Lohri Festival Celebration Facts

Lohri Festival Celebration Facts – लोहड़ी उत्सव की परंपरा और मान्यताएं, जानें 10 खास बातें

Lohri Festival Celebration Facts – लोहड़ी उत्सव की परंपरा और मान्यताएं, जानें 10 खास बातें

Lohri Festival Celebration Facts – लोहड़ी का पर्व भारतीय संस्कृति में विशेष महत्व रखता है और खासकर पंजाब, हरियाणा और कुछ अन्य हिस्सों में धूमधाम से मनाया जाता है। यह पर्व सर्दियों के बाद बसंत ऋतु के आगमन की खुशी में मनाया जाता है।

आइए जानें लोहड़ी उत्सव के बारे में 10 खास बातें:

कब मनाते हैं लोहड़ी

लोहड़ी पर्व मकर संक्रांति के आसपास या कभी-कभी मकर संक्रांति के दिन मनाया जाता है। यह पर्व पौष महीने की आखिरी रात यानी 13 जनवरी को मनाया जाता है, जो बसंत के आगमन का प्रतीक है। अगले दिन माघी और माघ महीने की संक्रांति का पर्व मनाया जाता है।

लोहड़ी का अर्थ

लोहड़ी शब्द ‘तिल’ और ‘रोड़ी’ (गुड़ की रोड़ी) से बना है, जो बाद में लोहड़ी में परिवर्तित हो गया। मकर संक्रांति के दिन तिल और गुड़ खाने की परंपरा है, जो इस पर्व की अहमियत को दर्शाती है। पंजाब के कुछ क्षेत्रों में इसे ‘लोई’ या ‘लोही’ भी कहा जाता है।

अग्नि के आसपास उत्सव

लोहड़ी की रात लोग लकड़ी जलाकर अग्नि के चारों ओर चक्कर लगाते हैं और नाचते-गाते हुए रेवड़ी, मूंगफली, खील और मक्की के दाने अग्नि में अर्पित करते हैं। यह आग की परिक्रमा करते समय वातावरण में गर्मी और आनंद का अनुभव होता है।

लोहड़ी का आधुनिक रूप

समय के साथ लोहड़ी के मनाने का तरीका बदल गया है। अब पारंपरिक पहनावे और पकवानों के साथ-साथ आधुनिकता भी इस उत्सव का हिस्सा बन चुकी है। लोग पारंपरिक रीति-रिवाजों से कम जुड़ते हैं, लेकिन उत्सव की खुशियां अब भी कायम हैं।

सुंदरी एवं मुंदरी से जुड़ा त्योहार

कहा जाता है कि यह पर्व संत कबीर की पत्नी लोई की याद में मनाया जाता है। साथ ही एक अन्य मान्यता है कि दुल्ला भट्टी नामक डाकू ने दो लड़कियों, सुंदरी और मुंदरी को राजा से बचाकर अच्छे लड़कों से उनकी शादी करवाई, और इस घटना की याद में लोहड़ी मनाई जाती है।

माता सती से जुड़ा त्योहार

पौराणिक मान्यता के अनुसार, लोहड़ी का पर्व सती के आत्मदाह के बाद मनाया जाता है, जब सती ने प्रजापति दक्ष के यज्ञ में शिव के अपमान से आहत होकर अपनी जान दे दी थी। इस दिन को श्रद्धांजलि अर्पित करने का प्रतीक माना जाता है।

फसल-मौसम का उत्सव

लोहड़ी का पर्व विशेष रूप से खेती और फसलों से जुड़ा हुआ है। यह दिन रबी की फसल कटाई और गन्ने, मूली की फसलों की बुआई के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। खेतों में सरसों के फूल भी इस समय खिलते हैं।

ईरान का चहार-शंबे सूरी

ईरान में भी एक समान पर्व ‘चहार-शंबे सूरी’ मनाया जाता है, जिसमें आग जलाकर उसमें मेवे अर्पित किए जाते हैं। लोहड़ी और ईरान का यह उत्सव बिल्कुल एक जैसा होता है, जो यह दर्शाता है कि यह परंपरा और संस्कृति एक वैश्विक उत्सव है।

विशेष पकवान

लोहड़ी के दिन खास पकवान बनाए जाते हैं जैसे गजक, रेवड़ी, मुंगफली, तिल-गुड़ के लड्डू, मक्का की रोटी और सरसों का साग। बच्चे लोहड़ी के गीत गाते हुए लकड़ियां और मेवे इकट्ठा करते हैं, ताकि उत्सव का आनंद लिया जा सके।

नव वधू, बहन, बेटी और बच्चों का उत्सव

लोहड़ी पर्व विशेष रूप से नव-वधू, बहन, बेटी और बच्चों के लिए खास होता है। यदि किसी घर में नव-वधू या बच्चा हुआ हो, तो उन्हें विशेष रूप से बधाई दी जाती है। यह दिन खासतौर पर इन परिवारों के लिए शुभ माना जाता है।

निष्कर्ष

लोहड़ी का पर्व सिर्फ एक सांस्कृतिक उत्सव नहीं है, बल्कि यह एक उत्सव है जो पूरे परिवार और समुदाय को एक साथ लाता है। यह पर्व खुशी, समृद्धि और अच्छे स्वास्थ्य की कामना करते हुए ताजगी और नए मौसम के स्वागत का प्रतीक है।

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  • vikas gupta

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