Constitution of India: 26 जनवरी गणतंत्र दिवस पर जानें संविधान की 15 खास बातें
Constitution of India: 26 जनवरी को मनाया जाने वाला गणतंत्र दिवस भारत के संविधान की महत्ता और उसके प्रति सम्मान का प्रतीक है। भारतीय संविधान को 26 जनवरी 1950 को लागू किया गया था, और यही दिन हर साल गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाता है।
भारत का संविधान न केवल देश के नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करता है, बल्कि यह लोकतंत्र और न्याय की स्थापना का मार्गदर्शन भी करता है। आइए जानते हैं भारतीय संविधान से जुड़ी 15 खास बातें, जो गणतंत्र दिवस के भाषणों में भी उपयोगी हो सकती हैं:
संविधान दो महीने पहले बन चुका था
26 जनवरी को संविधान लागू किया गया, लेकिन यह संविधान दो महीने पहले 26 नवंबर 1949 को तैयार हो चुका था। इसलिए 26 नवंबर को संविधान दिवस मनाया जाता है।
दुनिया का सबसे बड़ा लिखित संविधान
भारतीय संविधान विश्व का सबसे लंबा लिखित संविधान है, जिसे बनाने में 2 साल, 11 महीने और 18 दिन लगे थे।
बैग ऑफ बोरोविंग
भारतीय संविधान को “Bag of Borrowings” भी कहा जाता है, क्योंकि इसके कई प्रावधान अन्य देशों के संविधान से लिए गए हैं, जैसे यूनाइटेड किंगडम, अमेरिका, जर्मनी, आयरलैंड, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और जापान।
संविधान की असली प्रति हाथ से लिखी गई
भारतीय संविधान की मूल प्रति टाइप नहीं, बल्कि प्रेम बिहारी नारायण रायजादा द्वारा हाथ से लिखी गई थी।
संविधान की प्रतियां कहां रखी हैं
संविधान की हस्तलिखित प्रतियां संसद के पुस्तकालय में हीलियम से भरे पारदर्शी बक्सों में रखी गई हैं।
संविधान की असली प्रति कैसे दिखती है
भारतीय संविधान की मूल प्रति 16 इंच चौड़ी और 22 इंच लंबी है, जिसमें 251 पृष्ठ शामिल थे।
संविधान की प्रतियां हिंदी और इंग्लिश में
भारतीय संविधान की मूल प्रतियां हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में लिखी गई थीं।
संविधान की संरचना
भारतीय संविधान की मूल संरचना भारत सरकार अधिनियम, 1935 पर आधारित है।
डॉ. भीमराव अंबेडकर
भारतीय संविधान के निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर को कहा जाता है। वे संविधान मसौदा समिति के अध्यक्ष थे।
मौलिक अधिकारों का वर्णन
भारतीय संविधान में नागरिकों के मौलिक अधिकारों का वर्णन संविधान के तीसरे भाग में किया गया है, जो अनुच्छेद 12 से 35 तक विस्तारित है।
संविधान सभा
भारतीय संविधान का निर्माण संविधान सभा द्वारा किया गया था, जिसमें 13 समितियां गठित की गई थीं।
संविधान जलाने की बात
बाबा साहेब अंबेडकर ने कभी कहा था कि यदि संविधान बहुसंख्यकों के हाथों में लोकतंत्र की हत्या का कारण बनेगा, तो वे इसे जलाने से नहीं हिचकेंगे।
432 निब घिसीं
प्रेम बिहारी नारायण रायजादा ने संविधान को हाथ से लिखने में 6 महीने का समय लिया और इस दौरान उन्होंने कुल 432 निब घिसी थीं।
लिखने की फीस नहीं ली
प्रेम बिहारी नारायण रायजादा ने संविधान लिखने के लिए कोई फीस नहीं ली थी, लेकिन उन्होंने इस काम के दौरान अपने गुरु और दादा का नाम लिखने की शर्त रखी थी।
हिंदी कॉपी भी हाथ से लिखी
संविधान की हिंदी कॉपी भी कैलीग्राफर वसंत कृष्ण वैद्य ने हाथ से लिखी थी।
गणतंत्र दिवस पर इन महत्वपूर्ण तथ्यों के माध्यम से हम भारतीय संविधान के योगदान और उसकी गहरी महत्ता को समझ सकते हैं, जो हमारे लोकतंत्र को सशक्त और प्रगति की दिशा में मार्गदर्शित करता है।
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