज संयोग है?

देहाद्राई के बयान से यह स्पष्ट है कि हिंडनबर्ग रिसर्च का बंद होना सिर्फ एक व्यावसायिक निर्णय नहीं है, बल्कि इसके पीछे कई राजनीतिक और आर्थिक पहलू छिपे हैं।

अदाणी ग्रुप पर हमले और अमेरिकी सत्ता परिवर्तन को जोड़कर यह मामला और भी जटिल हो गया है।

भारत और अन्य देशों को इस तरह की रणनीतियों से सतर्क रहने की जरूरत है, जहां आर्थिक और राजनीतिक हित प्रभावित हो सकते हैं।

यह देखना दिलचस्प होगा कि हिंडनबर्ग का बंद होना वैश्विक राजनीति और व्यापारिक जगत पर क्या प्रभाव डालता है।

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