happy lohri – Chandigarh News https://chandigarhnews.net Latest Chandigarh News Thu, 02 Jan 2025 13:41:33 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.7.1 https://chandigarhnews.net/wp-content/uploads/2023/08/chandigarh-news-favicon-icon-1.jpg happy lohri – Chandigarh News https://chandigarhnews.net 32 32 Lohri ke Geet – लोहड़ी गीत और इसका महत्व https://chandigarhnews.net/lohri-ke-geet/ https://chandigarhnews.net/lohri-ke-geet/#respond Fri, 03 Jan 2025 14:50:02 +0000 https://chandigarhnews.net/?p=55941 Lohri ke Geet – लोहड़ी गीत और इसका महत्व Lohri ke Geet – लोहड़ी का त्योहार न केवल एक सांस्कृतिक

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Lohri ke Geet – लोहड़ी गीत और इसका महत्व

Lohri ke Geet – लोहड़ी का त्योहार न केवल एक सांस्कृतिक उत्सव है, बल्कि यह पंजाबी समाज की परंपराओं और रीति-रिवाजों का अभिन्न हिस्सा भी है।

इस पर्व में गीतों का विशेष महत्व होता है, जो न केवल उत्साह और खुशी का संचार करते हैं, बल्कि लोहड़ी के इतिहास और इसकी धार्मिकता को भी उजागर करते हैं। लोहड़ी के गीतों का मुख्य आकर्षण उन कहानियों में छिपा होता है जो पंजाब की लोककथाओं और परंपराओं को जीवित रखते हैं।

लोहड़ी गीत और उनका महत्व

लोहड़ी के गीतों में अधिकतर दुल्ला भट्टी की कहानी, खेतों की फसलों और समाजिक उत्सवों का वर्णन होता है। इन गीतों के माध्यम से लोग अपनी खुशी व्यक्त करते हैं और एक-दूसरे के साथ इस पर्व को मनाने की उमंग साझा करते हैं। लोहड़ी के गीतों की धुन में ढोल की आवाज और नृत्य की ताल बखूबी मेल खाती है, जो इस पर्व की विशेषता को दर्शाती है।

प्रमुख लोहड़ी गीत

लोहड़ी के गीत आमतौर पर बच्चों और युवाओं द्वारा गाए जाते हैं, जो घर-घर जाकर लकड़ी और उपले इकट्ठा करते हैं। इन गीतों में दुल्ला भट्टी की वीरता और उसकी लड़कियों की मदद की कहानी बयां की जाती है। एक प्रसिद्ध गीत है:

“सुंदर मुंदरीए होए

तेरा कौन बचारा होए

दुल्ला भट्टी वाला होए

तेरा कौन बचारा होए

दुल्ला भट्टी वाला होए”

इस गीत में दुल्ला भट्टी के बारे में बताया जाता है कि उसने गरीब लड़कियों को गुलामी से मुक्त किया और उनकी शादी करवाई। इस तरह के गीतों से न केवल पर्व की खुशी बढ़ती है, बल्कि यह समाज में नैतिकता और इंसानियत का संदेश भी देते हैं।

अतिरिक्त लोहड़ी गीत

लोहड़ी के पर्व पर कई अन्य गीत भी गाए जाते हैं, जिनका उद्देश्य घर-घर में खुशियां फैलाना और समृद्धि की कामना करना होता है। उदाहरण के लिए:

    “दे माई लोहड़ी, तेरी जीवे जोड़ी”

    “दे माई पाथी तेरा पुत्त चड़ेगा हाथी”

    “ईशर आए दलिदर जाए, दलिदर दी जड चूल्हे पाए”

इन गीतों का गाना न केवल परंपरा है, बल्कि यह बच्चों को समुदाय की संस्कृति और परंपराओं से जोड़ता है।

विशेष पकवान

लोहड़ी के दिन विशेष पकवान बनते हैं, जिनमें गजक, रेवड़ी, मुंगफली, तिल-गुड़ के लड्डू, मक्का की रोटी और सरसों का साग प्रमुख होते हैं। इन पकवानों का महत्व इस बात में है कि ये शीतलता प्रदान करते हैं और सूर्य के उत्तरायण होने के अवसर पर शरीर को ताजगी प्रदान करते हैं।

लोहड़ी के दिन बच्चे और युवा गीत गाकर लकड़ियां और अन्य सामग्रियां इकट्ठा करते हैं। यह परंपरा केवल पर्व को मनाने का तरीका नहीं है, बल्कि यह एक सामाजिक गतिविधि भी है, जिसमें सभी समुदाय के लोग भाग लेते हैं।

