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]]>Early Morning School Delay – सुबह का समय सभी के लिए व्यस्त और तनावपूर्ण हो सकता है, खासकर तब जब बच्चों को स्कूल भेजने की जल्दी होती है। इस समय में बच्चों को तैयार करना चुनौतीपूर्ण बन जाता है, लेकिन कुछ आसान टिप्स अपनाकर इसे और अधिक व्यवस्थित और तनावमुक्त बनाया जा सकता है।
सुबह की दौड़-धूप से बचने के लिए रात को ही बच्चों के स्कूल बैग, किताबें, नोटबुक और यूनिफॉर्म तैयार रखें। इससे सुबह का समय बच जाएगा और बच्चे जल्दी तैयार हो पाएंगे।
बच्चों को एक ही समय पर उठाने की आदत डालें। इससे उनका शरीर सुबह उठने के लिए तैयार रहेगा। आप धीरे-धीरे उनके अलार्म का समय कम करके जल्दी उठने की आदत डाल सकते हैं।
बच्चों के लिए जल्दी तैयार होने वाला और पौष्टिक नाश्ता पहले से तैयार कर लें, जैसे ओट्स, दूध, फल, या सैंडविच। इससे न केवल वे समय पर नाश्ता कर पाएंगे, बल्कि उन्हें स्कूल के लिए तैयार होने का समय भी मिलेगा।
बच्चों के कपड़े रात को ही चुनकर रख लें ताकि सुबह बच्चों को यह सवाल न करना पड़े कि “क्या पहनना है?” इससे वे जल्दी तैयार हो जाएंगे और समय बच सकेगा।
बच्चों को उत्साहित और खुश रखने के लिए सुबह का माहौल पॉजिटिव बनाएं। आप उनके पसंदीदा गाने चला सकते हैं या उन्हें प्रेरित करने वाली बातें कह सकते हैं। इससे उनका मूड बेहतर होगा और वे खुशी-खुशी तैयार होंगे।
स्क्रीन टाइम को सीमित करें
सुबह के समय बच्चों को स्क्रीन टाइम से दूर रखें। इससे उनका ध्यान भटकने से बचता है और वे जल्दी तैयार होने पर ध्यान केंद्रित कर पाते हैं।
बच्चों को कुछ छोटी जिम्मेदारियां दें, जैसे अपने जूते पहनना या बैग में पानी की बोतल रखना। इससे उनका आत्मविश्वास बढ़ता है और वे जल्दी तैयार होने के लिए प्रेरित होते हैं।
जब बच्चे समय पर तैयार हो जाते हैं, तो उनकी तारीफ करें। पॉजिटिव रिस्पांस से बच्चे अच्छा महसूस करते हैं और भविष्य में भी जल्दी तैयार होने के लिए प्रेरित रहते हैं।
इन टिप्स को अपनाकर आप बच्चों को बिना किसी परेशानी के सुबह स्कूल के लिए तैयार कर सकते हैं और उनका दिन अच्छी शुरुआत के साथ शुरू होगा।
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]]>The post बच्चों को दब्बू बना सकता है जरूरत से ज्यादा प्यार, Plastic Wrap Parenting के हो सकते हैं कई नुकसान appeared first on Chandigarh News.
]]>आजकल बच्चों की परवरिश एक चुनौतीपूर्ण कार्य बन चुकी है। बदलते समय, लाइफस्टाइल, और समाजिक बदलावों के कारण पेरेंटिंग के तरीकों में भी बदलाव आ रहा है। इन दिनों एक खास पेरेंटिंग स्टाइल, Plastic Wrap Parenting, काफी लोकप्रिय हो रही है। लेकिन यह तरीका बच्चों के मानसिक और भावनात्मक विकास पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।
Plastic Wrap Parenting वह तरीका है जिसमें पेरेंट्स अपने बच्चों को हर तरह की मुश्किल से बचाने की कोशिश करते हैं। इसमें बच्चे को ओवरप्रोटेक्ट किया जाता है और पेरेंट्स उनकी हर छोटी-बड़ी जरूरत का ध्यान रखते हैं, ताकि उन्हें किसी भी प्रकार की परेशानी का सामना न करना पड़े। इसका उद्देश्य बच्चों को सुरक्षित और संरक्षित रखना होता है, लेकिन इसकी जड़ें भावनात्मक विकास में कमी ला सकती हैं।
ओवरप्रोटेक्टिव पेरेंट्स बच्चों को बाहरी दुनिया की चुनौतियों से बचाते हैं, जिससे उनके पर्सनेलिटी और आत्मनिर्भरता में कमी आती है। वे खुद से निर्णय लेने में सक्षम नहीं हो पाते।
इस तरह की पेरेंटिंग से पले-बढ़े बच्चे फैसला लेने की क्षमता में कमजोर हो जाते हैं। वे हर छोटी समस्या में अपने पेरेंट्स पर निर्भर रहते हैं और अपनी समस्याओं का समाधान खुद से ढूंढने में असमर्थ होते हैं।
