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Essay on Lohri – लोहड़ी पर निबंध

Essay on Lohri – लोहड़ी पर्व मकर संक्रांति से पहले वाली रात को सूर्यास्त के बाद मनाया जाने वाला एक प्रमुख भारतीय पर्व है, जो विशेष रूप से पंजाब प्रांत का त्यौहार है। इस पर्व का नाम “लोहड़ी” का अर्थ है—ल (लकड़ी) + ओह (गोहा यानी सूखे उपले) + ड़ी (रेवड़ी)। इस दिन लोग गोबर के उपलों की माला बनाकर मन्नत पूरी होने की खुशी में जलती हुई अग्नि में उन्हें अर्पित करते हैं, जिसे ‘चर्खा चढ़ाना’ कहा जाता है। लोहड़ी के इस पर्व को लेकर कई ऐतिहासिक और धार्मिक मान्यताएँ प्रचलित हैं।

कैसे मनाते हैं: लोहड़ी पर्व की शुरुआत बीस से पच्चीस दिन पहले ही हो जाती है, जब बच्चे लोहड़ी के लोकगीत गाते हुए घर-घर जाकर लकड़ी और उपले इकट्ठा करते हैं। इसके बाद इन सामग्री का उपयोग करके मोहल्ले के किसी खुले स्थान पर आग जलाते हैं। इस उत्सव को पंजाबी समाज बड़े जोश और उल्लास के साथ मनाता है। लोग लकड़ियाँ और उपले जलाकर अग्नि के चारों ओर नाचते-गाते हैं।

धार्मिक महत्व: लोहड़ी और मकर संक्रांति एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं और इनका सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व बहुत ज्यादा है। लोहड़ी के दिन जहाँ शाम के समय लकड़ी की ढेरी पर पूजा अर्चना करके लोहड़ी जलाई जाती है, वहीं अगले दिन मकर संक्रांति का स्नान करके लोग उस अग्नि से हाथ सेंकते हुए अपने घर लौटते हैं। इस प्रकार लोहड़ी पर जलाई जाने वाली अग्नि सूर्य के उत्तरायण होने के दिन का पहला सार्वजनिक यज्ञ मानी जाती है।

Essay on Lohri – लोहड़ी पर निबंध

गाने का महत्व: लोहड़ी के अवसर पर पंजाबी लोकगान बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। “ओए, होए, होए, बारह वर्षी खडन गया सी…” जैसे गाने लोहड़ी की खुशी में गाए जाते हैं। इस दिन लोग पारंपरिक गीतों के साथ नाचते हैं और अपने रिश्तेदारों को बधाई देते हैं। बदलते समय के साथ अब लोग समितियों के रूप में लोहड़ी मनाते हैं, और ढोल-नगाड़ों के साथ लोग उत्सव में भाग लेते हैं।

लोहड़ी की मिठास: लोहड़ी के दिन तिल के लड्डू, मिठाई, ड्राईफ्रूट्स और विशेष रूप से रेवड़ी और मूंगफली का महत्व है। इन चीजों को लोहड़ी के दौरान प्रसाद के रूप में वितरित किया जाता है। इस दिन लोग अपने परिवार और रिश्तेदारों के साथ इन चीजों का आनंद लेते हैं और जीवन की खुशहाली की कामना करते हैं।

लोहड़ी का आकर्षण: लोहड़ी मनाने के लिए लकड़ी की ढेरी पर सूखे उपले रखे जाते हैं, और उनके आसपास तिल, गुड़, रेवड़ी और मूंगफली का भोग अर्पित किया जाता है। इस दिन ढोल की थाप पर गिद्दा और भांगड़ा नृत्य विशेष आकर्षण का केंद्र होते हैं। पंजाबी समाज में इस पर्व की तैयारी कई दिनों पहले से शुरू हो जाती है।

उत्सव की मान्यता: लोहड़ी का संबंध विशेष रूप से कृषि से भी है, क्योंकि इस दिन से रबी की फसल की कटाई और नई फसल की शुरुआत होती है। इसके साथ ही यह पर्व नए घर में आई बहू या घर में जन्मे नए सदस्य की खुशी में भी मनाया जाता है। परिवार के सदस्य और रिश्तेदार एक-दूसरे को लोहड़ी की बधाई देते हैं और इस दिन खास तौर पर तिल-गुड़ का आदान-प्रदान किया जाता है।

उपसंहार: समय के साथ लोहड़ी के उत्सव में बदलाव आया है, लेकिन यह अभी भी एक बहुत महत्वपूर्ण पर्व है। इस दिन लोग पारंपरिक परिधान पहनकर ढोल की थाप पर नाचते हैं और अग्नि की पूजा करते हुए जीवन की सुख-समृद्धि के लिए आशीर्वाद मांगते हैं। लोहड़ी, एक उत्सव है जो न केवल आनंद और खुशी का प्रतीक है, बल्कि यह हमारे रीति-रिवाजों और परंपराओं को भी जीवित रखता है।

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