निष्कर्ष

लोहड़ी के गीतों का पर्व के साथ गहरा संबंध है। ये गीत न केवल त्योहार के आनंद को बढ़ाते हैं, बल्कि वे समाज में प्यार, भाईचारे और समृद्धि की भावना का भी प्रचार करते हैं। लोहड़ी के गीतों और परंपराओं के माध्यम से पंजाबी समाज अपनी सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित रखता है, और यह पर्व हर वर्ष नए उत्साह के साथ मनाया जाता है।

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Know How to Celebrate Lohri – कैसे मनाते हैं लोहड़ी, खुशियां और मिठास का पर्व: धार्मिक महत्व https://chandigarhnews.net/know-how-to-celebrate-lohri/ https://chandigarhnews.net/know-how-to-celebrate-lohri/#respond Fri, 03 Jan 2025 03:30:17 +0000 https://chandigarhnews.net/?p=55867 Know How to Celebrate Lohri – कैसे मनाते हैं लोहड़ी, खुशियां और मिठास का पर्व: धार्मिक महत्व Know How to

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Know How to Celebrate Lohri – कैसे मनाते हैं लोहड़ी, खुशियां और मिठास का पर्व: धार्मिक महत्व

Know How to Celebrate Lohri – लोहड़ी, एक प्रमुख पंजाबी पर्व, न केवल सांस्कृतिक बल्कि धार्मिक दृष्टिकोण से भी विशेष महत्व रखता है। यह पर्व मकर संक्रांति से पहले वाली रात को मनाया जाता है और सूर्य के उत्तरायण होने की शुरुआत का प्रतीक होता है। लोहड़ी का त्यौहार जहां एक ओर खुशी, उल्लास और भक्ति का प्रतीक है, वहीं इसका धार्मिक महत्व भी बहुत गहरा है।

लोहड़ी और मकर संक्रांति का संबंध

लोहड़ी का पर्व मकर संक्रांति के एक दिन पहले मनाया जाता है। मकर संक्रांति को सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण की दिशा में प्रवेश करता है, जिसे नए मौसम की शुरुआत माना जाता है। इस दिन लोहड़ी की अग्नि जलाकर लोग अपने पापों का नाश करने की कामना करते हैं और अपने घरों की खुशहाली के लिए प्रार्थना करते हैं। इस अग्नि को सूर्य के उत्तरायण होने का पहला सार्वजनिक यज्ञ माना जाता है।

लोहड़ी की पूजा और परंपराएं

लोहड़ी के दिन, लोग लकड़ी, उपले और रेवड़ी से भरी ढेरी जलाते हैं। इस अग्नि के चारों ओर लोग नृत्य करते हैं, गीत गाते हैं, और विशेष रूप से तिल, गुड़, रेवड़ी, मूंगफली आदि का भोग चढ़ाते हैं। इस अवसर पर ‘ढोल’ और ‘गिद्दा’ का आयोजन होता है, जो उत्सव के माहौल को और भी रोचक बनाते हैं।

लोहड़ी के गीत और नृत्य

लोहड़ी पर गाए जाने वाले गीतों में विशेष रूप से पंजाबी लोकगीत होते हैं, जैसे-

“ओए, होए, होए, बारह वर्षी खडन गया सी, खडके लेआंदा रेवड़ी…”

ये गीत लोहड़ी की खुशी और उत्साह को दर्शाते हैं। लोग इन गीतों के साथ-साथ ढोल की थाप पर नाचते हैं, जो इस पर्व के माहौल को और जीवंत कर देता है।

मिठास का पर्व: रेवड़ी और मूंगफली

लोहड़ी का पर्व मिठास से भरा हुआ होता है, खासकर रेवड़ी, मूंगफली और तिल के लड्डू का विशेष महत्व है। ये मिठाइयाँ परस्पर बधाई देने और रिश्तों को मजबूत करने का माध्यम बनती हैं। परिवार और रिश्तेदार एक-दूसरे को इन स्वादिष्ट चीजों से तौफे देते हैं, और इस परंपरा का पालन कई पीढ़ियों से किया जा रहा है।