ऐसे बच्चों को मुसीबतों से निपटने के लिए संघर्ष करना पड़ता है। उन्हें कभी भी विफलता का सामना नहीं करने दिया जाता, जिससे जब उन्हें असफलता मिलती है, तो वे उसे सही तरीके से स्वीकार नहीं कर पाते।
जब ये बच्चे बड़े होते हैं, तो वे अपने पार्टनर या समाज में भी निर्भर रहने की आदत डाल लेते हैं। इसके परिणामस्वरूप, उन्हें चिंता (एंग्जायटी) और मानसिक दबाव का सामना करना पड़ सकता है, खासकर जब उनकी उम्मीदें पूरी नहीं होतीं।
प्लास्टिक रैप पेरेंटिंग के कारण बच्चे सोशल और इमोशनल स्किल्स में कमजोर हो सकते हैं। वे नए लोगों के साथ बातचीत करने में संकोच कर सकते हैं और सामाजिक स्थिति में सहज महसूस नहीं करते।
बच्चे को उनके भावनाओं और समस्याओं के बारे में बात करने का अवसर दें, ताकि वे अपनी भावनाओं को बेहतर तरीके से व्यक्त कर सकें।
बच्चों को घर के कामों में शामिल करें। इससे उनके मोटर और सेंसरी स्किल्स में सुधार होगा और वे जिम्मेदारी का एहसास करेंगे।
बच्चों को जीवन की कठिनाइयों से न भागने दें। उन्हें थोड़ी बहुत परेशानी का सामना करने दें ताकि वे जीवन के विभिन्न पहलुओं को समझ सकें और उनका सामना कर सकें।
अगर आपको लगे कि आपके बच्चे को पेरेंटिंग से जुड़ी समस्याएं आ रही हैं, तो किसी एक्सपर्ट से सलाह लें। वे आपकी मदद कर सकते हैं और बच्चों को सही दिशा में मार्गदर्शन दे सकते हैं।
Plastic Wrap Parenting से बचने के लिए बच्चों को स्वावलंबी और आत्मनिर्भर बनाने की कोशिश करें। इससे न केवल उनका मानसिक विकास होगा, बल्कि वे जीवन की कठिनाइयों का सामना भी आत्मविश्वास से कर पाएंगे।
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]]>The post 10 Child Morning Habits Tips: बच्चों में डालें सुबह की ये 10 आदतें, बड़ा होकर बनेगा बेहतर इंसान appeared first on Chandigarh News.
]]>10 Child Morning Habits Tips: बच्चों का बचपन उनके भविष्य की नींव रखता है। माता-पिता का यह दायित्व होता है कि वे अपने बच्चों को अच्छे संस्कार और आदतें सिखाएं।
बचपन में सिखाई गई आदतें ताउम्र उनके साथ रहती हैं और उनके व्यक्तित्व को निखारती हैं। अगर बच्चे बचपन से ही कुछ खास आदतें अपनाते हैं, तो वे न केवल अच्छे इंसान बनते हैं, बल्कि प्रोफेशनल और पर्सनल ग्रोथ में भी आगे रहते हैं।
आइए जानते हैं, बच्चों में कौन-सी आदतें डालनी चाहिए, जो उन्हें बेहतर इंसान बनने में मदद करें।
उन्हें रोजमर्रा के काम समय पर पूरे करने की आदत डालें।
पढ़ाई, खेल, सोने और खाने का एक टाइम टेबल बनाएं।
बच्चों को बताएं कि समय की पाबंदी से सफलता मिलती है।
बच्चों को शारीरिक और मानसिक विकास के लिए आउटडोर एक्टिविटीज़ में शामिल करना चाहिए।
उन्हें योग, डांस, या एक्सरसाइज जैसी गतिविधियों में भाग लेने के लिए प्रेरित करें।
खेल-कूद से उनका स्वास्थ्य बेहतर रहता है और टीम वर्क की भावना भी विकसित होती है।
बच्चों को यह सिखाएं कि गलती करना गलत नहीं है, लेकिन उसे स्वीकार करना और सुधार करना जरूरी है।
किसी गलती पर बार-बार डांटने से बचें।
सहजता से उन्हें समझाएं कि गलती स्वीकार करना उनके आत्मविश्वास को बढ़ाएगा।
बड़ों का सम्मान करना अच्छे संस्कारों की पहचान है।
बच्चों को बुजुर्गों का आदर करना और उनकी मदद करना सिखाएं।
जब बच्चे किसी बुजुर्ग को देखें, तो उन्हें अभिवादन करना और उनके प्रति सहानुभूति दिखाना सिखाएं।
बच्चों को ‘धन्यवाद‘, ‘प्लीज‘, ‘सॉरी‘, और ‘एक्सक्यूज मी‘ जैसे शब्दों का महत्व समझाएं।
उन्हें सिखाएं कि इन शब्दों का सही समय और जगह पर इस्तेमाल करना कैसे विनम्रता को दर्शाता है।
यह आदत उन्हें सामाजिक रूप से लोकप्रिय बनाएगी।
