One Nation One Election: कई फायदे, लेकिन शुरुआत में आएंगी आर्थिक चुनौतियां; जानिए किन देशों में पहले से है लागू
One Nation One Election: भारत में One Nation One Election (एक देश एक चुनाव) की व्यवस्था को लागू करने के लिए सरकार ने कदम उठाए हैं। इस व्यवस्था से जुड़े विधेयक को लोकसभा से मंजूरी मिल चुकी है, लेकिन इसके पूरी तरह से लागू होने में समय लगेगा। विशेषज्ञों का मानना है कि लोकसभा और सभी विधानसभाओं के चुनाव 2034 में एक साथ हो सकते हैं।
कैसे हुआ एक साथ चुनाव का विचार? भारत में पहले भी लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ होते थे, जैसे 1951-52 में, लेकिन 1967 के बाद ये परंपरा टूट गई।
2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में One Nation One Election का मुद्दा फिर से उभरा, और 2015 में लॉ कमीशन ने इसे लागू करने की सिफारिश की। इसके बाद, 2023 में पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई गई, जो इस योजना की व्यवहार्यता पर विचार कर रही थी।
One Nation One Election के फायदे: कोविंद कमेटी ने इस व्यवस्था के कई फायदे गिनाए:
राजनीतिक स्थिरता: एक साथ चुनावों से शासन में निरंतरता आएगी, जिससे सरकारें अधिक समय तक जनकल्याणकारी नीतियां लागू कर पाएंगी।
वित्तीय बचत: चुनावों के खर्च में कमी आएगी, क्योंकि बार-बार चुनाव कराने से जुड़ी लागत घट जाएगी।
प्रशासनिक दक्षता: चुनावों के दौरान आदर्श आचार संहिता लागू होने से प्रशासनिक गतिविधियां रुक जाती हैं, लेकिन एक साथ चुनाव कराने से इसकी अवधि घटेगी, जिससे प्रशासन की कार्य क्षमता बढ़ेगी।
सुरक्षा और मैनपावर: चुनाव आयोग का कहना है कि एकसाथ चुनाव से सुरक्षा बलों और कर्मियों की तैनाती में कमी आएगी, जिससे संसाधनों की बचत होगी।
दुनिया के पांच देश जहां यह व्यवस्था लागू है:
- दक्षिण अफ्रीका
- स्वीडन
- इंडोनेशिया
- फिलीपींस
- बेल्जियम
शुरुआत में आएंगी चुनौतियां: चुनाव आयोग के अनुसार, शुरुआत में इस व्यवस्था को लागू करने में आर्थिक और अन्य चुनौतियां हो सकती हैं:
ईवीएम की खरीद: पहले चरण में ईवीएम की खरीद पर डेढ़ लाख करोड़ रुपये खर्च होंगे। 2024 के लोकसभा चुनावों पर करीब 1 लाख करोड़ रुपये खर्च हुए थे।
सुरक्षा बलों की संख्या में बढ़ोतरी: 2034 में अगर एक साथ चुनाव होते हैं, तो सुरक्षा बलों की संख्या में 50% बढ़ोतरी करनी पड़ेगी, यानी लगभग 7 लाख अतिरिक्त कर्मियों की आवश्यकता होगी।
इस योजना के लागू होने के बाद देश में चुनाव प्रक्रिया को स्थिरता मिलेगी, लेकिन शुरुआत में इसके लिए भारी वित्तीय और प्रशासनिक तैयारियां करनी होंगी।
Thanks for visiting – Chandigarh News