Health Insurance Renewal News – हेल्थ इंश्योरेंस रिन्यूअल में गिरावट: क्या बीमा कंपनियों की सच्चाई सामने आ गई?
Health Insurance Renewal News – कोविड-19 के बाद हेल्थ इंश्योरेंस की मांग तेजी से बढ़ी, लेकिन इसके साथ ही प्रीमियम की लागत और क्लेम रिजेक्शन के मामलों में भी बढ़ोतरी हुई है।
ताजा रिपोर्ट्स के मुताबिक, हर 10 में से 1 ग्राहक अब अपनी हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी रिन्यू नहीं करा रहा। इसका सीधा असर बीमा कंपनियों के प्रीमियम कलेक्शन पर पड़ा है, जो इस साल 10% तक गिर गया है।
अब सवाल उठता है कि ग्राहक इंश्योरेंस क्यों नहीं रिन्यू करवा रहे? क्या प्रीमियम बढ़ना ही एकमात्र कारण है, या बीमा कंपनियों की रणनीति पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं? आइए इस रिपोर्ट को विस्तार से समझते हैं।
हेल्थ इंश्योरेंस का प्रीमियम क्यों बढ़ रहा है?
बीते कुछ वर्षों में मेडिकल खर्चों में भारी बढ़ोतरी हुई है। इसका सीधा असर हेल्थ इंश्योरेंस पर पड़ा है।
🔹 30% तक महंगा हुआ इंश्योरेंस: रिपोर्ट के मुताबिक, बीते एक साल में हेल्थ इंश्योरेंस की लागत 30% तक बढ़ गई।
🔹 हर 3 साल में महंगा होता है बीमा: बीमा कंपनियां हर 3 साल में अपनी महंगाई दर को एडजस्ट करती हैं, जिससे प्रीमियम में बढ़ोतरी होती है।
🔹 10 साल में 100 रुपये का प्रीमियम 259 रुपये तक पहुंचा: अधिकतर लोगों के लिए हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम 10 साल में 162% से 259% तक बढ़ गया।
🔹 कुछ मामलों में 404% तक बढ़ा प्रीमियम: 38% पॉलिसीधारकों के लिए प्रीमियम में 10-15% सालाना बढ़ोतरी हुई, जिससे 100 रुपये का प्रीमियम 404 रुपये तक पहुंच गया।
हेल्थ इंश्योरेंस रिन्यू न कराने के 3 बड़े कारण
1️⃣ क्लेम रिजेक्शन की बढ़ती संख्या
ग्राहकों का सबसे बड़ा डर यह है कि जब जरूरत पड़ेगी, तो बीमा कंपनी उनका क्लेम ही रिजेक्ट कर देगी।
✔ रिपोर्ट के मुताबिक, बीते 3 साल में 50% से ज्यादा हेल्थ इंश्योरेंस क्लेम को खारिज कर दिया गया।
✔ कई मामलों में बीमा कंपनियों ने फाइन प्रिंट में छिपी शर्तों का हवाला देकर क्लेम देने से इनकार कर दिया।
✔ ग्राहक महसूस करने लगे हैं कि महंगे प्रीमियम के बावजूद, उन्हें सही समय पर हेल्प नहीं मिल रही।
👉 नतीजा: लोग हेल्थ इंश्योरेंस लेने से बचने लगे हैं या सस्ते विकल्प तलाश रहे हैं।
2️⃣ प्रीमियम की बढ़ती कीमतें
✔ रिपोर्ट बताती है कि बीते एक साल में हेल्थ इंश्योरेंस की लागत 30% तक बढ़ चुकी है।
✔ 90% पॉलिसीधारकों को 10% ज्यादा प्रीमियम देना पड़ा, लेकिन उनकी हेल्थ कवरेज में कोई खास सुधार नहीं हुआ।
✔ 10 वर्षों में इंश्योरेंस प्रीमियम 2.5 से 4 गुना तक महंगा हो चुका है।
👉 नतीजा: ग्राहकों को लगने लगा है कि उन्हें महंगे प्रीमियम के बदले कोई अतिरिक्त लाभ नहीं मिल रहा।
3️⃣ बीमा कंपनियों की भरोसेमंद नीतियों की कमी
✔ हेल्थ इंश्योरेंस की जटिल शर्तें और फाइन प्रिंट में छिपी पॉलिसी ग्राहकों को भ्रमित कर रही हैं।
✔ कई ग्राहक रिन्यूअल के समय पाते हैं कि उनकी बीमा राशि में कटौती कर दी गई है, लेकिन प्रीमियम बढ़ा दिया गया।
✔ हेल्थ इंश्योरेंस के कई प्लान्स में क्लेम करने की प्रक्रिया जटिल और समय लेने वाली होती है।
👉 नतीजा: ग्राहक सोचने लगे हैं कि क्या हेल्थ इंश्योरेंस खरीदना वास्तव में फायदेमंद है?
क्या बीमा कंपनियां अपने फायदे के लिए खेल कर रही हैं?
बीमा कंपनियां तर्क देती हैं कि स्वास्थ्य सेवाओं की लागत बढ़ने के कारण प्रीमियम बढ़ाना जरूरी है। लेकिन कई एक्सपर्ट्स का मानना है कि बीमा कंपनियां अपनी नीतियों में पारदर्शिता नहीं रख रही हैं।
🔹 14% की हेल्थकेयर महंगाई, लेकिन प्रीमियम उससे कहीं ज्यादा बढ़ा
🔹 पॉलिसी में छिपी शर्तों के कारण क्लेम रिजेक्शन बढ़े
🔹 ग्राहकों को पर्याप्त जानकारी नहीं दी जाती कि वे किस स्थिति में क्लेम कर सकते हैं
👉 नतीजा: लोग बीमा कंपनियों पर भरोसा करने से बच रहे हैं और रिन्यूअल टाल रहे हैं।
क्या करना चाहिए? हेल्थ इंश्योरेंस लेते समय ध्यान दें
✅ पॉलिसी के नियम और शर्तों को ध्यान से पढ़ें।
✅ बीमा कंपनी का क्लेम सेटलमेंट रेट चेक करें।
✅ कम से कम एक्सक्लूजन (छूट) वाली पॉलिसी चुनें।
✅ मेडिकल इंफ्लेशन के हिसाब से सही कवरेज लें।
✅ रिन्यूअल से पहले अन्य विकल्पों की तुलना करें।
निष्कर्ष: ग्राहक अब ज्यादा जागरूक हो रहे हैं!
हेल्थ इंश्योरेंस सेक्टर में बढ़ती प्रीमियम दरों और बिना वजह क्लेम रिजेक्शन ने ग्राहकों को निराश किया है। यही कारण है कि हर 10 में से 1 व्यक्ति अब अपना इंश्योरेंस रिन्यू नहीं करा रहा।
🚨 अगर बीमा कंपनियां पारदर्शिता नहीं बढ़ातीं, तो भविष्य में यह आंकड़ा और बढ़ सकता है।
✅ ग्राहकों को सही इंश्योरेंस प्लान चुनने से पहले पूरी रिसर्च करनी चाहिए और भरोसेमंद कंपनियों को प्राथमिकता देनी चाहिए।
🔴 याद रखें! हेल्थ इंश्योरेंस जरूरी है, लेकिन सही प्लान चुनना और समझदारी से निवेश करना उससे भी ज्यादा जरूरी है।
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