अगर वे कोई गलत शब्द बोलते हैं, तो उन्हें शांति से समझाएं कि इससे उनकी छवि खराब हो सकती है।
यह आदत उन्हें बेहतर संवाद कौशल विकसित करने में मदद करेगी।
बच्चों को सिखाएं कि दूसरों के साथ अच्छा व्यवहार करना क्यों महत्वपूर्ण है।
उन्हें दूसरों की मदद करना, सहानुभूति दिखाना और उनकी भावनाओं का सम्मान करना सिखाएं।
बच्चों को बताएं कि किस जगह और किस गलती के बाद माफी मांगनी चाहिए।
यह आदत उन्हें रिश्तों को संभालने और बेहतर बनाने में मदद करेगी।
जैसे किसी के घर जाने पर दरवाजा नॉक करना या बेल बजाना।
जूते बाहर उतारना और घर में सफाई बनाए रखना।
गंदगी न फैलाना और दूसरों की चीजों का सम्मान करना।
पहनावे, भाषा, रंग, खानपान, या शारीरिक-मानसिक स्थिति को लेकर किसी पर टिप्पणी न करें।
यह आदत बच्चों को दूसरों के प्रति सहानुभूति और सम्मान सिखाती है।
बच्चों में अच्छी आदतें विकसित करने के लिए माता-पिता को स्वयं उनका पालन करना होगा। बच्चे वही करते हैं जो वे अपने माता-पिता को करते हुए देखते हैं।
बचपन में सिखाई गई आदतें बच्चों को बड़ा होकर एक बेहतर इंसान बनने में मदद करती हैं। माता-पिता का यह कर्तव्य है कि वे बच्चों को सही दिशा दिखाएं और उनके अच्छे भविष्य की नींव रखें। सकारात्मक आदतों के साथ बच्चों को एक ऐसा माहौल दें, जिसमें वे खुशी और आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ सकें।
Disclaimer: यह लेख केवल सामान्य जानकारी देने के उद्देश्य से लिखा गया है। अपने बच्चे के विकास से जुड़ी किसी भी समस्या के लिए विशेषज्ञ की सलाह लें।
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]]>The post Friends making tips – दोस्त बनाने में हिचकिचाता है आपका बच्चा? इन 6 तरीकों से करें उसकी मदद appeared first on Chandigarh News.
]]>Friends making tips – बचपन में दोस्त बनाना न केवल एक खूबसूरत अनुभव है, बल्कि यह बच्चों के मानसिक और भावनात्मक विकास के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण है। दोस्ती से बच्चों को खुशी, आत्मविश्वास, और सहारा मिलता है।
हालांकि, कई बच्चे नए दोस्त बनाने में हिचकिचाते हैं और अकेलापन महसूस करते हैं। अगर आपका लाड़ला भी ऐसा ही महसूस करता है, तो घबराने की जरूरत नहीं है। आप कुछ आसान और प्रभावी तरीकों से उसकी मदद कर सकते हैं।
दोस्ती करना एक कला है, जिसे बच्चे सीख सकते हैं।
बच्चों को दूसरों के साथ बातचीत करने और अपनी भावनाएं व्यक्त करने के लिए प्रेरित करें।
बच्चों के सकारात्मक व्यवहार की सराहना करना बेहद जरूरी है।
अपने बच्चे की तुलना कभी उसके दोस्तों या भाई-बहनों से न करें।
बच्चों को यह समझाएं कि दोस्ती कई तरह की हो सकती है।
बच्चों को यह सीखने दें कि हर दोस्त जरूरी नहीं कि बहुत करीब हो, लेकिन हर दोस्त से कुछ नया सीखा जा सकता है।
घर का माहौल बच्चों की दोस्ती को गहराई देने में मदद करता है।
बच्चों को दोस्त बनाना सिखाना एक प्रक्रिया है, जिसमें धैर्य और समय लगता है। दोस्ती न केवल बच्चों को खुशी देती है, बल्कि उनके व्यक्तित्व को भी निखारती है। अगर आपका बच्चा दोस्त बनाने में झिझक महसूस करता है, तो ऊपर दिए गए सुझाव अपनाकर आप उसकी मदद कर सकते हैं। यह न केवल उसे खुशहाल बनाएगा, बल्कि उसका आत्मविश्वास और सामाजिक कौशल भी बढ़ाएगा।
Disclaimer: यह लेख केवल सामान्य जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। अपने बच्चे की विशेष जरूरतों को समझने के लिए किसी विशेषज्ञ की सलाह लें।
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]]>The post Winter Parenting Tips: सर्दियों में बच्चों की मालिश से बचें सर्दी-खांसी से, अपनाएं ये आसान तरीके appeared first on Chandigarh News.
