Mig 29 Crash – मिग 29 क्रैश: पायलट की सतर्कता, ग्रामीणों का सहयोग और घटनास्थल पर का हाल
हाल ही में मिग 29 लड़ाकू विमान के क्रैश होने की घटना ने सभी का ध्यान आकर्षित किया। इस हादसे में पायलट विंग कमांडर मनीष मिश्रा ने पैराशूट की सहायता से विमान से कूदकर अपनी जान बचाई। जब वे खेत में उतरे, तो गांववालों ने उनकी मदद की और उन्होंने सबसे पहले जानना चाहा कि क्या उनका विमान आबादी वाले क्षेत्र से दूर गिरा है। यह पूरी घटना ग्रामीणों और पायलट के बीच के संवाद और घटनास्थल पर उपस्थित माहौल को दर्शाती है।
हादसे के बाद पायलट की प्राथमिकता: जनहानि का आंकलन
जब विंग कमांडर मनीष मिश्रा पैराशूट की मदद से जमीन पर उतरे, तो सबसे पहले उनके मन में यह सवाल आया कि क्या उनके विमान का मलबा किसी आबादी पर तो नहीं गिरा। वे ग्रामीणों के पास पहुंचे और सबसे पहले यह पूछने में रुचि दिखाई कि कहीं कोई जनहानि तो नहीं हुई। उनकी इस सतर्कता से यह स्पष्ट होता है कि वे कितने सजग और ज़िम्मेदार हैं।
ग्रामीणों ने बताया कि जैसे ही पायलट को विमान से नीचे उतरता देखा, वे उनके पास दौड़कर पहुंचे और उनकी मदद के लिए तत्पर हो गए। पायलट को थोड़ा चोट भी आई थी, लेकिन उनकी प्राथमिकता अपने स्वास्थ्य से ज्यादा इस बात की थी कि कहीं दुर्घटना के कारण किसी और को नुकसान तो नहीं पहुंचा है।
ग्रामीणों का मानवीय समर्थन और तत्परता
पायलट की चिंता को समझते हुए, ग्रामीणों ने उन्हें पेड़ के नीचे चारपाई पर बिठाया और उनकी मदद करने का हर संभव प्रयास किया। किसान रूप सिंह, जो कि उस समय खेत में मौजूद थे, ने बताया कि जैसे ही उन्होंने पायलट को पैराशूट से उतरते हुए देखा, वे उनकी ओर दौड़ पड़े। विंग कमांडर के जी-सूट पर बंधी बेल्ट और अन्य उपकरणों को भी ग्रामीणों ने सावधानीपूर्वक हटाया, ताकि उन्हें राहत मिल सके।
ग्रामीणों ने उनसे यह भी कहा कि कोई गंभीर चोट नहीं है, जिससे विंग कमांडर को संतोष हुआ। पायलट ने गांव का नाम और घटना स्थल के बारे में भी जानना चाहा, ताकि उन्हें अपने स्थान की पूरी जानकारी हो सके और वे अपने वरिष्ठ अधिकारियों को सही सूचना दे सकें।
सहायता में जुटे गांव के अन्य लोग
घटना के कुछ ही मिनटों में, गांव के एक और निवासी विक्रम सिंह अपनी ईको वैन लेकर वहां पहुंचे। उन्होंने पायलट को तुरंत अपनी वैन में बिठाया और नजदीकी शहर अकोला तक पहुंचाया। रास्ते में सेना की एंबुलेंस ने उन्हें वहां पकड़ लिया, और फिर विंग कमांडर को एंबुलेंस में शिफ्ट किया गया।
विक्रम सिंह ने बताया कि विंग कमांडर ने रास्ते में अपने परिवार से संपर्क कर उन्हें अपनी सुरक्षा की जानकारी दी, जिससे उनके परिवार को भी राहत मिली। विक्रम सिंह मिलिट्री हॉस्पिटल तक उनके साथ ही रहे, जिससे यह साबित होता है कि ग्रामीणों ने इस कठिन समय में पायलट का पूरा साथ दिया।
घटनास्थल पर मिग 29 में लगी आग और उसकी स्थिति
इस दुर्घटना में विमान में आग लग गई थी, जो लगभग दो घंटे तक जलती रही। ग्रामीण हरेंद्र सिंह ने बताया कि शाम लगभग 4:30 बजे विमान में आग लग गई थी, और यह आग दो घंटे तक नहीं बुझी। यहां तक कि देर रात तक विमान सुलगता रहा और धुएं का गुबार उठता रहा।
ग्रामीणों ने अपने स्तर पर आग बुझाने का प्रयास किया और मिट्टी डालकर इसे शांत करने की कोशिश की। लेकिन आग का प्रचंड रूप और धमाके की आवाज ने उन्हें पीछे हटने पर मजबूर कर दिया। इस दौरान पूरे गांव में भय और चिंता का माहौल बना रहा, लेकिन ग्रामीणों ने अपनी सूझबूझ से स्थिति को संभालने का हर संभव प्रयास किया।
ग्रामीणों और पायलट का संवाद: सतर्कता और मानवता का परिचय
इस पूरी घटना के दौरान, पायलट और ग्रामीणों के बीच का संवाद उनकी सतर्कता और मानवीय मूल्यों का परिचय देता है। विंग कमांडर मनीष मिश्रा की प्राथमिकता जनहानि को रोकना थी, वहीं ग्रामीणों ने भी पूरी ईमानदारी से उनकी मदद की।
इस घटना ने यह भी दिखाया कि किस प्रकार एक सैनिक और आम नागरिक मिलकर एक कठिन परिस्थिति का सामना कर सकते हैं। पायलट की पहली चिंता थी कि कहीं उनके विमान के गिरने से किसी को नुकसान न पहुंचा हो, और दूसरी ओर ग्रामीणों ने भी अपना कर्तव्य निभाते हुए उनकी पूरी सहायता की।
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