celebrate lohri – Chandigarh News https://chandigarhnews.net Latest Chandigarh News Thu, 02 Jan 2025 13:41:33 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.7.1 https://chandigarhnews.net/wp-content/uploads/2023/08/chandigarh-news-favicon-icon-1.jpg celebrate lohri – Chandigarh News https://chandigarhnews.net 32 32 Lohri Facts – लोहड़ी उत्सव के 10 रोचक तथ्य, जानिए https://chandigarhnews.net/lohri-facts/ https://chandigarhnews.net/lohri-facts/#respond Thu, 02 Jan 2025 17:30:13 +0000 https://chandigarhnews.net/?p=55865 Lohri Facts – लोहड़ी उत्सव के 10 रोचक तथ्य, जानिए Lohri Facts – लोहड़ी का पर्व पंजाबी संस्कृति का अभिन्न

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Lohri Facts – लोहड़ी उत्सव के 10 रोचक तथ्य, जानिए

Lohri Facts – लोहड़ी का पर्व पंजाबी संस्कृति का अभिन्न हिस्सा है, जिसे विशेष रूप से पंजाब और हरियाणा में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। यह पर्व कई प्रकार की मान्यताओं, परंपराओं और उत्सवों से जुड़ा हुआ है। आइए जानते हैं लोहड़ी के बारे में 10 रोचक तथ्य:

  1. त्योहार एक नाम अनेक

भारत के विभिन्न प्रांतों में मकर संक्रांति के आसपास कई प्रकार के त्योहार मनाए जाते हैं, जो मकर संक्रांति के विभिन्न रूप होते हैं। लोहड़ी उन्हीं में से एक है, जो खासकर पंजाब और हरियाणा में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है।

  1. लोहड़ी का अर्थ

लोहड़ी शब्द का पहले “तिलोड़ी” था, जो तिल और गुड़ की रोड़ी (गुड़ की मिठाई) के संयोजन से बना था। समय के साथ यह शब्द “लोहड़ी” के रूप में बदल गया। इस दिन तिल और गुड़ के साथ मिठाई बांटने की परंपरा भी है, जो अच्छे स्वास्थ्य और समृद्धि का प्रतीक मानी जाती है।

  1. कब मनाते हैं लोहड़ी

लोहड़ी पर्व हर साल 13 जनवरी को मनाया जाता है, जो बसंत ऋतु के आगमन का प्रतीक है। यह पर्व माघ महीने की संक्रांति से पहले की रात मनाया जाता है, और इसके अगले दिन माघी का त्योहार मनाया जाता है।

  1. अग्नि के आसपास उत्सव

लोहड़ी की रात को लोग लकड़ी जलाकर उसके चारों ओर चक्कर काटते हैं, नाचते-गाते हैं और आग में रेवड़ी, मूंगफली, खील और मक्की के दानों की आहुति देते हैं। यह एक धार्मिक और सांस्कृतिक क्रिया मानी जाती है, जिससे लोग सुख-शांति और समृद्धि की कामना करते हैं।

  1. विशेष पकवान

लोहड़ी के दिन कई प्रकार के खास पकवान बनते हैं, जिनमें गजक, रेवड़ी, मुंगफली, तिल-गुड़ के लड्डू, मक्का की रोटी और सरसों का साग प्रमुख होते हैं। इस दिन छोटे बच्चे लोहड़ी गीत गाकर लकड़ी, मेवे और रेवड़ी इकट्ठा करते हैं।

  1. नववधू, बहन, बेटी और बच्चों का उत्सव

लोहड़ी का उत्सव विशेष रूप से नववधू, बच्चों और बेटियों के लिए महत्वपूर्ण होता है। जो घर में नया सदस्य आता है, जैसे नववधू या बच्चा, उन्हें इस दिन विशेष बधाई दी जाती है। यह पर्व खुशियों और समृद्धि का प्रतीक होता है।

  1. उत्सव मनाने की मान्यता

कई मान्यताएं हैं जो लोहड़ी के साथ जुड़ी हुई हैं। एक मान्यता के अनुसार, यह पर्व संत कबीर की पत्नी लोई की याद में मनाया जाता है। वहीं दूसरी मान्यता के अनुसार, दुल्ला भट्टी नामक डाकू ने सुंदरी और मुंदरी नामक लड़कियों की शादी अच्छे लड़कों से करवाई थी, जो लोहड़ी के गीतों में वर्णित है।

  1. खेत खलिहान का उत्सव

लोहड़ी का संबंध खेती और फसल से भी है। इस दिन रबी की फसल काटकर घर में सुरक्षित रखी जाती है और सरसों के फूल खेतों में लहराते हैं। यह दिन कृषि समुदाय के लिए समृद्धि और मेहनत का प्रतीक होता है।

  1. पौराणिक मान्यता

पौराणिक मान्यता के अनुसार लोहड़ी का पर्व सती के आत्मदाह की याद में मनाया जाता है। कथानुसार, जब सती ने प्रजापति दक्ष के यज्ञ की आग में कूदकर आत्महत्या की थी, तब उसी दिन की याद में लोहड़ी मनाई जाती है।

  1. लोहड़ी का आधुनिक रूप

समय के साथ लोहड़ी मनाने का तरीका भी बदल गया है। अब लोग पारंपरिक पहनावे और पकवानों के अलावा आधुनिक तरीकों को भी अपनाने लगे हैं। इसके साथ ही, इस उत्सव में भाग लेने वाले लोगों की संख्या भी कम हो गई है।