लोहड़ी की सामाजिक और धार्मिक महत्ता

लोहड़ी का पर्व केवल एक त्योहार नहीं है, बल्कि यह एक मन्नत से जुड़ा हुआ त्योहार भी है। जब किसी घर में नई बहू आती है या घर में संतान का जन्म होता है, तो उस परिवार में लोहड़ी का उत्सव मनाया जाता है। इसके माध्यम से लोग अपनी खुशी और समृद्धि को अपने परिवार और समाज के साथ बांटते हैं।

लोहड़ी का आधुनिक रूप

समय के साथ लोहड़ी के आयोजन में बदलाव आया है, लेकिन इसके उत्साह में कोई कमी नहीं आई है। अब लोग आधुनिक तरीके से लोहड़ी मनाते हैं, लेकिन पारंपरिक रीति-रिवाजों का पालन आज भी किया जाता है। अब ढोल के साथ नृत्य करने और पारंपरिक मिठाइयाँ देने का रिवाज बदस्तूर कायम है।

निष्कर्ष

लोहड़ी न केवल एक खुशी का पर्व है, बल्कि यह धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर का भी प्रतीक है। यह पर्व मानवीय रिश्तों को मजबूत करता है, और लोगों के बीच भाईचारे, प्रेम और सद्भावना का संदेश देता है। इस पर्व के माध्यम से हम अपनी पुरानी परंपराओं को न केवल संजोते हैं, बल्कि नए पीढ़ी को भी इन्हें सिखाते हैं, ताकि यह धरोहर भविष्य में भी जीवित रहे।

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How to Celebrate Lohri – लोहड़ी का त्योहार कैसे मनाया जाता है? https://chandigarhnews.net/how-to-celebrate-lohri/ https://chandigarhnews.net/how-to-celebrate-lohri/#respond Fri, 03 Jan 2025 02:30:39 +0000 https://chandigarhnews.net/?p=55870 How to Celebrate Lohri – लोहड़ी का त्योहार कैसे मनाया जाता है? How to Celebrate Lohri – लोहड़ी एक प्रसिद्ध

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How to Celebrate Lohri – लोहड़ी का त्योहार कैसे मनाया जाता है?

How to Celebrate Lohri – लोहड़ी एक प्रसिद्ध पंजाबी त्योहार है, जो विशेष रूप से पंजाब, हरियाणा, दिल्ली और अन्य उत्तर भारतीय क्षेत्रों में मनाया जाता है। यह पर्व सर्दियों के अंत और बसंत के आगमन की खुशी में मनाया जाता है। यह त्योहार खासकर फसल कटाई के समय मनाया जाता है और मकर संक्रांति से पहले वाली रात को मनाया जाता है।

लोहड़ी की परंपराएं और रीति-रिवाज

तैयारी की शुरुआत: लोहड़ी का उत्सव कई दिनों पहले से ही शुरू हो जाता है। बच्चे और युवा अपनी टोली बनाकर घर-घर जाकर लोहड़ी के लोकगीत गाते हैं और लकड़ी, उपले (गोहा), रेवड़ी, मूंगफली और तिल इकट्ठा करते हैं। यह सामग्रियां लोहड़ी की अग्नि को समर्पित की जाती हैं।

आग जलाना और परिक्रमा: लोहड़ी के दिन, शाम को घर-घर से इकट्ठा की गई सामग्री को एक खुले स्थान पर रखा जाता है, जहां एक बड़ी आग जलाई जाती है। लोग इस अग्नि के चारों ओर चक्कर काटते हैं और नाचते-गाते हैं। इस दौरान वे रेवड़ी, मूंगफली, खील, मक्का और तिल को आग में समर्पित करते हैं। इस पूजन का उद्देश्य सकारात्मक ऊर्जा और समृद्धि की कामना करना होता है।

पारंपरिक भोजन और पकवान: लोहड़ी के दिन खास पकवान बनाए जाते हैं, जैसे:

  • गजक (तिल और गुड़ से बनी मिठाई)
  • रेवड़ी (गुड़ और तिल से बनी चिपचिपी मिठाई)
  • मूंगफली
  • मक्का की रोटी और सरसों का साग इन पकवानों का सेवन लोहड़ी की खुशी और समृद्धि को दर्शाता है।

नई शादी और बच्चे की पहली लोहड़ी: लोहड़ी खासतौर पर उन परिवारों के लिए महत्वपूर्ण होती है, जिनमें नया बच्चा हुआ हो या नई शादी हुई हो। इन परिवारों को विशेष बधाई दी जाती है, और इनकी पहली लोहड़ी बहुत खास होती है। परिवार और रिश्तेदार नवविवाहित जोड़ों या नए बच्चे के घर आकर उन्हें तिल, गुड़ और रेवड़ी देते हैं और आशीर्वाद देते हैं।

