The post 21+ धन के बारे में चाणक्य निति – Chanakya Niti About Money appeared first on Chandigarh News.
]]>दोस्तों चाहे कोई जितना मर्जी कहे के धन सब कुछ नहीं होता, परन्तु आप सब भी जानते है के बिना धन के जीवन जीना कितना मुश्किल है. आपके पास धन होने से ही आपको ज्यादातर समस्याएं ख़तम हो जाती है. (Chanakya Niti About Money)
धन के बारे में आचार्य चाणक्य (Acharya Chankaya) जी की इन दस बातों को ध्यान से पढ़िए और अपने जीवन में उतारिये और खुद को आने वाली किसी भी प्रकार की मुसीबत से पहले से ही तैयार करके रखिये.
धन को सोच-समझकर खर्च करना चाहिए- चाणक्य के अनुसार व्यक्ति को धन व्यर्थ नहीं करना चाहिए। पैसे का इस्तेमाल तभी करना चाहिए जब बहुत जरूरी हो। अनावश्यक कार्यों पर धन का व्यय आगे चलकर आर्थिक संकट का कारण भी बनता है। चाणक्य नीति कहती है कि पूंजी के प्रयोग में बहुत सावधानी बरतनी चाहिए।
आइये जाने “धन के बारे में 10 चाणक्य निति”.
जितना हो सके धन की बचत करे क्योंकि कुछ नहीं पता के कब आप पर बुरा वक़्त आ जाए. अपने घर परिवार के लोगो की रक्षा करना भी आपका कर्त्तव्य है और ऐसे में अपने बचत के धन से उनकी रक्षा करनी पड़े तो बिना सोचे उस पैसे को खर्च कर देना चाहिए.
धन और संपदा जीवन के एक बेहद महत्वपूर्ण हिस्सा होता है, और यही है तो आपको मान सम्मान दिलवाता है, और आपको आपके जीवन में आणि वाली मुश्किलों से जूझने के लायक बनाता है.
ऐसा देश या जगह जहां पर लोगो के पास करने को काम ना हो, शिक्षा का अभाव हो और लोग एक दुसरे से मिलते जुलते ना हो, ऐसी जगह पर कभी नहीं रहना चाहिए. केवल ऐसी जगह पर रहना चाहिए जहा पर व्यापार हो, शिक्षक हो, पंडित हो, सैनिक हो, हॉस्पिटल जैसी अन्य सुविधाएं हो, केवल वही जगह रहने लायक होती है.
धन संपत्ति खोने पर बीवी की परीक्षा होती है, ज़रूर के समय मित्र की परीक्षा होती है, और किसी महत्वपूर्ण कार्य में नौकर की परीक्षा होती है. सच्चा पिता अपने घर परिवार का ख्याल रखता है और सच्चे घरवाले अपने पिता के आज्ञाकारी होते है. ईमानदारी से ही सचे दोस्तों और घरवालो की पहचान होती है. (Chanakya Niti)
धन के लिए मोह होना, प्रेम होना बेहद साधारण बात है, यह मनुष्य का स्वभाव है. परन्तु, बहुत अधिक मेहनत के बाद मिला धन, धरम को त्यागने पर मिला धन, अपने दुश्मनों की बात मानकर मिलने वाला धन, ऐसा धन किसी काम का नहीं है और ना ही ऐसे धन के लिए मोह रखना चाहिए.
जितना भी धनवान व्यक्ति है, वह किसी में आस्था ना रखता हो, गरीब की सेवा ना करता हो, भूखे को खाना ना खिलाता हो, ऐसे व्यक्ति को मोक्ष नहीं मिलता, वह केवल जनम और मरण के चक्कर में फसा रहता है. (Chanakya Niti)
गरीब होना और गरीबी में जीवन व्यतीत करना किसी विष से कम नहीं है. आज का किया दान अगले जनम में काम आता है. आज दान करोगे तो अगले जनम में गरीबी भोगने को नहीं मिलेगी.
