How to Celebrate Lohri – लोहड़ी का त्योहार कैसे मनाया जाता है?
How to Celebrate Lohri – लोहड़ी एक प्रसिद्ध पंजाबी त्योहार है, जो विशेष रूप से पंजाब, हरियाणा, दिल्ली और अन्य उत्तर भारतीय क्षेत्रों में मनाया जाता है। यह पर्व सर्दियों के अंत और बसंत के आगमन की खुशी में मनाया जाता है। यह त्योहार खासकर फसल कटाई के समय मनाया जाता है और मकर संक्रांति से पहले वाली रात को मनाया जाता है।
लोहड़ी की परंपराएं और रीति-रिवाज
तैयारी की शुरुआत: लोहड़ी का उत्सव कई दिनों पहले से ही शुरू हो जाता है। बच्चे और युवा अपनी टोली बनाकर घर-घर जाकर लोहड़ी के लोकगीत गाते हैं और लकड़ी, उपले (गोहा), रेवड़ी, मूंगफली और तिल इकट्ठा करते हैं। यह सामग्रियां लोहड़ी की अग्नि को समर्पित की जाती हैं।
आग जलाना और परिक्रमा: लोहड़ी के दिन, शाम को घर-घर से इकट्ठा की गई सामग्री को एक खुले स्थान पर रखा जाता है, जहां एक बड़ी आग जलाई जाती है। लोग इस अग्नि के चारों ओर चक्कर काटते हैं और नाचते-गाते हैं। इस दौरान वे रेवड़ी, मूंगफली, खील, मक्का और तिल को आग में समर्पित करते हैं। इस पूजन का उद्देश्य सकारात्मक ऊर्जा और समृद्धि की कामना करना होता है।
पारंपरिक भोजन और पकवान: लोहड़ी के दिन खास पकवान बनाए जाते हैं, जैसे:
- गजक (तिल और गुड़ से बनी मिठाई)
- रेवड़ी (गुड़ और तिल से बनी चिपचिपी मिठाई)
- मूंगफली
- मक्का की रोटी और सरसों का साग इन पकवानों का सेवन लोहड़ी की खुशी और समृद्धि को दर्शाता है।
नई शादी और बच्चे की पहली लोहड़ी: लोहड़ी खासतौर पर उन परिवारों के लिए महत्वपूर्ण होती है, जिनमें नया बच्चा हुआ हो या नई शादी हुई हो। इन परिवारों को विशेष बधाई दी जाती है, और इनकी पहली लोहड़ी बहुत खास होती है। परिवार और रिश्तेदार नवविवाहित जोड़ों या नए बच्चे के घर आकर उन्हें तिल, गुड़ और रेवड़ी देते हैं और आशीर्वाद देते हैं।
आधुनिक बदलाव: हालांकि लोहड़ी की परंपराएं आज भी जिंदा हैं, लेकिन समय के साथ इस उत्सव में कुछ बदलाव आए हैं। पहले जहां लोग पारंपरिक पहनावे में लोहड़ी मनाते थे, अब आधुनिक कपड़े और पकवानों को भी इस उत्सव में शामिल किया जाता है। इसके साथ ही, अब कुछ लोग पारंपरिक गीतों की जगह आधुनिक संगीत और डीजे का भी इस्तेमाल करते हैं।
उपसंहार:
लोहड़ी का पर्व एक ऐसा अवसर है जब लोग अपने परिवार और दोस्तों के साथ मिलकर खुशी मनाते हैं, और यह भारतीय समाज में भाईचारे, प्रेम और समृद्धि का प्रतीक बन गया है। यह त्योहार न केवल कृषि पर निर्भर है, बल्कि यह सर्दियों के बाद गर्मी के मौसम के आगमन का स्वागत करता है, साथ ही लोहड़ी के माध्यम से हर कोई अपने जीवन में समृद्धि और खुशहाली की कामना करता है।
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