Child Mental Health Tips

Child Mental Health Tips – बच्चों से न कहें ये 5 बातें, उनकी मानसिकता पर पड़ सकता है बुरा असर

Child Mental Health Tips – बच्चों से न कहें ये 5 बातें, उनकी मानसिकता पर पड़ सकता है बुरा असर

हर माता-पिता अपने बच्चों का बेहतर भविष्य और खुशहाल जीवन चाहते हैं। बच्चे का शारीरिक और मानसिक विकास माता-पिता की बातों और उनके व्यवहार पर निर्भर करता है। कई बार अनजाने में हम कुछ ऐसी बातें कह देते हैं जो बच्चों की मानसिकता पर नकारात्मक प्रभाव डालती हैं। ऐसे में, जरूरी है कि हम अपने शब्दों और बर्ताव पर ध्यान दें और ऐसी कुछ बातों से बचें, जो बच्चों की भावनाओं और आत्म-सम्मान को ठेस पहुंचा सकती हैं। यहां पांच ऐसी बातें बताई जा रही हैं जो बच्चों के सामने करने से बचना चाहिए।

  1. बड़ों का अपमान न करें

बड़ों का आदर करना बच्चों के नैतिक विकास के लिए बेहद जरूरी है। अगर आप चाहते हैं कि आपका बच्चा बुजुर्गों और अपने से बड़े लोगों का सम्मान करे, तो इसके लिए आपको भी दूसरों के प्रति आदर का भाव दिखाना होगा। बच्चों पर माता-पिता के हर छोटे-बड़े बर्ताव का असर पड़ता है, वे अपने आसपास जो देखते हैं, वही सीखते हैं। अगर आप घर के बड़े सदस्यों या बाहरी लोगों के साथ अशिष्ट व्यवहार करते हैं या उनका अपमान करते हैं, तो बच्चे के मन में भी ऐसी ही धारणा बन सकती है। इसलिए, हमेशा शालीनता और आदरभाव से पेश आएं ताकि बच्चे भी अपने जीवन में यही गुण अपनाएं।

  1. उनकी बातों को ध्यान से सुनें

हर बच्चे के मन में अपनी बातें साझा करने की इच्छा होती है। जब वह अपने विचारों, समस्याओं या किसी बात को साझा करने के लिए आपके पास आता है, तो उसे ध्यान से सुनें। यदि आप उसकी बातों को अनसुना कर देते हैं या बीच में ही टोक देते हैं, तो उसका आत्म-सम्मान प्रभावित हो सकता है। बच्चे जब यह महसूस करते हैं कि उनकी बातें सुनी जा रही हैं, तो उनका आत्मविश्वास बढ़ता है। उनकी बातों को सुनना और गंभीरता से लेना उन्हें यह एहसास दिलाता है कि उनकी बातें भी महत्वपूर्ण हैं और उन्हें अपने विचार व्यक्त करने की स्वतंत्रता है। यह आदत बच्चे के आत्म-विश्वास को बढ़ाने में सहायक होती है और वे अपनी बातों को खुलकर कहने में सहज महसूस करते हैं।

  1. गलत शब्दों का उपयोग करने से बचें

कई बार माता-पिता गुस्से या झुंझलाहट में अपने बच्चों से कठोर और अपमानजनक शब्दों का प्रयोग कर बैठते हैं, जैसे कि “बेवकूफ,” “नालायक,” या “पागल।” भले ही इन शब्दों का प्रयोग अनजाने में हो, लेकिन बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर इसका नकारात्मक असर पड़ सकता है। बार-बार इस प्रकार की बातें सुनने से बच्चे का आत्म-सम्मान कम हो सकता है और वह खुद को हीन महसूस करने लग सकता है। इसीलिए, बच्चों से हमेशा सभ्य भाषा में बात करें और उनकी गलतियों को समझदारी से सुधारने का प्रयास करें। प्यार और धैर्य से की गई बातचीत न केवल उनकी भावनाओं का ख्याल रखती है, बल्कि उनके व्यक्तित्व को भी मजबूत बनाती है।