अत्यंत घमंड की वजह से रावण मारा गगाया, अत्ति दान के कारण कर्ण मारा गया, अत्यधिक सुंदर होने के कारण माता सीता का अपहरण हुआ, और अत्यधिक दान आपको कंगाल बना सकता है. ऐसे में हर काम की एक सीमा निश्चित कीजिये, चाहे वह दान ही क्यों ना हो.
ऐसी जगह पर रहने के बारे में कभी विचार ना करे जहा लोग नियम कायदे ना मानते हो, जहा समझदार लोग ना रहते हो, जहा लोगो में दान पुण्य की भावना ना हो, ऐसी हो जगह पर कला का वास नहीं होता, और जहा कला नहीं होती वह धन भी नहीं होता. (Chanakya Niti)
आचार्य चाणक्य (Chanakya Niti) की अर्थनीति, कूटनीति और राजनीति तो सम्पूर्ण दुनिया में विश्वविख्यात है, जो के हर एक को प्रेरणा देने वाली है. ... कहा जाता है के आचार्य चाणक्य की नीतियां जो व्यक्ति समझकर अपने जीवन में उतार लेता है, उस व्यक्ति को सामाजिक एवं निजी सुखों में कभी कमी नहीं रहती है.
चाणक्य नीति | Chanakya Niti में 10 श्लोक है.
चाणक्य नीति या चाणक्य नीतिशास्त्र, चाणक्य द्वारा रचित एक नीति ग्रन्थ है।
पाटलिपुत्र की धरती ने चाणक्य जैसे महान चिंतक का विश्व से परिचय कराया तो वही आर्यभट्ट की कर्मभूमि भी मगध ही थी. गणितज्ञ आचार्य आर्यभट्ट ने ही दुनिया को पहली बार बताया था के पृथ्वी अपनी धुरी पर ही घूमती है. उन्होंने ही आर्किमिडीज़ से अधिक सटीक पाई का अनुमान भी बताया था.
अपने जीवन का लक्ष्य बनाइये, अपने एक साल का लक्ष्य बनाइये, अपने एक महीने का लक्ष्य बनाइये, अपने एक दिन का लक्ष्य बनाइये. छोटे छोटे लक्ष्य बनाने सीखो अगर बड़े लक्ष्य को हासिल करना है तो.
अपनी किसी भी प्रकार की कोई भी योजना के बारे में किसी से कोई बात नहीं करे, क्योंकि कोई ना कोई आपके लक्ष्य में बढ़ा डाल सकता है. अपने लक्ष्य बनाते रहिये, यही एक मार्ग है धन तक पहुँचाने का.
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि चाणक्य की शिक्षाएं और नीतियां प्राचीन भारत के संदर्भ में लिखी गई थीं और मुख्य रूप से राजनीतिक और सैन्य क्षेत्र में उपयोग के लिए अभिप्रेत थीं।
हालाँकि, यह भी ध्यान देने योग्य है कि चाणक्य की शिक्षाओं ने नैतिकता, नैतिकता और न्याय के महत्व पर बल दिया। उनका मानना था कि हिंसा या बल का प्रयोग केवल एक अंतिम उपाय होना चाहिए और इसे अधिक से अधिक अच्छाई द्वारा उचित ठहराया जाना चाहिए।
ऐसा कहा जा रहा है कि चाणक्य ने दुश्मनों से निपटने के लिए कुछ मार्गदर्शन प्रदान किया था। इस विषय पर उनकी कुछ शिक्षाएँ इस प्रकार हैं:
गौरतलब है कि जहां चाणक्य ने दुश्मनों से निपटने के लिए मार्गदर्शन प्रदान किया, वहीं उन्होंने जीवन के सभी पहलुओं में नैतिकता और नैतिकता के महत्व पर भी जोर दिया। उनका मानना था कि शासकों को न्याय और निष्पक्षता की भावना से निर्देशित होना चाहिए, और यह कि बल के उपयोग को अधिक अच्छे से न्यायोचित ठहराया जाना चाहिए।
चाणक्य नीति शासनकला, नैतिकता और अर्थशास्त्र पर एक प्राचीन भारतीय ग्रंथ है, जिसका श्रेय प्रसिद्ध विद्वान चाणक्य को जाता है। जबकि पाठ जीवन के विभिन्न पहलुओं पर मार्गदर्शन प्रदान करता है, यह स्पष्ट रूप से उल्लेख नहीं करता है कि किसकी मदद नहीं की जानी चाहिए।
