Sone ki Kahani – सोने की चिड़ियाँ
Sone ki Kahani – एक बार ढोलकपुर जंगल में कू-कू कोयल बहुत मीठा गा रही थी। उसकी आवाज पूरे जंगल में फैल रही थी—”मैं हूँ कू-कू कोयल, गाती हूँ सुंदर मीठा-मीठा गाना। तुम सब भी सुनकर आ जाना, आ जाना आ जाना।” तभी उसकी आवाज सुनकर एक जादूगर वहाँ आता है और कहता है, “वाह, कू-कू कोयल, तुम्हारी आवाज सच में सोने जैसी है!”
जादूगर के मुंह से ये शब्द सुनकर वह चुपचाप एक जादू बोलता है और कहता है, “अब से, जब भी तुम गाओगी, और गाते वक्त तुम्हारे मुंह से पानी की एक भी बूंद गिरेगी, तो वह सोने में बदल जाएगी। लेकिन एक बात का ध्यान रखना—तुम कभी ऐसे लोगों के सामने गाना मत गाओ जो तुम्हें किसी नुकसान पहुंचा सकते हैं।”
जादूगर के जाने के बाद, कू-कू कोयल फिर से गाना गाने लगती है। तभी एक लोमड़ी, चम्पा, वहाँ आती है और कोयल का गाना सुनने लगती है। गाने के दौरान कू-कू कोयल के मुंह से एक बूंद पानी गिरती है, जो तुरंत सोने में बदल जाती है। चम्पा लोमड़ी खुशी से सोने को उठाकर भाग जाती है।
इसी बीच एक शिकारी वहाँ आता है और कू-कू कोयल का गाना सुनने लगता है। जैसे ही कू-कू के मुंह से एक और बूंद गिरती है, वह भी सोने में बदल जाती है। शिकारी सोचता है कि शायद आकाश से सोने की बारिश हो रही है।
वह उन सोने की बूंदों को उठाता जाता है, जब तक उसकी नजर कू-कू कोयल पर नहीं पड़ती। अब शिकारी को समझ में आता है कि यह सोना कू-कू के गाने से गिर रहा है। वह उसे पकड़ने की योजना बनाता है और धीरे-धीरे जाल फेंक कर कोयल को पकड़ लेता है।
कोयल जाल में फंसी हुई कहती है, “धत तेरी! जादूगर ने तो मुझसे कहा था कि मुझे दूसरों से बचकर रहना चाहिए था, और देखो, मैं अपनी लापरवाही से फंस गई।”
शिकारी कोयल को राजा के पास ले जाता है, सोचते हुए कि अगर वह राजा को यह कोयल दे देगा तो राजा उसे अपने महल में रहने का मौका देगा। राजा यह प्रस्ताव सुनकर खुश होता है, लेकिन मंत्री ने शंका जताई। उसने कहा, “क्या आपने कभी सुना है कि किसी चिड़िया के मुंह से सोना निकले?”
मंत्री की बात सुनकर राजा ने शिकारी से सोना दिखाने को कहा। जब कोयल से गाने को कहा गया, तो वह डर के मारे कुछ नहीं गाती। राजा गुस्से में आकर कोयल को जाल से निकालने का आदेश देता है। जाल से बाहर निकलते ही कू-कू कोयल फिर से गाना गाने लगती है और उसके मुंह से पानी गिरकर सोने में बदल जाता है।
राजा यह देख कर हैरान रह जाता है, लेकिन कू-कू कोयल फिर से कोई गलती नहीं करती और उड़कर सीधे ढोलकपुर जंगल वापस चली जाती है।
मोरल: इस कहानी से यह सिखने को मिलता है कि हमें हमेशा अपने बड़ों की सलाह माननी चाहिए और सतर्क रहना चाहिए, ताकि हम मुसीबत से बच सकें।
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