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Federal Reserve News – फेडरल रिजर्व ने फिर घटाई ब्याज दरें, जेरोम पॉवेल बोले- ट्रंप के कहने पर इस्तीफा नहीं देंगे

अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व ने एक बार फिर ब्याज दरों में कटौती की है, जिससे वैश्विक आर्थिक बाजारों में हलचल मच गई है। गुरुवार को फेडरल रिजर्व ने ब्याज दरों में 25 आधार अंकों (0.25%) की कटौती की घोषणा की। इससे बैंक की प्रमुख ब्याज दर अब घटकर 4.6% हो गई है, जो कि सितंबर में हुई बैंक की पिछली बैठक से पहले 5.3% थी। सितंबर में भी फेड ने ब्याज दरों में आधा प्रतिशत की कटौती की थी, जो उस समय तक के उच्च स्तर पर थी। इस तरह, कुछ ही महीनों में अमेरिकी केंद्रीय बैंक ने ब्याज दरों में लगातार कटौती करते हुए आर्थिक नीतियों में नरमी दिखाई है।

ब्याज दरों में कटौती के कारण

फेडरल रिजर्व का यह कदम महंगाई दर में कमी के चलते उठाया गया है। अमेरिका में अब महंगाई केंद्रीय बैंक के लक्ष्य, यानी 2%, के करीब आ गई है, जिससे फेडरल रिजर्व को ब्याज दरों में कटौती करने की गुंजाइश मिल रही है। मध्य 2022 में महंगाई दर पिछले चार दशकों के उच्चतम स्तर 9.1% पर पहुँच गई थी। लेकिन 2023 के सितंबर में यह घटकर 2.4% हो गई, जो फेड के लक्ष्यों के काफी करीब है। इससे अमेरिकी अर्थव्यवस्था में नरमी लाने के लिए फेडरल रिजर्व ने ब्याज दरों में राहत दी है ताकि आर्थिक विकास को स्थिर बनाए रखा जा सके।

महंगाई और राजनीतिक प्रभाव

करीब डेढ़ साल तक अमेरिका में महंगाई दर ऊँचे स्तर पर बनी रही। विशेषज्ञों का मानना है कि इस बढ़ती महंगाई का असर अमेरिकी राजनीतिक परिदृश्य पर भी पड़ा है। इस महंगाई ने नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की जीत में भी योगदान दिया, क्योंकि लोग महंगाई, महंगे लोन और खाद्य वस्तुओं की कीमतों से जूझ रहे थे। इन आर्थिक मुद्दों को ट्रंप ने अपने चुनाव प्रचार में प्रमुख रूप से उठाया, जिससे उन्हें लोगों का समर्थन मिला। ट्रंप की नीतियों के कारण उन्हें निम्न और मध्यम वर्ग का समर्थन प्राप्त हुआ, जो उच्च महंगाई से प्रभावित थे।

जेरोम पॉवेल का बयान: ट्रंप के कहने पर इस्तीफा नहीं देंगे

फेडरल रिजर्व के अध्यक्ष जेरोम पॉवेल ने अपने पद से इस्तीफा देने से इनकार कर दिया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि यदि डोनाल्ड ट्रंप, जो नवनिर्वाचित राष्ट्रपति हैं, उनसे इस्तीफा देने को कहेंगे, तो वे इस्तीफा नहीं देंगे। पॉवेल का कहना है कि फेडरल रिजर्व के सात गवर्नरों में से किसी को भी राष्ट्रपति द्वारा बर्खास्त नहीं किया जा सकता है, क्योंकि यह संवैधानिक रूप से स्वतंत्र संस्था है। उनका कार्यकाल 2026 में समाप्त हो रहा है, और वह इसके तहत अपने कर्तव्यों को पूरी निष्ठा से निभाना चाहते हैं।

ट्रंप और पॉवेल के बीच विवाद

ट्रंप ने अपने चुनावी अभियान के दौरान फेडरल रिजर्व और उसके अध्यक्ष जेरोम पॉवेल पर लगातार आरोप लगाए हैं। उन्होंने पॉवेल की नीतियों की आलोचना की और कई बार कहा कि पॉवेल की आर्थिक नीतियाँ अमेरिकी अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुँचा रही हैं। खासकर ब्याज दरों को लेकर ट्रंप ने पॉवेल को अपने निशाने पर रखा। यह ध्यान देने योग्य बात है कि ट्रंप ने ही पॉवेल को फेड के अध्यक्ष के पद पर नियुक्त किया था। इसके बावजूद, फेड की स्वतंत्र नीतियों के कारण ट्रंप को अक्सर फेड के फैसलों में हस्तक्षेप करने का मौका नहीं मिला है।

फेडरल रिजर्व का स्वतंत्र कार्यक्षेत्र

फेडरल रिजर्व के अध्यक्ष और गवर्नरों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है, लेकिन उनका कार्यकाल 14 वर्षों के लिए निर्धारित होता है, जिसमें राजनीतिक हस्तक्षेप की गुंजाइश नहीं होती। इसका उद्देश्य है कि फेडरल रिजर्व राजनीतिक दबाव से मुक्त रहकर मुद्रास्फीति और बेरोजगारी को संतुलित रखने वाली नीतियाँ बना सके। ट्रंप ने भी अपने चुनावी बयान में कहा कि वे फेड की नीतियों पर अपनी राय देने का अधिकार रखना चाहते हैं, लेकिन फेड का स्वतंत्रता से काम करने का दोहरा उद्देश्य है, जिसमें यह किसी भी राजनीतिक हस्तक्षेप से बचता है।

फेडरल रिजर्व को ब्याज दरों के बारे में स्वतंत्र निर्णय लेने का अधिकार प्राप्त है, जो अमेरिकी कांग्रेस द्वारा स्थापित है। इसके तहत फेड को मुद्रास्फीति और बेरोजगारी दोनों से निपटने का दोहरा जनादेश दिया गया है।

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