]]>Winter Parenting Tips: सर्दियों में बच्चों की देखभाल करना एक खास चुनौती हो सकती है, खासकर जब उनकी सेहत में थोड़ी सी भी लापरवाही का असर तुरंत दिख सकता है। यदि आपके घर में छोटे बच्चे हैं, तो सर्दियों के मौसम में उनकी मालिश करते वक्त कुछ खास बातों का ध्यान रखना जरूरी है। इन टिप्स को अपनाकर आप बच्चों को सर्दी-खांसी जैसी समस्याओं से बचा सकते हैं।
मसाज के दौरान बच्चों के कपड़े उतारने का आदत होती है, लेकिन सर्दी में यह सही नहीं है। जब आप बच्चे के गर्म कपड़े उतारते हैं, तो उनकी सेहत पर असर पड़ सकता है। इससे बचने के लिए, बच्चों को कपड़े पहनाकर ही मसाज करें। आप कपड़ों के अंदर हाथ डालकर आराम से मसाज कर सकते हैं, इससे बच्चे को गर्मी भी मिलती है और सेहत भी बनी रहती है।
बच्चों की मसाज के लिए ठंडा तेल बिल्कुल भी उपयोग न करें। तेल को गुनगुना करके इस्तेमाल करें, ताकि बच्चे को ठंड का एहसास न हो और मसाज से उन्हें आराम मिले। गुनगुने तेल से मसाज करने से बच्चे की त्वचा भी सॉफ्ट और मुलायम रहती है।
मसाज से पहले अपने हाथों को अच्छी तरह से गर्म कर लें। ठंडे हाथों से बच्चे को छूने से बच्चे को असहज महसूस हो सकता है। इसके अलावा, गर्म हाथों से मसाज करने से बच्चे को ठंड का एहसास नहीं होगा और वह आराम से सो सकता है।
बच्चे की मालिश के दौरान प्लास्टिक या कॉटन की चादर का इस्तेमाल न करें, क्योंकि इससे बच्चे को ठंड लग सकती है। बेहतर होगा कि आप बच्चे को वूलेन चादर पर रखें। वूल से बच्चे को गर्मी मिलती है और उनकी सेहत भी सही रहती है।
मसाज करने से पहले कमरे का तापमान ठीक से सेट कर लें। कमरे में हल्का गर्माहट होने से बच्चे को आराम मिलेगा। खिड़की और दरवाजे बंद करके, हीटर या ब्लोअर का इस्तेमाल करें ताकि कमरे का तापमान सही रहे।
सर्दियों में बच्चों का विशेष ध्यान रखना जरूरी है, खासकर उनकी मसाज के दौरान। इन टिप्स को अपनाकर आप अपने बच्चे को सर्दी-खांसी जैसी समस्याओं से बचा सकते हैं और उनका स्वास्थ्य ठीक रख सकते हैं। ध्यान रखें, यह छोटी-छोटी बातें आपके बच्चे की सेहत के लिए बहुत महत्वपूर्ण हो सकती हैं।
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]]>The post Top 5 Child Mental Health Tips – बच्चों से भूलकर भी मत कहे यह बातें नहीं तो पड़ेगा दिमाग पे बुरा असर appeared first on Chandigarh News.
]]>Top 5 Child Mental Health Tips – दुनिया में ऐसा कोई परेत्न्स नहीं ओ अपने बच्चे को खुशाल देखना चाहते हो, लेकिन उनका जीवन ख़ुशी से भरने के लिए माता-पिता का व्यवहार उनके जीवन पर बहुत असर डालता है. कई बार जाने अनजाने में कही कोई बात बच्चे के दिमाग में ऐसी छप जाती है के वह उनके जीवन पर काफी बुरा प्रभाव डाल देती है, ऐसे में आपको बच्चो से बात हमेशा सोच समझकर करनी चाहिए, क्योंकि जो उसको सिखायेंगे वही वह सीखेगा.
आज हम आपको बताएँगे ऐसी Top 5 Child Mental Health Tips जो आपको बच्चो से करने से बचना चाहिए, नहीं तो उनका जीवन ख़ुशी की जगह दुःख से भी भर सकता है.