आधुनिक बदलाव: हालांकि लोहड़ी की परंपराएं आज भी जिंदा हैं, लेकिन समय के साथ इस उत्सव में कुछ बदलाव आए हैं। पहले जहां लोग पारंपरिक पहनावे में लोहड़ी मनाते थे, अब आधुनिक कपड़े और पकवानों को भी इस उत्सव में शामिल किया जाता है। इसके साथ ही, अब कुछ लोग पारंपरिक गीतों की जगह आधुनिक संगीत और डीजे का भी इस्तेमाल करते हैं।

उपसंहार:

लोहड़ी का पर्व एक ऐसा अवसर है जब लोग अपने परिवार और दोस्तों के साथ मिलकर खुशी मनाते हैं, और यह भारतीय समाज में भाईचारे, प्रेम और समृद्धि का प्रतीक बन गया है। यह त्योहार न केवल कृषि पर निर्भर है, बल्कि यह सर्दियों के बाद गर्मी के मौसम के आगमन का स्वागत करता है, साथ ही लोहड़ी के माध्यम से हर कोई अपने जीवन में समृद्धि और खुशहाली की कामना करता है।

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Lohri Festival Celebration – लोहड़ी पर्व विशेष: पंजाब के वीर नायक दुल्ला भट्टी की कहानी https://chandigarhnews.net/lohri-festival-celebration/ https://chandigarhnews.net/lohri-festival-celebration/#respond Fri, 03 Jan 2025 01:30:38 +0000 https://chandigarhnews.net/?p=55869 Lohri Festival Celebration – लोहड़ी पर्व विशेष: पंजाब के वीर नायक दुल्ला भट्टी की कहानी Lohri Festival Celebration – लोहड़ी

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Lohri Festival Celebration – लोहड़ी पर्व विशेष: पंजाब के वीर नायक दुल्ला भट्टी की कहानी

Lohri Festival Celebration – लोहड़ी का त्योहार पंजाबी संस्कृति का अभिन्न हिस्सा है और इसे बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। इस त्योहार के पीछे एक दिलचस्प और प्रेरणादायक कहानी है, जो पंजाब के वीर नायक दुल्ला भट्टी से जुड़ी हुई है। लोहड़ी के गीतों और इस पर्व की परंपरा का मुख्य केंद्र दुल्ला भट्टी ही हैं।

दुल्ला भट्टी का इतिहास: दुल्ला भट्टी एक बहादुर और साहसी योद्धा थे, जिन्होंने मुगलों के खिलाफ अपनी लड़ाई लड़ी थी। उनका जन्म पंजाब में हुआ था और वे मुग़ल शासक अकबर के शासनकाल के दौरान प्रसिद्ध हुए। उन्हें ‘पंजाब के नायक’ के रूप में सम्मानित किया गया। उस समय, पंजाब में एक स्थान था संदल बार, जहां अमीर लोग गरीब लड़कियों को गुलामी के लिए खरीदते थे। ये लड़कियाँ अक्सर अमीरों के लिए काम करने के लिए बेची जाती थीं, और उनके साथ अत्याचार होते थे।

दुल्ला भट्टी का साहस: दुल्ला भट्टी ने इन लड़कियों के साथ हो रहे अन्याय के खिलाफ खड़ा होने का साहस दिखाया। उन्होंने न केवल इन लड़कियों को मुक्त कराया, बल्कि उनकी शादी हिंदू लड़कों से भी करवाई। इस विवाह की सभी व्यवस्थाएं दुल्ला भट्टी ने खुद कीं और खुद ही कन्यादान भी किया। यह कार्य उस समय के समाज में एक बड़ा साहसिक कदम था, और इसे आज भी पंजाब के लोग याद करते हैं।

लोहड़ी और दुल्ला भट्टी की कहानी: लोहड़ी के त्योहार के दौरान लोग दुल्ला भट्टी की बहादुरी की कहानी याद करते हैं और उनके गीत गाते हैं। लोहड़ी का एक प्रमुख गीत, “सुंदर मुंदरिये हो, तेरा कौन विचारा हो, दुल्ला भट्टी वाला हो…” इस घटना का प्रतीक बन चुका है। इस गीत में दुल्ला भट्टी का उल्लेख किया जाता है और उसकी वीरता और मानवता की सेवा को सराहा जाता है।

