New Income Tax Bill 2025: डिजिटल युग में कर अधिकारियों को मिलेगी नई ताकत
New Income Tax Bill 2025 में महत्वपूर्ण बदलाव किए जा रहे हैं, जो डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर कर चोरी पर काबू पाने के लिए एक बड़ा कदम हो सकते हैं। हालांकि, ये बदलाव निजता और डिजिटल स्वतंत्रता के मुद्दे को भी सामने ला सकते हैं।
क्या है नया बदलाव?
भारत सरकार अप्रैल 2026 से आयकर कानूनों में एक बड़ा संशोधन करने जा रही है, जिसके तहत कर अधिकारी अब बिना किसी पूर्व सूचना के डिजिटल प्लेटफॉर्म्स और ईमेल खातों की जांच कर सकेंगे। इसका उद्देश्य उन करदाताओं को पकड़ना है जो अपनी संपत्तियों और आय को डिजिटल माध्यमों में छिपाने की कोशिश करते हैं।
नए प्रावधानों का उद्देश्य
सरकार का कहना है कि इन संशोधनों का उद्देश्य आयकर कानूनों को अधिक पारदर्शी और प्रभावी बनाना है। इसमें करदाताओं की डिजिटल संपत्तियों और आय स्रोतों का पता लगाने की शक्ति कर अधिकारियों को दी जाएगी।
क्या है ‘वर्चुअल डिजिटल स्पेस‘?
वर्चुअल डिजिटल स्पेस में उन प्लेटफॉर्म्स को शामिल किया जाएगा, जहां करदाता अपनी आय और संपत्तियों से संबंधित जानकारी रखते हैं। इसमें शामिल हैं:
- ईमेल सर्वर: व्यक्तिगत या व्यावसायिक ईमेल खातों तक पहुंच।
- सोशल मीडिया अकाउंट्स: फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम, लिंक्डइन आदि।
- ऑनलाइन वित्तीय खाते: निवेश खाता, ट्रेडिंग अकाउंट, डिजिटल बैंकिंग सेवाएं आदि।
- संपत्ति स्वामित्व से जुड़ी वेबसाइट्स: ऐसे पोर्टल्स जहां किसी व्यक्ति की संपत्ति का विवरण होता है।
- रिमोट या क्लाउड सर्वर: डेटा स्टोरेज और अन्य ऑनलाइन सेवाएं।
- डिजिटल एप्लिकेशन प्लेटफॉर्म: फिनटेक और अन्य डिजिटल एप्लिकेशन।
- अन्य डिजिटल स्पेस: कोई भी ऑनलाइन सिस्टम जिसमें वित्तीय जानकारी हो।
कौन होंगे अधिकारी जो जांच सकते हैं?
इस विधेयक के तहत डिजिटल स्पेस तक पहुंच प्राप्त करने का अधिकार कुछ अधिकारियों को दिया गया है, जिनमें शामिल हैं:
- ज्वाइंट डायरेक्टर या एडिशनल डायरेक्टर
- ज्वाइंट कमिश्नर या एडिशनल कमिश्नर
- असिस्टेंट डायरेक्टर या डिप्टी डायरेक्टर
- असिस्टेंट कमिश्नर या डिप्टी कमिश्नर
- इनकम टैक्स ऑफिसर या टैक्स रिकवरी ऑफिसर
कानून कैसे करेगा काम?
- अगर कर अधिकारियों को आय या संपत्ति छिपाने का संदेह होता है, तो वे संबंधित डिजिटल प्लेटफॉर्म्स तक सीधा एक्सेस प्राप्त कर सकते हैं।
- पासवर्ड या सुरक्षा कोड कोई भी बाधा नहीं बनेगा, और अधिकारी सीधे खाते की जांच कर सकेंगे।
- इससे डिजिटल लेन-देन और ऑनलाइन निवेश की सख्त निगरानी की जा सकेगी।
- संदेहास्पद गतिविधियों के मामले में, अधिकारी डिजिटल साक्ष्य जब्त कर सकते हैं और आगे की जांच कर सकते हैं।
निजता पर सवाल
इस प्रावधान से एक ओर जहां सरकार को कर चोरी रोकने में मदद मिल सकती है, वहीं दूसरी ओर यह निजता और डिजिटल स्वतंत्रता के अधिकार पर सवाल उठा सकता है। करदाताओं को इस नए नियम से कितनी सहूलियत मिलेगी, यह भविष्य में देखा जाएगा।
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