बच्चो को अपने से बढ़े और बुजुर्ग लोगो का आदर करना सिखाये, उन्हें सिखाये के उनसे कैसे बात करे और अगर वो कोई बात कह भी दे तो उसको कैसे इगनोर करे. आपको खुद भी बच्चो के सामने ऐसे एक्साम्प्ले सेट करने है के वह खुद ही बढ़ो का आदर करे और उनको माँ-सामान दे.
बच्चो के मन में बहुत सवाल होते है, और वह आपसे कभी भी कोई भी सवाल कर सकते है. ऐसे में हमेशा उनकी बात को ध्यान से सुने और समझे और उनके सवालों का जवाब दे. उनको बीच में मत टोके और ना ही उनके किसी सवाल पर उन्हें गुस्सा हो क्योकि ऐसा करने से हो सकता है के वह फिर आगे से आपसे कोई सवाल ही ना करे और ऐसा अगर वह करते है तो उनके बोधिक क्षमता पर भी इसका असर पड़ेगा.
बच्चो से जब भी बात करे तो इस प्रकार के “नालायक” “बेवकूफ” “पागल।” या अन्य किसी अभद्र भाषा का प्रयोग न करे. ऐसा करने से वह आपसे बात करने से कतराने लगेंगे और फिर ऐसी ही भाषा का प्रयोग वह बाहर अन्य लोगो के साथ करने लगेंगे. ऐसे मैं बच्चो के साथ हमेशा शांत स्वर में, प्यार के साथ और पूरे धैर्य से बात करे और अपने बच्चो के भावनाओ का भी ख्याल रखे, क्योंकि जो बच्चा आपसे सीखेगा वही तो वह खुद आगे जाके करेगा.
बच्चो के साथ अधिक रोक टोक मत करे क्योंकि ऐसा करने से वह खुद को बंधा हुआ महसूस करेंगे और कोई भी फैंसला स्वतंत्र रूप से नहीं कर सकेंगे. बच्चो को पहले छोटे छोटे निर्णय खुद लेना सिखाये और धीएरे धीरे वह खुद ही बढे निर्णय लेने में सक्षम हो जायेंगे. और ऐसा करे ही वह अपनी पर्सनालिटी को स्ट्रोंग बना सकेंगे.
आपका बच्चा आपको देखकर ही सब कुछ सीखता है, ऐसे में पहले आप खुद को सुधारे तो आपका बच्चा भी वैसा ही हो जाएगा. आप खुद घर की बनी सब्जियां और रोटी खाए, किसी की बुरे मत करे, ठीक से सबसे बातचीत करे, मोबाइल और टेलीविज़न का उपयोग कम से कम करे, घर परिवार में बैठकर एक दुसरे से बातचीत करे, कास्ट करे, मैडिटेशन करे. जब आपको खुद ऐसा करता आपका बच्चा देखेगा तो वह भी आपके जैसे ही कार्य करेगा और ऐसा करके वह खुद को और बेहतर इंसान बना सकेगा.
अगर आप बच्चो को भावनात्मक रूप से और मानसिक रूप से दृद्द बनाना चाहते ई तो उनके साथ हमेशा बिहेवियर रखे क्तोंकी ऐसा करके आप उनमें कॉन्फिडेंस बाधा रहे और आपके द्वारा बताई गयी बातों से खुद को अधिक समझदार बना रहे है, औरो से कैसा व्यवहार करना है, कैसे बातें करने यह सब पता चलता हाउ और तभी वह दुनियादारी के बारे में सीखते है.
दोस्तों, बच्चो का भविष्य कैसा होगा, यह उनके बचपन के एक्सपीरियंस पर निर्भर करता है, के आपका उनके साथ बिहेवियर कैसा था और आपने उनके लाइफ में काम आणि वाले बातें किस ढंग से सिखाई, हमेशा उनका कॉन्फिडेंस बढाइये, उन्हें आत्म-सम्मान के साथ जीना सिखाये, अच्छे दोस्त बनाना सिखाये, लोगो से बातचीत कैसे करनी है, किस से दोस्ती करनी है और कैसे लोगो से बचे यह सब चीजें ही बच्चे का भविष्य तय करती है और उनके जीवन को खुशहाल बनाती है.
उम्मीद है आपको हमारी “Top 5 Child Mental Health Tips” पर बनी यह पोस्ट पसंद आई होगी.
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]]>The post Top 10 Child Teaching Skills – बच्चों के 12 साल की उम्र का होने से पहले सिखा दे यह 10 बातें नहीं तो जीवनभर रहेगा पछतावा appeared first on Chandigarh News.
