Lohri Celebration – लोहड़ी क्यों मनाई जाती है: जानें लोहड़ी का महत्व और उसका अर्थ
Lohri Celebration – लोहड़ी, मकर संक्रांति से पहले वाली रात को मनाया जाने वाला एक प्रसिद्ध पंजाबी पर्व है। यह पर्व विशेष रूप से पंजाब, हरियाणा और उत्तर भारत के कुछ हिस्सों में धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन को लेकर एक खास मान्यता और परंपरा जुड़ी हुई है, जिसके कारण लोहड़ी को खास महत्व प्राप्त है।
लोहड़ी का अर्थ
लोहड़ी शब्द का अर्थ होता है “ल (लकड़ी) + ओह (गोहा यानी सूखे उपले) + ड़ी (रेवड़ी)।” इस पर्व का आयोजन मुख्य रूप से सूर्योदय से पहले की रात को किया जाता है। इस दिन लोग लकड़ी, उपले और रेवड़ी की सामग्री एकत्रित कर, एक स्थान पर आग जलाते हैं और आसपास के लोग मिलकर इस आग के आसपास नृत्य करते हैं। लोहड़ी का यह पर्व, विशेष रूप से नए साल की शुरुआत का प्रतीक है, जो खुशी और समृद्धि का संदेश देता है।
लोहड़ी का उत्सव
लोहड़ी का उत्सव पूरे जोश और उत्साह के साथ मनाया जाता है। लोग बच्चों को लेकर ‘लोहड़ी गीत’ गाते हुए लकड़ी और सूखे उपले इकट्ठे करते हैं। यह सामग्री गांव के किसी खुले स्थान पर रखकर आग जलाते हैं। इस समय लोग पारंपरिक गीत गाते हैं, जैसे कि “ओए होए, होए, बारह वर्षी खडन गया सी, खडके लेआंदा रेवड़ी…” और साथ ही ढोल की थाप पर नृत्य करते हैं।
लोहड़ी का यह दिन आनंद और उल्लास का प्रतीक होता है, जहां लोग एक-दूसरे को बधाई देते हैं और घर-घर मिठाई, रेवड़ी और मूंगफली बांटी जाती है। खासकर तिल के लड्डू और ड्राईफ्रूट्स भी इस दिन का अहम हिस्सा होते हैं। इसके अलावा, यह पर्व परिवार के बुजुर्गों के साथ मान्यताओं और पारंपरिक रीति-रिवाजों को भी याद करने का अवसर है।
लोहड़ी में प्रसाद की परंपरा
लोहड़ी की रात में जलती हुई आग में गोबर के उपले, तिल, गुड़, रेवड़ी और मूंगफली चढ़ाए जाते हैं, जिन्हें बाद में प्रसाद के रूप में बांटा जाता है। पंजाबी समाज में यह परंपरा है कि लोग लोहड़ी के दिन जलती आग से 2-4 दहकते हुए कोयले घर लेकर आते हैं, जिन्हें वे शुभ माना जाता है। इस दिन लोग अपनों के घर जाकर बधाई देते हैं और पारंपरिक लोहड़ी गीत गाते हैं।
धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व
लोहड़ी केवल एक सांस्कृतिक उत्सव नहीं है, बल्कि यह धार्मिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। लोहड़ी और मकर संक्रांति एक-दूसरे से जुड़ी हुई हैं। जहां लोहड़ी के दिन शाम को आग जलाकर पूजा की जाती है, वहीं अगले दिन मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है। मकर संक्रांति के दिन सूर्य के उत्तरायण होने के कारण इसे एक धार्मिक यज्ञ के रूप में देखा जाता है, जो पूरे साल की खुशहाली और समृद्धि का प्रतीक है।
लोहड़ी का पारंपरिक उत्सव
लोहड़ी पर लोग खासतौर पर ढोल, नगाड़े और विभिन्न संगीत वाद्ययंत्रों के साथ नृत्य करते हैं। गिद्दा और भांगड़ा नृत्य इस दिन का प्रमुख आकर्षण होते हैं, जो लोगों के उत्साह को और बढ़ाते हैं। बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक सभी इस खुशी में शामिल होते हैं और पूरे गांव में रंग-बिरंगी लोहड़ी की छटा दिखाई देती है।
समापन
लोहड़ी का यह पर्व न केवल एक पारंपरिक उत्सव है, बल्कि यह परंपराओं और रीति-रिवाजों को आगे बढ़ाने का एक तरीका भी है। इस दिन के आयोजन से न सिर्फ खुशी मिलती है, बल्कि यह हमें हमारे धार्मिक और सांस्कृतिक इतिहास से भी जोड़ता है।
लोहड़ी के इस पर्व को धूमधाम से मनाएं और अपने परिवार और दोस्तों के साथ खुशियों का आदान-प्रदान करें।
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