  1. ईरान में भी मनाते हैं समान उत्सव

ईरान में भी नववर्ष का उत्सव इसी प्रकार मनाया जाता है। वहां इसे “चहार-शंबे सूरी” कहते हैं, जिसमें आग जलाकर मेवे अर्पित किए जाते हैं। यह पर्व पंजाबी लोहड़ी से बहुत समान है और इसे प्राचीन ईरान के उत्सव के रूप में माना जाता है।

समाप्ति लोहड़ी एक सांस्कृतिक और धार्मिक पर्व है, जो न सिर्फ खेती और फसल से जुड़ा है, बल्कि यह खुशी, समृद्धि और पारिवारिक बंधन को भी बढ़ावा देता है। यह पर्व हर साल नये उत्साह और उमंग के साथ मनाया जाता है।

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Lohri Celebration – लोहड़ी क्यों मनाई जाती है: जानें लोहड़ी का महत्व और उसका अर्थ

Lohri Celebration – लोहड़ी, मकर संक्रांति से पहले वाली रात को मनाया जाने वाला एक प्रसिद्ध पंजाबी पर्व है। यह पर्व विशेष रूप से पंजाब, हरियाणा और उत्तर भारत के कुछ हिस्सों में धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन को लेकर एक खास मान्यता और परंपरा जुड़ी हुई है, जिसके कारण लोहड़ी को खास महत्व प्राप्त है।

लोहड़ी का अर्थ

लोहड़ी शब्द का अर्थ होता है “ल (लकड़ी) + ओह (गोहा यानी सूखे उपले) + ड़ी (रेवड़ी)।” इस पर्व का आयोजन मुख्य रूप से सूर्योदय से पहले की रात को किया जाता है। इस दिन लोग लकड़ी, उपले और रेवड़ी की सामग्री एकत्रित कर, एक स्थान पर आग जलाते हैं और आसपास के लोग मिलकर इस आग के आसपास नृत्य करते हैं। लोहड़ी का यह पर्व, विशेष रूप से नए साल की शुरुआत का प्रतीक है, जो खुशी और समृद्धि का संदेश देता है।

लोहड़ी का उत्सव

लोहड़ी का उत्सव पूरे जोश और उत्साह के साथ मनाया जाता है। लोग बच्चों को लेकर ‘लोहड़ी गीत’ गाते हुए लकड़ी और सूखे उपले इकट्ठे करते हैं। यह सामग्री गांव के किसी खुले स्थान पर रखकर आग जलाते हैं। इस समय लोग पारंपरिक गीत गाते हैं, जैसे कि “ओए होए, होए, बारह वर्षी खडन गया सी, खडके लेआंदा रेवड़ी…” और साथ ही ढोल की थाप पर नृत्य करते हैं।

लोहड़ी का यह दिन आनंद और उल्लास का प्रतीक होता है, जहां लोग एक-दूसरे को बधाई देते हैं और घर-घर मिठाई, रेवड़ी और मूंगफली बांटी जाती है। खासकर तिल के लड्डू और ड्राईफ्रूट्स भी इस दिन का अहम हिस्सा होते हैं। इसके अलावा, यह पर्व परिवार के बुजुर्गों के साथ मान्यताओं और पारंपरिक रीति-रिवाजों को भी याद करने का अवसर है।

लोहड़ी में प्रसाद की परंपरा

लोहड़ी की रात में जलती हुई आग में गोबर के उपले, तिल, गुड़, रेवड़ी और मूंगफली चढ़ाए जाते हैं, जिन्हें बाद में प्रसाद के रूप में बांटा जाता है। पंजाबी समाज में यह परंपरा है कि लोग लोहड़ी के दिन जलती आग से 2-4 दहकते हुए कोयले घर लेकर आते हैं, जिन्हें वे शुभ माना जाता है। इस दिन लोग अपनों के घर जाकर बधाई देते हैं और पारंपरिक लोहड़ी गीत गाते हैं।

धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व

लोहड़ी केवल एक सांस्कृतिक उत्सव नहीं है, बल्कि यह धार्मिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। लोहड़ी और मकर संक्रांति एक-दूसरे से जुड़ी हुई हैं। जहां लोहड़ी के दिन शाम को आग जलाकर पूजा की जाती है, वहीं अगले दिन मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है। मकर संक्रांति के दिन सूर्य के उत्तरायण होने के कारण इसे एक धार्मिक यज्ञ के रूप में देखा जाता है, जो पूरे साल की खुशहाली और समृद्धि का प्रतीक है।

लोहड़ी का पारंपरिक उत्सव

लोहड़ी पर लोग खासतौर पर ढोल, नगाड़े और विभिन्न संगीत वाद्ययंत्रों के साथ नृत्य करते हैं। गिद्दा और भांगड़ा नृत्य इस दिन का प्रमुख आकर्षण होते हैं, जो लोगों के उत्साह को और बढ़ाते हैं। बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक सभी इस खुशी में शामिल होते हैं और पूरे गांव में रंग-बिरंगी लोहड़ी की छटा दिखाई देती है।

समापन

लोहड़ी का यह पर्व न केवल एक पारंपरिक उत्सव है, बल्कि यह परंपराओं और रीति-रिवाजों को आगे बढ़ाने का एक तरीका भी है। इस दिन के आयोजन से न सिर्फ खुशी मिलती है, बल्कि यह हमें हमारे धार्मिक और सांस्कृतिक इतिहास से भी जोड़ता है।

लोहड़ी के इस पर्व को धूमधाम से मनाएं और अपने परिवार और दोस्तों के साथ खुशियों का आदान-प्रदान करें।

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