]]>Top 10 Child Teaching Skills – 12वां साल बच्चों के जीवन का एक बेहद अहम् पड़ाव होता है क्योंकि इस उम्र से वह किशोरावस्था में प्रवेश करने लग जाते है और उनकी आदते, सोच, पर्सनालिटी मं काफी तेजी ज़े बदलाव आते है. ऐसे में हर माता-पिता को यह दस बातें अपने बच्चों को सही समय पर बताकार उनका मार्गदर्शन करना चाहिए. आइये जाने क्या है वह Top 10 Child Teaching Skills.
बच्चो की जिंदगी की नीव मजबूत करनी है तो उनमें आत्मविश्वास को जगाना सबसे ज़रूरी है. बच्चो में खुद के द्वारा किये जा रहे काम में विश्वास होना बेहद ज़रूरी है. उन्हें पहले छोटे छोटे कार्य दे जिनसे उनमें आत्मविश्वास जागना शुरू हो फिर वह खुद ही धीरे धीरे बड़े कार्यो में आत्मविश्वास से कर सकेंगे. और वह जीवन में आने वाले चैलेंजेज और आत्मबल को बढ़ने में काफी मददगार साबित होते है.
बच्चो को घर के कार्यो को करने के बारे में सिखाये, जैसे के बर्तन धोना, साफ़ सफाई करना, कपडे धोना इत्यादि, और फिर धीरे धीरे बाज़ार के काम करना सिखाये, ऐसा करने से उनमें कार्य करने की जिम्मेवारी की अहसास होगा और अपने परिवार में अपने योगदान को समझने लगेंगे, और अपनी जिम्मेवारी को निभाना सीखेंगे.
बच्चो को साइकिल पंक्चर में क्या करना है, पढाई लिखी में आने वाली दिक्कत का कैसे समाधान निकालना है, ऐसी छोटी छोटी समस्याओ के संधान के बारे में बताये और फिर उम्र बढ़ने पर बड़ी बड़ी समस्याओ को कैसे सुलझाना है सिखाना आसान हो जाएगा. उनमें फिर इतना क्षमता विकसित हो जायेगी के वह किसी भी समस्या का आनी से समाधान कर पाएंगे.
उन्ह अपने से बढ़े और छोटे सभी का सामान करना सिखाये और बतमीजी करने पर किसको कैसे जवाब देना है वह भी सिखाये. उन्हें बताये के कैसे सब लोगो का सोच विचार करने का तरीका और उनकी भावनाएं अलग होती है और उनका आदर कैसे करना है, उन्हें लोगो से अच्छे रिश्ते बनाये सिखाये और बुरे लोगो से दूर रहना सिखाये.
बच्चो को सिखाये के दुसरो के साथ मिलकर काम को कैसे किया जाता है और ऐसा करने से उन्हें क्या फायदा होता है. क्योंकि ऐसा करने से उन्हें किसी भी प्रॉब्लम का जल्दी से सलूशन मिल जाता है और काम अधिक परेशानि से होने की जगह बेहद जल्दी से हो जाता है और साथ ही टीम में शामिल लोगो के साथ उनके भविष्य के लिए बेहतर सम्बन्ध भी बन जाते है.
कहते है न सफलता इंसान का दिमाग ख़राब कर देती और असफलता उसको ठिकाने पर ले आती है. बस आपको बच्चो को भी यह सिखाना है के असफलता का मतलब हारना नहीं होता बल्कि फिर से दोबारा और ताकत के साथ खड़े होकर आगे बढ़ना होता है, और आपको अब आगे से अधि क मेहनत करनी है सफल होने के लिए, और कभी भी सफलता के नशे को सर पे चड़ने नहीं देना है.
दोस्तों आज के वक़्त में पैसे का महत्व इतना है के इसके बिना आपके लाइफ की कोई गति नहीं है. ऐसे में इसके बारे में अपने बच्चो को विस्तार से एक एक बात समझाना बेहद ज़रूरी है. उन्हें बताये के पैसे कैसे कमाए जाते है, उन्हें कैसे समझदारी से खर्च किया जाता है और कैसे पैसे बचाए जाते है.
आप इसके लिए उन्हें कुछ अच्छी पैसों पर लिखी बुक्स भी खरीदकर दे सकते है और फिर उन्हें उसमें से इम्पोर्टेन्ट पॉइंट्स को अलग से लिखने को बोलकर उसे याद रखने को कह सकते है, ऐसा करके वह अपने भविष्य के लिए पैसे को बचा सकते है. क्योंकि अगर आज आप पैसे को बचायेंगे तभी कल पैसा आपको बचाएगा.
दोस्तों समय सबके पास 24 घंटे का ही है चाहे वह मुकेश अम्बानी जी हो या फिर कोई सड़क किनारे ठेले वाला हो, पर उस समय को कैसे इस्तेमाल करना है के वह समय आपको सफलता की और ले जाए. इसके लिए भी पेरेंट्स को टाइम टाइम पर बच्चो को समझाना चाहिए के समय को व्यर्थ बर्बाद करने की जगह अपने टाइम का सही उपयोग अपने जीवन को और बेहतर बनाये.
