Sangharsh ki Kahani - जातिवाद का अंत

Sangharsh ki Kahani – जातिवाद का अंत

Sangharsh ki Kahani – जातिवाद का अंत

Sangharsh ki Kahani – एक गाँव में जातिवाद का गहरा प्रभाव था। गाँव के लोग जाति के आधार पर एक-दूसरे से भेदभाव करते थे। ऊँची जाति के लोग खुद को श्रेष्ठ मानते और निम्न जाति के लोगों के साथ अछूतों जैसा व्यवहार करते। इस विषमतापूर्ण समाज में मोहन नाम का एक लड़का रहता था। वह निम्न जाति से था, लेकिन अपने भीतर असीम प्रतिभा और दृढ़ता रखता था।

मोहन का संघर्ष

मोहन को बचपन से ही अपमान का सामना करना पड़ा। स्कूल में उसके साथ भेदभाव होता और समाज में उसे नीचा दिखाया जाता। लोग अक्सर कहते, “तू निम्न जाति का है, बड़ा आदमी बनने के सपने मत देख।” परंतु मोहन ने इन तानों को अपनी कमजोरी नहीं, बल्कि ताकत बनाया।

उसने ठान लिया कि वह शिक्षा के माध्यम से अपनी पहचान बनाएगा। कठिन परिस्थितियों और संसाधनों की कमी के बावजूद, मोहन ने जी-तोड़ मेहनत की। पढ़ाई के लिए वह मीलों पैदल चलता और अंधेरे में दीये की रोशनी में पढ़ाई करता।

राजेश का विशेषाधिकार

उसी गाँव में राजेश नाम का लड़का था, जो मुखिया का बेटा और ऊँची जाति का था। राजेश को हर सुविधा और अवसर जातिगत विशेषाधिकारों के कारण मिलते थे। वह मेहनत से दूर रहता और अपनी जाति के घमंड में डूबा रहता।

मोहन की सफलता

समय ने करवट ली। मोहन ने अपनी मेहनत और लगन से उच्च शिक्षा प्राप्त की और एक प्रतिष्ठित अधिकारी बन गया। जब वह गाँव लौटा, तो उसकी सफलता की चर्चा हर घर में होने लगी। लोग हैरान थे कि एक निम्न जाति का लड़का इतना बड़ा मुकाम कैसे हासिल कर सकता है।

गाँव के लोग, जो कभी उसे ताने देते थे, अब उसका सम्मान करने के लिए कतार में खड़े थे। उनमें मुखिया और उसका बेटा राजेश भी शामिल थे।

गाँव में बदलाव की शुरुआत

गाँव के चौपाल पर एक सभा बुलाई गई। मुखिया ने मोहन से कहा,

“तुमने साबित कर दिया कि जाति से कुछ नहीं होता। असली पहचान इंसान की मेहनत और काबिलियत से बनती है।”

मोहन ने मुस्कुराते हुए उत्तर दिया,

“हमें यह समझना चाहिए कि जाति, धर्म, या किसी भी अन्य भेदभाव से ऊपर इंसानियत है। हम सब एक ही मिट्टी से बने हैं। शिक्षा और अच्छे कर्म ही हमारी सच्ची पहचान हैं।”

जातिवाद का अंत

मोहन की बातों ने गाँववालों को गहराई से प्रभावित किया। उन्होंने जातिवाद को हमेशा के लिए त्यागने का निर्णय लिया। गाँव में सभी जातियों के लोग मिल-जुलकर काम करने लगे। अब वहाँ हर व्यक्ति को उसके कर्म और गुणों के आधार पर सम्मान मिलता था।

कहानी से शिक्षा

यह कहानी हमें सिखाती है कि:

  • जातिवाद एक अंधविश्वास है: यह समाज को बाँटता है और हमें कमजोर बनाता है।
  • शिक्षा सबसे बड़ा हथियार है: यह हर बाधा को पार करने और समाज में बदलाव लाने में सक्षम है।
  • मेहनत और काबिलियत: किसी इंसान की असली पहचान उसके कर्म और गुण होते हैं, न कि उसकी जाति।
  • समानता: एक समान समाज ही सच्ची प्रगति की निशानी है।

जातिवाद को त्यागकर ही हम एक बेहतर समाज का निर्माण कर सकते हैं।

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