हालाँकि, चाणक्य ने किसकी मदद करनी है और किससे बचना है, यह चुनने में विवेक और सावधानी के महत्व पर जोर दिया। सामान्य तौर पर, उन्होंने धोखेबाज, कृतघ्न, या दुष्ट लोगों की मदद करने के खिलाफ सलाह दी, क्योंकि वे न केवल आपको बल्कि लंबे समय में दूसरों को भी नुकसान पहुंचा सकते हैं।
इसके बजाय, उन्होंने उन लोगों की मदद करने का सुझाव दिया जो योग्य, ईमानदार और महान हैं, क्योंकि वे आपके प्रयासों की सराहना करते हैं और आवश्यकता पड़ने पर प्रतिफल देते हैं।
चाणक्य नीति, जिसे चाणक्य सूत्र के नाम से भी जाना जाता है, प्राचीन भारतीय दार्शनिक और राजनेता चाणक्य के लिए जिम्मेदार सूत्रों का संग्रह है। चाणक्य नीति के एक श्लोक में कहा गया है कि निम्नलिखित चार प्रकार के लोगों की मदद नहीं करनी चाहिए:
चाणक्य के अनुसार, इस प्रकार के लोगों की मदद करने से केवल स्वयं का ही नुकसान होगा, क्योंकि वे अपने तरीके बदलने की संभावना नहीं रखते हैं और बदले में आपको नुकसान भी पहुंचा सकते हैं। इसके बजाय, किसी को उन लोगों की मदद करने पर ध्यान देना चाहिए जो मदद के योग्य हैं और जो इसकी सराहना करेंगे और इससे लाभान्वित होंगे।
चाणक्य नीति के अनुसार दुष्ट व्यक्ति के कुछ लक्षण इस प्रकार हैं:
वे मीठा बोलते हैं लेकिन उनका एक छिपा हुआ एजेंडा होता है: एक दुष्ट व्यक्ति अक्सर आपका विश्वास हासिल करने के लिए चापलूसी और मीठी बातों का इस्तेमाल करेगा, लेकिन उनके असली इरादे स्वार्थी और हानिकारक हो सकते हैं।
चाणक्य के अनुसार, इन विशेषताओं के बारे में जागरूक होना और बुरे लोगों की संगति से बचना महत्वपूर्ण है, क्योंकि वे स्वयं को और दूसरों को नुकसान और क्षति पहुँचा सकते हैं।
शत्रुओं के इलाज के बारे में चाणक्य की सलाह है कि इनसे निपटने में बेहद सावधानी बरतनी चाहिए। वह निम्नलिखित सुझाव देता है:
कुल मिलाकर, चाणक्य इस बात पर जोर देते हैं कि अपने दुश्मनों से निपटने में रणनीतिक और सतर्क रहना चाहिए। हालांकि, वह यह भी सलाह देते हैं कि व्यक्ति को अपने शत्रुओं के प्रति आसक्त नहीं होना चाहिए, क्योंकि यह उनके स्वयं के मानसिक स्वास्थ्य और कल्याण के लिए हानिकारक हो सकता है।
चाणक्य नीति में, कई छंद हैं जो दुश्मनों पर विजय पाने के लिए मार्गदर्शन प्रदान करते हैं। पाठ के कुछ प्रमुख बिंदु निम्नलिखित हैं:
कुल मिलाकर, चाणक्य नीति किसी के दुश्मनों को हराने के लिए सावधानीपूर्वक योजना, रणनीतिक सोच और सुनियोजित जोखिम लेने की इच्छा के महत्व पर जोर देती है।
When it comes to dealing with enemies, Chanakya advises the following:
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि चाणक्य की शिक्षाओं की व्याख्या उनके ऐतिहासिक संदर्भ में की जानी चाहिए और उन्हें आधुनिक समय के कार्यों के लिए एक मार्गदर्शक के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए।
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