बच्चो को बचपन से ही अच्चा खाना और अच्छी लाइफस्टाइल का जीवन जीने की कला सिखाएं. उन्हें कसरत करनी, खेल कूद करना, पढाई करना, दोस्तों के साथ मिलना जुलना सिखाये. क्योंकि ऐसा करके ही वह अपने आप को और डेवेलोप कर सकेंगे और वह खुद में सकारात्मक उर्जा बना सकते है.
पॉजिटिव थिंकिंग इंसान का एक ऐसा अस्त्र है जो उसे जीवन की हर कठिनाई में उसका हल निकालकर देता है. बच्चो को मंद गेम्स खेलने को प्रेरित करे जिस से के उनका दिमाग शार्प बने और अच्चा सोचने की कला सिखाये जिस से वह जीवन में आने वाली हर मुसीबत का सामना कर सके.
अंत में बस इतना कहूँगा के बचपन में सीखी हुई बातें बच्चों के जीवन में बहुत प्रभाव डालती है फिर बातें अच्छी हो या फिर बुरी. ऐसे में बच्चों का भवष्य कैसा होना चाहिए उसके लिए माता-पिता को बहुत संयम से जिम्मेदारी से इस बात का ध्यान रखना पड़ेगा. क्योंकी ऐसा करके ही वह अपने बच्चे के जीवन को एक अच्चा आधार दे सकते है और उन्हें पूरे आतामाविश्वास के साथ चुनौती का सामना सिखा सकते है.
तो दोस्तों यह था “Top 10 Child Teaching Skills” पर हमारा आर्टिकल, कृपया शेयर करना मत भूले.
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]]>Top 12 Diet Parenting Tips – जैसे जैसे बच्चे की उम्र बढती है वैसे वैसे बच्चे का वजन भी बढ़ता रहता परन्तु अगर वजन बढ़ने की जगह कम होने लगे तो ऐसे में माता-पिता को चिंता हो जाती है. दरअसल बच्चे के वजन का काम होना, बच्चे के शरीर में किसी शारीरिक समस्या या फिर पोषण की कमी या किसी अन्य कारण से होने के संकेत है, ऐसे में पेरेंट्स को वक़्त रहते है उपाए कर लेना चाहिए ताकि बच्चा अच्छे से बढ़ सके और स्वस्थ रहे.
इसके लिए आपको बच्चे की खान पान और उसकी डेली रूटीन में कुछ बदलाव करने पड़ेंगे जिस से के उसकी सेहत में सुधार हो सके, तो आइये आज जानते है के वह क्या क्या सुधार और उपाए है जिनसे बच्चा स्वस्थ रह सके.
बच्चों को किसी भी प्रकार के बाजार के खाने की जगह घर पर बना पोषन से भरपूर खाना ही दे. हेअलथी फट, प्रोटीन, Nutrient और विटामिन्स से भरपूर खाने दे जिसमें के डेरी मिल्क, नट्स, हरी सब्जियाँ, अगर आप मांसाहारी खाना खाते है तो वह भी दे सकते है लेकिन घर का बना हुआ. ऐसा करने से बच्चों को सेहतमंद खाना मिलेगा और बच्चों के लिए यह सबसे बेहतर है.
बच्चों को हमेशा थोड़ा थोडा खाना ही सर्व करे, ऐसा करने से उन्हें खाना अच्छे से हजम होगा और अधिक खाना देने पर वह खाना सही ढंग से हजम न होने पर उनकी सेहत को नुक्सान ही करेगा, इसलिए बच्चे को ऐसे में कुछ कुछ वक़्त बाद थोड़ा थोड़ा ही खाना दे. और ऐसा करने से धीरे धीरे उनके सेहत और वजन में काफी अच्छी ग्रोथ होगी.
बच्चों को केवल पोष्टिक खान ही देने फिर वह चाहे कोई सब्जी हो या दाल हो या एनर्जी से भरे ओट्स ही क्यों न हो, उन्हें किसी भी हालत में बाजार का घटिया खाना मत दे, क्योंकि बाजार का खाना स्वाद ज़रूर हो सकता है परन्तु वह उतना पोष्टिक नहीं होता जितना गहर का साफ़ सुथरा खाना पोष्टिक होता है. ऐसे में केवल घर का बना खाना ही बच्चों को दे.
आप बच्चों के खाने को घर में बाज़ार जैसा स्वादिष्ट बना सकते है और वह भी सेहत से भरपूर जैसे के ओट्स, राइस, फ्रूट्स सलाद और अन्य ऐसी फ़ूड आइटम्स जो आप और बेहतर ढंग से बना सकते है. एनर्जी से भरपूर फाइबर युक्त खाना बच्चों को भूख को भी काबू में रखता है और उन्हें पूरे दिन के लिए एक्टिव भी बनाये रखता है.
