India vs Facebook – अमेरिका की दो बड़ी कंपनियों ने भारत के सामने झुकाए घुटने: जानिए पूरी कहानी
India vs Facebook – पिछले 24 घंटों में अमेरिका की दो बड़ी कंपनियों, मेटा और हिंडनबर्ग रिसर्च, ने भारत के सामने हार मानते हुए अपनी स्थिति स्पष्ट की है। एक ओर, मेटा ने भारत के बारे में विवादित बयान पर माफी मांगी है, तो दूसरी ओर, हिंडनबर्ग ने अपने संचालन को बंद करने का ऐलान कर दिया है।
ये घटनाएं न केवल अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बनी हैं, बल्कि यह भी दिखाती हैं कि भारत की बढ़ती ताकत को अब नकारा नहीं जा सकता।
हिंडनबर्ग रिसर्च: बंद होने की वजह
हिंडनबर्ग रिसर्च, जो निवेश और रिसर्च के लिए जानी जाती है, ने 2023 में अदाणी समूह पर अपनी रिपोर्ट के कारण सुर्खियां बटोरी थीं। इस रिपोर्ट में अदाणी समूह पर शेयरों के दामों में हेरफेर और वित्तीय गड़बड़ी के गंभीर आरोप लगाए गए थे। इसके परिणामस्वरूप अदाणी समूह को बड़ा नुकसान हुआ, लेकिन समूह ने सभी आरोपों को खारिज कर दिया।
हाल ही में, हिंडनबर्ग के संस्थापक नाथन एंडरसन ने कंपनी को बंद करने का ऐलान करते हुए कहा कि यह निर्णय व्यक्तिगत और व्यावसायिक प्राथमिकताओं के चलते लिया गया है।
एंडरसन का बयान:
“किसी खास वजह से नहीं, बल्कि अब मैं अपने जीवन में सुकून चाहता हूं।”
“मैं अपने शौक पूरे करने और परिवार के साथ समय बिताने के लिए उत्साहित हूं।”
उन्होंने कहा कि भविष्य के लिए उन्होंने पर्याप्त धनराशि जमा कर ली है और अब वे कम जोखिम वाले निवेश पर ध्यान देंगे।
विश्लेषण:
हालांकि एंडरसन ने कंपनी बंद करने की वजहों को निजी बताया, लेकिन यह भी संभव है कि भारत और अदाणी समूह से जुड़े विवादों के कारण कंपनी की छवि को नुकसान हुआ हो।
मेटा का माफी मांगना
मेटा, जिसे पहले फेसबुक के नाम से जाना जाता था, विवादों में तब आया जब इसके सीईओ मार्क जुकरबर्ग ने एक पॉडकास्ट में कहा कि 2024 के चुनावों में भारत की मौजूदा सरकार हार सकती है। इस बयान ने भारतीय राजनीति में खलबली मचा दी और केंद्र सरकार ने इस पर सख्त आपत्ति जताई।
केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव की प्रतिक्रिया:
वैष्णव ने इस बयान को “तथ्यात्मक रूप से गलत” बताया।
उन्होंने कहा कि भारत में मेटा जैसे बड़े प्लेटफॉर्म को जिम्मेदारी के साथ अपने बयान देने चाहिए।
मेटा इंडिया की प्रतिक्रिया:
मेटा इंडिया के उपाध्यक्ष शिवनाथ ठुकराल ने भारत सरकार से माफी मांगते हुए कहा:
“मार्क जुकरबर्ग का बयान भारत के संदर्भ में गलत था।”
“हम अनजाने में हुई इस भूल के लिए माफी मांगते हैं। भारत मेटा के लिए हमेशा महत्वपूर्ण रहेगा।”
भारत की बढ़ती ताकत और कंपनियों की जवाबदेही
भारत अब एक वैश्विक ताकत बनकर उभर रहा है, और यह घटनाएं इस बात का प्रमाण हैं कि दुनिया के बड़े नाम अब भारत की प्रतिष्ठा और संवेदनाओं को नजरअंदाज नहीं कर सकते।
हिंडनबर्ग के मामले में: यह दिखाता है कि बिना तथ्यात्मक साक्ष्यों के लगाए गए आरोप लंबे समय तक नहीं टिक सकते।
मेटा के मामले में: टेक दिग्गजों को यह समझना होगा कि भारत जैसे बड़े बाजार में किसी भी बयान या नीति का प्रभाव गहरा हो सकता है।
निष्कर्ष
24 घंटे में मेटा और हिंडनबर्ग द्वारा लिए गए ये कदम यह दर्शाते हैं कि भारत अब सिर्फ एक बाजार नहीं, बल्कि एक ऐसी ताकत है जिसे अनदेखा करना मुश्किल है।
मेटा का माफी मांगना यह साबित करता है कि भारत के लिए अंतरराष्ट्रीय कंपनियों का रवैया अब जिम्मेदार होना चाहिए।
वहीं, हिंडनबर्ग का शटर डाउन होना यह संदेश देता है कि तथ्यात्मक साक्ष्यों के बिना किसी के खिलाफ आरोप लगाना महंगा पड़ सकता है।
भारत ने अपने रुख और दबदबे से यह साबित कर दिया है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उसकी उपस्थिति अब और मजबूत हो चुकी है।
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