Lohri Festival Celebration – लोहड़ी पर्व विशेष

लोहड़ी का महत्व: लोहड़ी का पर्व जलते अलाव के साथ मनाया जाता है, और यह पर्व न केवल एक कृषि उत्सव है, बल्कि यह मानवता, साहस और अच्छाई की जीत का प्रतीक भी है। इस दिन लोग एकजुट होकर दुल्ला भट्टी की कहानी का जश्न मनाते हैं, ढोल-नगाड़े के साथ नाचते-गाते हैं और गुड़, मूंगफली, रेवड़ी आदि बांटते हैं। यह पर्व समाज में भाईचारे और प्रेम की भावना को प्रोत्साहित करता है।

उपसंहार: लोहड़ी पर्व का दुल्ला भट्टी से गहरा संबंध है। दुल्ला भट्टी ने अपनी साहसिकता और मानवता के लिए हमेशा याद किए जाएंगे। लोहड़ी की रात, जब लोग आग के चारों ओर इकट्ठा होते हैं और गाते हैं, तो वे न केवल अपनी खुशियों को मनाते हैं, बल्कि वे दुल्ला भट्टी जैसे वीर नायक की कहानी को भी जीवित रखते हैं, जो हमेशा लोगों की सहायता करने और उनके अधिकारों की रक्षा करने में विश्वास रखते थे।

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Story of Lohri – लोहड़ी की कहानी – दुल्ला भट्टी और सुंदरी-मुंदरी https://chandigarhnews.net/story-of-lohri/ https://chandigarhnews.net/story-of-lohri/#respond Fri, 03 Jan 2025 00:30:38 +0000 https://chandigarhnews.net/?p=55868 Story of Lohri – लोहड़ी की कहानी – दुल्ला भट्टी और सुंदरी-मुंदरी Story of Lohri – लोहड़ी पर्व, जिसे मुख्यतः

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Story of Lohri – लोहड़ी की कहानी – दुल्ला भट्टी और सुंदरी-मुंदरी

Story of Lohri – लोहड़ी पर्व, जिसे मुख्यतः पंजाब में मनाया जाता है, केवल एक कृषि आधारित उत्सव नहीं है, बल्कि इसके पीछे एक प्रेरक और साहसिक कहानी भी छिपी है। यह कहानी दुल्ला भट्टी नामक एक बहादुर मुग़ल विरोधी योद्धा से जुड़ी है, जिनकी वीरता और मानवता की सेवा को आज भी याद किया जाता है।

दुल्ला भट्टी का इतिहास: दुल्ला भट्टी एक पंजाबी योद्धा था, जो मुगलों के जुल्मों के खिलाफ खड़ा हुआ था। यह कहानी मुगलों के शासनकाल की है, जब एक ब्राह्मण की दो बेटियों, सुंदरी और मुंदरी, को एक स्थानीय मुग़ल शासक ने अपनी शादी के लिए जबरन पकड़ लिया था। यह शासक उन दोनों को अपनी पत्नी बनाने का इच्छुक था, लेकिन वे पहले से कहीं और सगाई कर चुकी थीं। उनके ससुराल वाले डर के कारण शादी के लिए तैयार नहीं थे।

दुल्ला भट्टी का साहस: इस कठिन समय में, दुल्ला भट्टी ने इन बेटियों को मुग़ल शासक से बचाया। उसने लड़कियों के परिवारवालों को समझाया और उन्हें शादी से मना लिया। फिर उसने जंगल में एक आग जलाकर सुंदरी और मुंदरी की शादी करवाई और खुद ही उनका कन्यादान किया। कहा जाता है कि दुल्ला ने इन दोनों को शगुन के रूप में शक्कर दी थी। इस साहसिक कार्य को लोहड़ी के रूप में मनाने की परंपरा बन गई।

Story of Lohri – लोहड़ी की कहानी

लोहड़ी का गीत: इस कहानी को हमेशा के लिए जीवित रखने के लिए लोहड़ी के दिन एक प्रसिद्ध गीत गाया जाता है:

सुंदर, मुंदरिये हो,

तेरा कौन विचारा हो,

दुल्ला भट्टी वाला हो,

दूल्ले धी (लड़की) व्याही हो,

सेर शक्कर पाई हो।

लोहड़ी और परंपराएँ: लोहड़ी का संबंध सिर्फ दुल्ला भट्टी की कहानी से नहीं है, बल्कि यह त्योहार पंजाब की कृषि परंपराओं से भी जुड़ा है। इस समय गेहूं और सरसों की फसलें पकती हैं और लोग अपने अच्छे स्वास्थ्य और समृद्धि की कामना करने के लिए लोहड़ी की आग में तिल डालते हैं। इस दिन, लोग एकजुट होकर गीत गाते, भांगड़ा और गिद्दा करते हैं, और एक-दूसरे को गुड़, मूंगफली और रेवड़ी बांटते हैं।