अगर आपके घर मैं मांसहार खाना बनता है तो ऐसे में आप बच्चों को मछली, चिकन, अंडे, सूप जैसी घर में बनने वाली आइटम्स भी खाने में कम मात्रा में देना शुरू कर सकते है. शाकाहारी में आप दाल और बीन्स जैसे खाद्य पदार्थ भी बना सकते है.
मीठे खाने को पचाना काफी मुश्किल होता है और इसे पेट भरा भरा रहता है और कम भूख लगती है, ऐसे में बच्चों को खाने में मीठा बिलकुल कम दे. उन्हें बाज़ार के प्रोसेस्ड फ़ूड जैसे के बिस्कुट, जैम, सॉस और ऐसी अन्य चीजो से भी दूर रखे. क्योंकि ऐसे खाने से उन्हें केवल थकान और सुस्ती ही मिलेगी और कुछ नहीं.
बच्चों की सेहत के लिए उनकी फिजिकल एक्टिविटी पर भी ध्यान दे, शुरू में उन्हें वाक करवाए और फिर धीरे धीरे उन्हें रनिंग शुरू करवाए और ग्राउंड में लगे झूलों पर ले जाकर उन्हें झुला झूलने को दे. ऐसा करने से उनके शरीर का फट कम होगा और उन्हें भूख लगेगी और स्वस्थ खाना खाकर वह खुद को ठीक रख सकेंगे.
बच्चों को अक्सर प्यास और भूख में अंतर समझ नहीं आता है और ऐसे में वह प्यास को भूख समझ ज्यादा पानी पिने लगते है जिस से वह खाना कम खाने लगते है और फिर उनमें पोषण की कमी होने लगती है, ऐसे में आपको उन्हें खुद ही समय समय पर पानी पिलाते रहना चाहिए ताकि उनका शरीर हाइड्रेट रहे. उन्हें कोल्ड ड्रिंक जैस पदार्थो से भी दूर रखे क्योंकि इन्हें पीने से व्यक्ति तो अपना पेट भरा हुआ लगता है और ऐसे में काम खाना से उनमें पोषण की कमी होने लगती है.
रात में बच्चों को जितना हो सके हल्का और पोष्टिक खाना ही दे. चाहे वह सूप हो या दाल रोटी ही क्यों न हो, साथ में कुछ ऐसे फ्रूट भी दे जो रात में खाने के लिए सही हो. ऐसा करने से उनका पेट नार्मल रहेगा और उन्हें नींद भी अच्छे से आ सकेगी.
बच्चों को खाना बदल बदलकर दें यानि के उनके खाने में विविधता लाए हर बार एक जैसा खाना देने की जगह अलग अलग प्रकार के खाने उन्हें खाने को दे, कभी सब्जी, कभी चावल, कभी फ्रूट्स दे दिए. ऐसा करने से आप बच्चों के पाचन तंत्र को सही रखने में कामयाब हो सकते है.
बच्चों को रात में सुलाने के लिए एक टाइम का चयन कर ले और फिर उन्हें उस टाइम तक सुला दे बस. रात में उनके साथ बीएड पर ही थोडा खेले जिस से वह थोड़ी थकान महसूस करे और उन्हें जल्दी और स्वस्थ नींद आ सके. अगर उनकी नींद सही नहीं होगी तो अगले दिन उनका बर्ताव सही नहीं रह सकता.
शारीरिक स्वस्थ्य के साथ साथ बच्चो के मानसिक विकास का भी ध्यान रखे, उन्हें हमेशा चिंता भरे माहोल से दूर रखे, उनके सामने लड़ाई झगडा, गाली गलोच न करे, क्योंकि ऐसा करने से उनके मानिसक विकास पर भी बुरा प्रभाव पड़ेगा.
दोस्तों, बच्चो का वजन उम्र के साथ बढ़ना बहुत ज़रूरी है उनके विकास के लिए. अगर आपको लगे के बच्चे का वजन समय के साथ नहीं बढ़ रहा है तो ऐसे में आप उपर बताये नुस्खे आजमा सकते है, अगर फिर भी कोई रिजल्ट न दिखे तो ऐसे में डॉक्टर को भी दिखया सकते है. आप बच्चे के माता-पिता है और आपका बच्चे आपके मार्गदर्शन में ही आगे बढ़ सकता है, और हर माँ-बाप अपने बच्चे को सेहतमंद और कामयाब देखना चाहते है.
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Every healthy and happy relationship requires listening to your partner’s feelings and emotions and trusting and respecting each other’s thoughts and needs.
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