Rules for Mahakumbh Mela – कुंभ में संगम में डुबकी लगाने से पहले जान लें ये 3 महत्वपूर्ण नियम, वरना नहीं मिलेगा पूरा पुण्य
Rules for Mahakumbh Mela – महाकुंभ 2025 में लाखों श्रद्धालु संगम में स्नान के लिए आते हैं। यह अवसर न केवल धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह एक पवित्र यात्रा भी मानी जाती है, जिससे पापों से मुक्ति और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
लेकिन क्या आप जानते हैं कि कुंभ में संगम में स्नान करने से पहले कुछ विशेष नियमों का पालन करना आवश्यक है? अगर इन नियमों का पालन नहीं किया जाता, तो स्नान का पुण्य लाभ अधूरा हो सकता है।
आइए जानें ये नियम:
कुंभ स्नान के नियम:
पहला नियम: गृहस्थों को पांच बार डुबकी लगानी चाहिए
मान्यता: गृहस्थ व्यक्ति को कुंभ स्नान के दौरान पांच बार डुबकी लगानी चाहिए। यह डुबकी आपके पिताजी, माता जी, गुरु, कुल देवता और स्वयं के लिए होती है। इस प्रकार, प्रत्येक डुबकी एक विशेष उद्देश्य के साथ ली जाती है:
- पहली डुबकी अपने पिता के लिए
- दूसरी डुबकी अपनी माँ के लिए
- तीसरी डुबकी अपने गुरु के लिए
- चौथी डुबकी अपने कुल देवता के लिए
- पांचवी डुबकी स्वयं के लिए
दूसरा नियम: कभी भी नागा साधु से पहले स्थान नहीं लेना चाहिए
मान्यता: कुंभ मेले में नागा साधुओं को विशेष स्थान प्राप्त होता है। उन्हें सम्मानित संत माना जाता है, और उनका स्थान सर्वोत्तम माना जाता है। इसलिए कभी भी नागा साधु से पहले संगम में स्नान नहीं करना चाहिए। ऐसा करना अपशकुन माना जाता है और यह पुण्य के मार्ग में विघ्न डाल सकता है।
तीसरा नियम: स्नान के बाद सूर्य को अर्घ्य देना चाहिए
मान्यता: कुंभ स्नान के बाद सूर्य देव को अर्घ्य देना बहुत शुभ माना जाता है। इससे न केवल पापों का नाश होता है, बल्कि जीवन में सफलता और समृद्धि भी आती है। सूर्य को अर्घ्य देने से सकारात्मक ऊर्जा मिलती है और जीवन के कष्ट दूर होते हैं।
कुंभ मेला का महत्व:
कुंभ मेला सिर्फ धार्मिक आयोजन नहीं है, बल्कि यह एक सामाजिक और सांस्कृतिक प्रतीक भी है। यहाँ देश-विदेश से लोग एकत्रित होते हैं और एक साथ मिलकर धार्मिक अनुष्ठान करते हैं, जो सामाजिक एकता का प्रतीक है।
निष्कर्ष:
कुंभ स्नान एक पवित्र प्रक्रिया है, और यदि आप इन नियमों का पालन करते हैं, तो इसका फल आपको निश्चित रूप से मिलेगा। कुंभ मेला में भाग लेने से पहले इन नियमों को ध्यान में रखें, ताकि आप पूरी श्रद्धा और सम्मान के साथ इस पवित्र अनुष्ठान का अनुभव कर सकें।
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