बच्चों को दब्बू बना सकता है जरूरत से ज्यादा प्यार, Plastic Wrap Parenting के हो सकते हैं कई नुकसान
आजकल बच्चों की परवरिश एक चुनौतीपूर्ण कार्य बन चुकी है। बदलते समय, लाइफस्टाइल, और समाजिक बदलावों के कारण पेरेंटिंग के तरीकों में भी बदलाव आ रहा है। इन दिनों एक खास पेरेंटिंग स्टाइल, Plastic Wrap Parenting, काफी लोकप्रिय हो रही है। लेकिन यह तरीका बच्चों के मानसिक और भावनात्मक विकास पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।
क्या है Plastic Wrap Parenting?
Plastic Wrap Parenting वह तरीका है जिसमें पेरेंट्स अपने बच्चों को हर तरह की मुश्किल से बचाने की कोशिश करते हैं। इसमें बच्चे को ओवरप्रोटेक्ट किया जाता है और पेरेंट्स उनकी हर छोटी-बड़ी जरूरत का ध्यान रखते हैं, ताकि उन्हें किसी भी प्रकार की परेशानी का सामना न करना पड़े। इसका उद्देश्य बच्चों को सुरक्षित और संरक्षित रखना होता है, लेकिन इसकी जड़ें भावनात्मक विकास में कमी ला सकती हैं।
Plastic Wrap Parenting के नुकसान
बच्चे का पर्सनेलिटी डेवलपमेंट कमजोर होता है
ओवरप्रोटेक्टिव पेरेंट्स बच्चों को बाहरी दुनिया की चुनौतियों से बचाते हैं, जिससे उनके पर्सनेलिटी और आत्मनिर्भरता में कमी आती है। वे खुद से निर्णय लेने में सक्षम नहीं हो पाते।
फैसला लेने में मुश्किल होती है
इस तरह की पेरेंटिंग से पले-बढ़े बच्चे फैसला लेने की क्षमता में कमजोर हो जाते हैं। वे हर छोटी समस्या में अपने पेरेंट्स पर निर्भर रहते हैं और अपनी समस्याओं का समाधान खुद से ढूंढने में असमर्थ होते हैं।
कोपिंग मैकेनिज्म कमजोर होता है
ऐसे बच्चों को मुसीबतों से निपटने के लिए संघर्ष करना पड़ता है। उन्हें कभी भी विफलता का सामना नहीं करने दिया जाता, जिससे जब उन्हें असफलता मिलती है, तो वे उसे सही तरीके से स्वीकार नहीं कर पाते।
एंग्जायटी और डिप्रेशन की समस्या
जब ये बच्चे बड़े होते हैं, तो वे अपने पार्टनर या समाज में भी निर्भर रहने की आदत डाल लेते हैं। इसके परिणामस्वरूप, उन्हें चिंता (एंग्जायटी) और मानसिक दबाव का सामना करना पड़ सकता है, खासकर जब उनकी उम्मीदें पूरी नहीं होतीं।
सोशल और इमोशनल स्किल्स में कमी
प्लास्टिक रैप पेरेंटिंग के कारण बच्चे सोशल और इमोशनल स्किल्स में कमजोर हो सकते हैं। वे नए लोगों के साथ बातचीत करने में संकोच कर सकते हैं और सामाजिक स्थिति में सहज महसूस नहीं करते।
प्लास्टिक रैप पेरेंटिंग से बचने के उपाय
बच्चों से खुलकर बात करें
बच्चे को उनके भावनाओं और समस्याओं के बारे में बात करने का अवसर दें, ताकि वे अपनी भावनाओं को बेहतर तरीके से व्यक्त कर सकें।
घरेलू कामों में मदद दिलाएं
बच्चों को घर के कामों में शामिल करें। इससे उनके मोटर और सेंसरी स्किल्स में सुधार होगा और वे जिम्मेदारी का एहसास करेंगे।
संघर्ष से डरें नहीं
बच्चों को जीवन की कठिनाइयों से न भागने दें। उन्हें थोड़ी बहुत परेशानी का सामना करने दें ताकि वे जीवन के विभिन्न पहलुओं को समझ सकें और उनका सामना कर सकें।
किसी एक्सपर्ट से मार्गदर्शन लें
अगर आपको लगे कि आपके बच्चे को पेरेंटिंग से जुड़ी समस्याएं आ रही हैं, तो किसी एक्सपर्ट से सलाह लें। वे आपकी मदद कर सकते हैं और बच्चों को सही दिशा में मार्गदर्शन दे सकते हैं।
Plastic Wrap Parenting से बचने के लिए बच्चों को स्वावलंबी और आत्मनिर्भर बनाने की कोशिश करें। इससे न केवल उनका मानसिक विकास होगा, बल्कि वे जीवन की कठिनाइयों का सामना भी आत्मविश्वास से कर पाएंगे।
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