समाज में बदलाव: आजकल लोहड़ी का उत्सव थोड़ी सी बदल चुकी है, खासकर शहरी इलाकों में, जहां पारंपरिक गीतों और परंपराओं के बजाय डीजे और आधुनिक संगीत का चलन बढ़ गया है। फिर भी, लोहड़ी का मुख्य उद्देश्य भाईचारे, प्रेम और सुकून को बढ़ावा देना है।

लोहड़ी का पर्व अब लड़कों के जन्म पर विशेष रूप से मनाया जाता है, ताकि लड़कियों के जन्म पर भी समान सम्मान और खुशी मनाई जा सके। यह पर्व न केवल पुराने रीति-रिवाजों को जीवित रखता है, बल्कि नए संदेशों को भी फैलाता है जैसे कि लिंग समानता और समाज में भाईचारा।

उपसंहार: लोहड़ी केवल एक कृषि उत्सव नहीं है, बल्कि यह सत्य, साहस, और मानवता की जीत का प्रतीक है। दुल्ला भट्टी की वीरता की कहानी हमें यह सिखाती है कि सच्चाई और अच्छाई की हमेशा जीत होती है, और इस त्योहार के माध्यम से हम अपने रिश्तों में मिठास और सद्भावना का संदेश फैलाते हैं।

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Essay on Lohri – लोहड़ी पर निबंध https://chandigarhnews.net/essay-on-lohri/ https://chandigarhnews.net/essay-on-lohri/#respond Thu, 02 Jan 2025 23:30:15 +0000 https://chandigarhnews.net/?p=55866 Essay on Lohri – लोहड़ी पर निबंध Essay on Lohri – लोहड़ी पर्व मकर संक्रांति से पहले वाली रात को

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Essay on Lohri – लोहड़ी पर निबंध

Essay on Lohri – लोहड़ी पर्व मकर संक्रांति से पहले वाली रात को सूर्यास्त के बाद मनाया जाने वाला एक प्रमुख भारतीय पर्व है, जो विशेष रूप से पंजाब प्रांत का त्यौहार है। इस पर्व का नाम “लोहड़ी” का अर्थ है—ल (लकड़ी) + ओह (गोहा यानी सूखे उपले) + ड़ी (रेवड़ी)। इस दिन लोग गोबर के उपलों की माला बनाकर मन्नत पूरी होने की खुशी में जलती हुई अग्नि में उन्हें अर्पित करते हैं, जिसे ‘चर्खा चढ़ाना’ कहा जाता है। लोहड़ी के इस पर्व को लेकर कई ऐतिहासिक और धार्मिक मान्यताएँ प्रचलित हैं।

कैसे मनाते हैं: लोहड़ी पर्व की शुरुआत बीस से पच्चीस दिन पहले ही हो जाती है, जब बच्चे लोहड़ी के लोकगीत गाते हुए घर-घर जाकर लकड़ी और उपले इकट्ठा करते हैं। इसके बाद इन सामग्री का उपयोग करके मोहल्ले के किसी खुले स्थान पर आग जलाते हैं। इस उत्सव को पंजाबी समाज बड़े जोश और उल्लास के साथ मनाता है। लोग लकड़ियाँ और उपले जलाकर अग्नि के चारों ओर नाचते-गाते हैं।

धार्मिक महत्व: लोहड़ी और मकर संक्रांति एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं और इनका सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व बहुत ज्यादा है। लोहड़ी के दिन जहाँ शाम के समय लकड़ी की ढेरी पर पूजा अर्चना करके लोहड़ी जलाई जाती है, वहीं अगले दिन मकर संक्रांति का स्नान करके लोग उस अग्नि से हाथ सेंकते हुए अपने घर लौटते हैं। इस प्रकार लोहड़ी पर जलाई जाने वाली अग्नि सूर्य के उत्तरायण होने के दिन का पहला सार्वजनिक यज्ञ मानी जाती है।

