GST 2024 News – 25000 करोड़ की GST चोरी पकड़ी, विशेष अभियान में 18000 फर्जी कंपनियों का पता लगा
देश भर में चलाए गए विशेष अभियान के माध्यम से कर अधिकारियों ने जीएसटी के तहत रजिस्टर्ड लगभग 18,000 फर्जी कंपनियों का पता लगाया है, जो लगभग 25,000 करोड़ रुपये की जीएसटी चोरी में शामिल थीं। इन कंपनियों ने धरातल पर किसी भी सामान की खरीद-बिक्री नहीं की थी, बल्कि केवल कागजों में ही कारोबार दिखाकर इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) का लाभ लिया और इसके नाम पर सरकार से बड़ी राशि हड़प ली। 16 अगस्त से शुरू किए गए इस अभियान के दौरान अधिकारियों ने 73,000 कंपनियों और फर्मों की पहचान की थी, जिनके बारे में संदेह था कि वे कर चोरी में लिप्त हैं या फिर फर्जी तरीके से इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ उठा रही हैं। इन कंपनियों का भौतिक सत्यापन किया गया, और पता चला कि 18,000 कंपनियों का अस्तित्व ही नहीं था।
बड़े स्तर पर गड़बड़ी का खुलासा
सूत्रों के मुताबिक, भौतिक सत्यापन के दौरान बड़ी संख्या में कंपनियां और फर्में रजिस्टर्ड पते पर संचालित नहीं पाई गईं। जीएसटी रिटर्न के अनुसार इन कंपनियों द्वारा जितना बड़ा कारोबार दिखाया जा रहा था, उतना स्टॉक मौके पर नहीं पाया गया। कई फर्मों और कंपनियों के गोदाम खाली पाए गए, जबकि रिटर्न में दर्शाया गया था कि वहां बड़ी मात्रा में सामान होना चाहिए था। कुछ स्थानों पर तो गोदाम ही नहीं थे, जबकि रिटर्न के हिसाब से वहां भारी मात्रा में माल होना चाहिए था। इससे यह साफ हो गया कि ये कंपनियां केवल कागजों पर चल रही थीं और उन्होंने जीएसटी रिटर्न में फर्जी तरीके से कारोबार दिखाकर टैक्स क्रेडिट का लाभ उठाया।
सिर्फ कागजों पर चलने वाली कंपनियां
कर अधिकारियों ने रिटर्न से जुड़े रिकॉर्ड का अध्ययन किया और पता चला कि इन कंपनियों का एक समूह है, जो एक-दूसरे से सामान खरीद-बेच कर इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ उठा रहा था। ये कंपनियां वास्तविक कारोबारी गतिविधियों में लिप्त नहीं थीं और केवल कागजों पर अपने कारोबार का हिसाब रख रही थीं। ये कंपनियां एक-दूसरे से सामान का आदान-प्रदान कर रही थीं ताकि सरकार से टैक्स क्रेडिट हासिल किया जा सके, जबकि वास्तविकता में उनके पास कोई भौतिक माल नहीं था।
सरकार की सख्ती और जांच
सरकार ने फर्जी जीएसटी रजिस्ट्रेशन की जांच के लिए बड़े पैमाने पर कार्रवाई तेज कर दी है और अब अधिक से अधिक भौतिक सत्यापन किए जा रहे हैं। 16 अगस्त से अक्टूबर तक चले इस राष्ट्रव्यापी अभियान के दौरान फर्जी रजिस्ट्रेशन के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की गई। इससे पहले 2023 में 16 मई से 15 जुलाई तक पहले राष्ट्रव्यापी अभियान में 21,791 जीएसटी रजिस्टर्ड इकाइयों का अस्तित्व नहीं पाया था। इस अभियान के दौरान करीब 24,010 करोड़ रुपये की संदिग्ध कर चोरी का पता चला था। इसके अलावा, दिसंबर 2023 तक आठ महीने में 44,015 करोड़ रुपये की कर चोरी के फर्जी दावों से जुड़े 29,273 फर्जी कंपनियों का पता चला था।
