Lohri Festival of Punjab – पंजाब के लोहड़ी उत्सव की 5 खास बातें
Lohri Festival of Punjab – लोहड़ी का त्योहार पंजाब और हरियाणा के प्रमुख त्योहारों में से एक है, जो विशेष रूप से मकर संक्रांति के आसपास मनाया जाता है। यह त्योहार न केवल कृषि से जुड़ा है बल्कि इसके साथ कई सांस्कृतिक और पारंपरिक मान्यताएँ भी जुड़ी हुई हैं।
आइए जानते हैं पंजाब के लोहड़ी उत्सव की 5 खास बातें:
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मौसम और फसल से जुड़ा त्योहार
लोहड़ी, बसंत ऋतु के आगमन का प्रतीक होता है। यह त्योहार 13 जनवरी को मनाया जाता है, जो पौष महीने की आखिरी रात होती है। इस दिन से पंजाब में मूली और गन्ने की फसल बोई जाती है। रबी की फसल की कटाई भी इस समय होती है, जिसे घर में इकट्ठा कर लिया जाता है। लोहड़ी का संबंध खेतों और कृषि से भी है, क्योंकि इस दिन किसानों की मेहनत का फल मिलना शुरू होता है।
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कैसे मनाते हैं यह त्योहार
लोहड़ी की रात को लोग लकड़ी जलाकर अग्नि के चारों ओर नाचते-गाते हैं और रेवड़ी, मूंगफली, खील, मक्की के दानों को अग्नि में अर्पित करते हैं। लोग इस आग के चारों ओर बैठकर गर्मी लेते हैं और आनंदपूर्वक पकवान खाते हैं। खासकर, गजक, रेवड़ी, मुंगफली, तिल-गुड़ के लड्डू और मक्का की रोटी बनती हैं। बच्चों द्वारा लोहड़ी के गीत गाकर लकड़ियां और मेवे इकट्ठा किए जाते हैं, और आधुनिकता के साथ कुछ बदलाव भी आए हैं, जैसे नए पकवान और पहनावे।
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क्या है पौराणिक मान्यता
लोहड़ी का पौराणिक महत्व भी गहरा है। इसे सती के त्याग के रूप में मनाया जाता है। कहा जाता है कि जब प्रजापति दक्ष के यज्ञ की आग में कूदकर शिव की पत्नी सती ने आत्मदाह कर लिया, तब से यह पर्व मनाया जाता है। साथ ही यह मान्यता भी है कि संत कबीर की पत्नी लोई की याद में भी लोहड़ी मनाई जाती है। इसके अलावा, दुल्ला भट्टी नामक डाकू ने राजा से बचाकर दो लड़कियों की शादी अच्छे लड़कों से करवाई, जिसे लोहड़ी से जोड़ा जाता है।
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नववधू, बहन, बेटी और बच्चों का उत्सव
लोहड़ी का उत्सव खासतौर पर नववधू, बहन, बेटी और बच्चों के लिए खास महत्व रखता है। पंजाब में, जब किसी घर में नई शादी होती है या बच्चा होता है, तो उन्हें विशेष रूप से बधाई दी जाती है। नववधू या बच्चे की पहली लोहड़ी बहुत महत्वपूर्ण होती है, और इस दिन बहन-बेटियों को घर बुलाकर उन्हें तिल-गुड़, रेवड़ी और अन्य पकवानों से सम्मानित किया जाता है।
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लोहड़ी का अर्थ
लोहड़ी शब्द पहले “तिलोड़ी” के रूप में जाना जाता था, जो तिल और रोड़ी (गुड़ की रोड़ी) के मेल से बना था। समय के साथ यह शब्द “लोहड़ी” के रूप में प्रचलित हुआ। मकर संक्रांति के दिन तिल-गुड़ खाने और बांटने की परंपरा का संबंध लोहड़ी से है। पंजाब के कुछ इलाकों में इसे “लोही” या “लोई” भी कहा जाता है।
लोहड़ी एक ऐसा त्योहार है जो पंजाब और हरियाणा के लोगों के दिलों में बसता है। यह सिर्फ एक कृषि उत्सव नहीं है, बल्कि एक सामाजिक और सांस्कृतिक पर्व है, जो परिवार और समुदाय के बीच संबंधों को मजबूत बनाता है।
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