Essay on Lohri – लोहड़ी पर निबंध

गाने का महत्व: लोहड़ी के अवसर पर पंजाबी लोकगान बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। “ओए, होए, होए, बारह वर्षी खडन गया सी…” जैसे गाने लोहड़ी की खुशी में गाए जाते हैं। इस दिन लोग पारंपरिक गीतों के साथ नाचते हैं और अपने रिश्तेदारों को बधाई देते हैं। बदलते समय के साथ अब लोग समितियों के रूप में लोहड़ी मनाते हैं, और ढोल-नगाड़ों के साथ लोग उत्सव में भाग लेते हैं।

लोहड़ी की मिठास: लोहड़ी के दिन तिल के लड्डू, मिठाई, ड्राईफ्रूट्स और विशेष रूप से रेवड़ी और मूंगफली का महत्व है। इन चीजों को लोहड़ी के दौरान प्रसाद के रूप में वितरित किया जाता है। इस दिन लोग अपने परिवार और रिश्तेदारों के साथ इन चीजों का आनंद लेते हैं और जीवन की खुशहाली की कामना करते हैं।

लोहड़ी का आकर्षण: लोहड़ी मनाने के लिए लकड़ी की ढेरी पर सूखे उपले रखे जाते हैं, और उनके आसपास तिल, गुड़, रेवड़ी और मूंगफली का भोग अर्पित किया जाता है। इस दिन ढोल की थाप पर गिद्दा और भांगड़ा नृत्य विशेष आकर्षण का केंद्र होते हैं। पंजाबी समाज में इस पर्व की तैयारी कई दिनों पहले से शुरू हो जाती है।

उत्सव की मान्यता: लोहड़ी का संबंध विशेष रूप से कृषि से भी है, क्योंकि इस दिन से रबी की फसल की कटाई और नई फसल की शुरुआत होती है। इसके साथ ही यह पर्व नए घर में आई बहू या घर में जन्मे नए सदस्य की खुशी में भी मनाया जाता है। परिवार के सदस्य और रिश्तेदार एक-दूसरे को लोहड़ी की बधाई देते हैं और इस दिन खास तौर पर तिल-गुड़ का आदान-प्रदान किया जाता है।

उपसंहार: समय के साथ लोहड़ी के उत्सव में बदलाव आया है, लेकिन यह अभी भी एक बहुत महत्वपूर्ण पर्व है। इस दिन लोग पारंपरिक परिधान पहनकर ढोल की थाप पर नाचते हैं और अग्नि की पूजा करते हुए जीवन की सुख-समृद्धि के लिए आशीर्वाद मांगते हैं। लोहड़ी, एक उत्सव है जो न केवल आनंद और खुशी का प्रतीक है, बल्कि यह हमारे रीति-रिवाजों और परंपराओं को भी जीवित रखता है।

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Lohri Facts – लोहड़ी उत्सव के 10 रोचक तथ्य, जानिए https://chandigarhnews.net/lohri-facts/ https://chandigarhnews.net/lohri-facts/#respond Thu, 02 Jan 2025 17:30:13 +0000 https://chandigarhnews.net/?p=55865 Lohri Facts – लोहड़ी उत्सव के 10 रोचक तथ्य, जानिए Lohri Facts – लोहड़ी का पर्व पंजाबी संस्कृति का अभिन्न

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Lohri Facts – लोहड़ी उत्सव के 10 रोचक तथ्य, जानिए

Lohri Facts – लोहड़ी का पर्व पंजाबी संस्कृति का अभिन्न हिस्सा है, जिसे विशेष रूप से पंजाब और हरियाणा में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। यह पर्व कई प्रकार की मान्यताओं, परंपराओं और उत्सवों से जुड़ा हुआ है। आइए जानते हैं लोहड़ी के बारे में 10 रोचक तथ्य:

  1. त्योहार एक नाम अनेक

भारत के विभिन्न प्रांतों में मकर संक्रांति के आसपास कई प्रकार के त्योहार मनाए जाते हैं, जो मकर संक्रांति के विभिन्न रूप होते हैं। लोहड़ी उन्हीं में से एक है, जो खासकर पंजाब और हरियाणा में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है।

  1. लोहड़ी का अर्थ

लोहड़ी शब्द का पहले “तिलोड़ी” था, जो तिल और गुड़ की रोड़ी (गुड़ की मिठाई) के संयोजन से बना था। समय के साथ यह शब्द “लोहड़ी” के रूप में बदल गया। इस दिन तिल और गुड़ के साथ मिठाई बांटने की परंपरा भी है, जो अच्छे स्वास्थ्य और समृद्धि का प्रतीक मानी जाती है।