अब कर चोरी करना असंभव
टैक्स एक्सपर्ट्स का कहना है कि जीएसटी विभाग अब पूरी तरह से ऑटोमेटेड तरीके से काम कर रहा है, जिसके कारण कर चोरी करना अब पहले के मुकाबले कहीं अधिक मुश्किल हो गया है। इस प्रक्रिया में ई-इन्वॉइसिंग, ई-वे बिल, आईटीसी और ऑटोमेटेड ब्लॉकिंग जैसे सुधारों का अहम योगदान है। इन सुधारों के कारण अब कर चोरी या फर्जीवाड़ा करना असंभव हो गया है। पहले जहां कंपनियां कागजों पर कारोबार दिखाकर इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ उठाती थीं, अब ये सुधार इस तरह के फर्जीवाड़े को पकड़ने में सक्षम हैं। इसके साथ ही, राजस्व विभाग ने भी कर चोरी के खिलाफ अपनी सख्ती बढ़ा दी है। देशभर में कई जगहों पर छापेमारी की गई है और कर चोरी पकड़ी गई है।
इन कदमों के कारण जीएसटी संग्रह में लगातार वृद्धि हो रही है। पहले जहां फर्जी कंपनियों और फर्मों की बड़ी संख्या थी, वहीं अब सरकार की सख्ती और प्रणाली में सुधार के चलते जीएसटी के तहत किए जाने वाले कर चोरी में कमी आई है।
फर्जी कंपनियों की पहचान और नियंत्रण
कई मामलों में, कर अधिकारियों ने ऐसे नेटवर्क को पहचाना है, जिनमें कंपनियां एक-दूसरे से माल खरीद-बेच कर अपने लेन-देन को बढ़ा-चढ़ा कर दिखाती थीं। इससे सरकार को बड़ा नुकसान हो रहा था, लेकिन अब इन सुधारों के बाद इन नेटवर्क की पहचान करना आसान हो गया है। सरकार का उद्देश्य है कि इन फर्जी गतिविधियों को पूरी तरह से खत्म किया जाए और वास्तविक करदाताओं को कोई कठिनाई न हो।
इन जांचों और सुधारों से न केवल जीएसटी विभाग की कार्यप्रणाली में सुधार हुआ है, बल्कि देशभर में कर चोरी पर लगाम भी लगी है। इसका सीधा फायदा सरकार की राजस्व संग्रहण में हुआ है, जिससे विभिन्न विकास कार्यों के लिए अधिक धनराशि उपलब्ध हो रही है।
भविष्य में जीएसटी सुधार
भविष्य में जीएसटी प्रणाली में और भी सुधार किए जाने की संभावना है। सरकार और कर विभाग इस दिशा में लगातार काम कर रहे हैं ताकि करदाताओं को कोई असुविधा न हो और कर चोरी को पूरी तरह से रोका जा सके। विभाग का मुख्य उद्देश्य है कि कर प्रणाली को पारदर्शी और निष्पक्ष बनाया जाए, ताकि केवल असली कारोबारी ही जीएसटी का लाभ उठाएं और कोई भी फर्जी गतिविधियों के माध्यम से इसका गलत फायदा न उठा सके।
इस अभियान से यह साफ हो गया है कि सरकार जीएसटी चोरी पर कड़ी नजर रखे हुए है और भविष्य में इस तरह के फर्जीवाड़े को रोकने के लिए और भी सख्त कदम उठाए जाएंगे। इस प्रक्रिया से भारत में कर चोरी पर लगाम लगाना और सरकार के लिए अधिक राजस्व एकत्रित करना संभव हो पाएगा, जो देश की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने में मदद करेगा।
Thanks for visiting – Chandigarh News