  1. ज्यादा रोक-टोक न करें

बच्चों को हर छोटी-बड़ी बात पर रोकना-टोकना उनके आत्म-सम्मान और आत्मनिर्भरता को प्रभावित कर सकता है। बच्चों को अपनी समझ विकसित करने के लिए स्वतंत्रता देना बेहद जरूरी है ताकि वे खुद निर्णय लेना सीख सकें। जब माता-पिता बच्चों को हर बात पर टोकते हैं, तो बच्चे की निर्णय-क्षमता प्रभावित होती है और उनमें आत्म-विश्वास की कमी हो सकती है। अगर आपको लगता है कि बच्चा किसी गलत दिशा में जा रहा है, तो उसे रोकने के बजाय समझाने की कोशिश करें कि उसकी सोच में क्या कमी है। यह तरीका बच्चों के लिए बेहतर होता है क्योंकि इससे वे अपने निर्णयों पर गंभीरता से विचार करने लगते हैं और उनके व्यक्तित्व में भी परिपक्वता आती है।

  1. पहले खुद में बदलाव लाएं

बच्चे माता-पिता की आदतों और व्यवहार से बहुत कुछ सीखते हैं। यदि आप चाहते हैं कि आपका बच्चा मोबाइल का कम उपयोग करे, हरी सब्जियाँ खाए, और दूसरों की बुराई न करे, तो आपको भी यह आदतें अपने जीवन में अपनानी होंगी। बच्चे माता-पिता को देखकर ही उनकी बातों को गंभीरता से लेते हैं। जब आप खुद सकारात्मक आदतें अपनाते हैं, तो बच्चे भी उन्हीं आदतों का अनुसरण करने लगते हैं। उदाहरण के लिए, यदि आप अपने बच्चे से कह रहे हैं कि उसे अपनी पढ़ाई पर ध्यान देना चाहिए, तो आपको भी उसके सामने किताब पढ़ते हुए या अपने कार्यों में ध्यान लगाते हुए दिखाई देना चाहिए। इससे बच्चा समझता है कि जो आप उसे कह रहे हैं, वह महत्वपूर्ण है और उसे भी इसे अपनाना चाहिए।

बच्चों के साथ अच्छा व्यवहार क्यों है महत्वपूर्ण?

बच्चों का मानसिक और भावनात्मक विकास उनके आसपास के माहौल और लोगों के व्यवहार पर निर्भर करता है। जब बच्चों के साथ आदर और समझदारी से व्यवहार किया जाता है, तो उनके व्यक्तित्व में आत्म-विश्वास, सम्मान और सहनशीलता जैसे गुण आते हैं। अगर माता-पिता ध्यान दें कि वे बच्चों के सामने कैसी बातें कर रहे हैं और उनका बर्ताव कैसा है, तो बच्चे एक स्वस्थ और सकारात्मक मानसिकता के साथ बड़े हो सकते हैं।

अक्सर हम सोचते हैं कि छोटे बच्चों पर हमारे शब्दों और कार्यों का बहुत असर नहीं पड़ता, लेकिन यह सोच गलत है। बच्चों का मस्तिष्क इस उम्र में काफी संवेदनशील होता है और वे हर बात को बहुत गहराई से महसूस करते हैं। इसीलिए माता-पिता को चाहिए कि वे हर बात सोच-समझकर कहें और अपने व्यवहार का ध्यान रखें।

बच्चों से बातें करते समय कुछ और सुझाव:

  • बातचीत में सकारात्मक शब्दों का उपयोग करें: बच्चों से बात करते समय सकारात्मक शब्दों का उपयोग करें ताकि उनका आत्मविश्वास बना रहे।
  • सुनने की आदत डालें: बच्चों की बातों को ध्यान से सुनें और उन्हें बातचीत का पूरा मौका दें।
  • समझदारी से सही-गलत बताएं: अगर बच्चे ने गलती की है, तो उसे कठोर शब्दों से न समझाएं, बल्कि प्यार से सही-गलत का फर्क बताएं।
  • बच्चों को अपनी भावनाएँ व्यक्त करने दें: अगर बच्चा कुछ बताना चाहता है, तो उसे बोलने दें ताकि वह खुद को स्वतंत्र महसूस करे।
  • बच्चों को प्रोत्साहित करें: जब बच्चा कोई अच्छा काम करे, तो उसकी सराहना करें ताकि वह आगे भी अच्छे कामों के लिए प्रेरित हो सके।

निष्कर्ष

बच्चों का भविष्य उनके बचपन के अनुभवों पर निर्भर करता है। बच्चों के प्रति हमारा व्यवहार और हमारी बातें उनके जीवन पर गहरा असर छोड़ती हैं। इसलिए जरूरी है कि माता-पिता सोच-समझकर बच्चों से बातचीत करें और उनका आत्म-सम्मान बनाए रखने का प्रयास करें। अगर हम बच्चों के साथ प्यार और समझदारी से पेश आएंगे, तो वे भी एक आत्म-निर्भर, सकारात्मक और खुशहाल जीवन जी सकेंगे।

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