  1. कब मनाते हैं लोहड़ी

लोहड़ी पर्व हर साल 13 जनवरी को मनाया जाता है, जो बसंत ऋतु के आगमन का प्रतीक है। यह पर्व माघ महीने की संक्रांति से पहले की रात मनाया जाता है, और इसके अगले दिन माघी का त्योहार मनाया जाता है।

  1. अग्नि के आसपास उत्सव

लोहड़ी की रात को लोग लकड़ी जलाकर उसके चारों ओर चक्कर काटते हैं, नाचते-गाते हैं और आग में रेवड़ी, मूंगफली, खील और मक्की के दानों की आहुति देते हैं। यह एक धार्मिक और सांस्कृतिक क्रिया मानी जाती है, जिससे लोग सुख-शांति और समृद्धि की कामना करते हैं।

  1. विशेष पकवान

लोहड़ी के दिन कई प्रकार के खास पकवान बनते हैं, जिनमें गजक, रेवड़ी, मुंगफली, तिल-गुड़ के लड्डू, मक्का की रोटी और सरसों का साग प्रमुख होते हैं। इस दिन छोटे बच्चे लोहड़ी गीत गाकर लकड़ी, मेवे और रेवड़ी इकट्ठा करते हैं।

  1. नववधू, बहन, बेटी और बच्चों का उत्सव

लोहड़ी का उत्सव विशेष रूप से नववधू, बच्चों और बेटियों के लिए महत्वपूर्ण होता है। जो घर में नया सदस्य आता है, जैसे नववधू या बच्चा, उन्हें इस दिन विशेष बधाई दी जाती है। यह पर्व खुशियों और समृद्धि का प्रतीक होता है।

  1. उत्सव मनाने की मान्यता

कई मान्यताएं हैं जो लोहड़ी के साथ जुड़ी हुई हैं। एक मान्यता के अनुसार, यह पर्व संत कबीर की पत्नी लोई की याद में मनाया जाता है। वहीं दूसरी मान्यता के अनुसार, दुल्ला भट्टी नामक डाकू ने सुंदरी और मुंदरी नामक लड़कियों की शादी अच्छे लड़कों से करवाई थी, जो लोहड़ी के गीतों में वर्णित है।

  1. खेत खलिहान का उत्सव

लोहड़ी का संबंध खेती और फसल से भी है। इस दिन रबी की फसल काटकर घर में सुरक्षित रखी जाती है और सरसों के फूल खेतों में लहराते हैं। यह दिन कृषि समुदाय के लिए समृद्धि और मेहनत का प्रतीक होता है।

  1. पौराणिक मान्यता

पौराणिक मान्यता के अनुसार लोहड़ी का पर्व सती के आत्मदाह की याद में मनाया जाता है। कथानुसार, जब सती ने प्रजापति दक्ष के यज्ञ की आग में कूदकर आत्महत्या की थी, तब उसी दिन की याद में लोहड़ी मनाई जाती है।

  1. लोहड़ी का आधुनिक रूप

समय के साथ लोहड़ी मनाने का तरीका भी बदल गया है। अब लोग पारंपरिक पहनावे और पकवानों के अलावा आधुनिक तरीकों को भी अपनाने लगे हैं। इसके साथ ही, इस उत्सव में भाग लेने वाले लोगों की संख्या भी कम हो गई है।

  1. ईरान में भी मनाते हैं समान उत्सव

ईरान में भी नववर्ष का उत्सव इसी प्रकार मनाया जाता है। वहां इसे “चहार-शंबे सूरी” कहते हैं, जिसमें आग जलाकर मेवे अर्पित किए जाते हैं। यह पर्व पंजाबी लोहड़ी से बहुत समान है और इसे प्राचीन ईरान के उत्सव के रूप में माना जाता है।

समाप्ति लोहड़ी एक सांस्कृतिक और धार्मिक पर्व है, जो न सिर्फ खेती और फसल से जुड़ा है, बल्कि यह खुशी, समृद्धि और पारिवारिक बंधन को भी बढ़ावा देता है। यह पर्व हर साल नये उत्साह और उमंग के साथ मनाया जाता है।

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Lohri Celebration – लोहड़ी क्यों मनाई जाती है: जानें लोहड़ी का महत्व और उसका अर्थ

Lohri Celebration – लोहड़ी, मकर संक्रांति से पहले वाली रात को मनाया जाने वाला एक प्रसिद्ध पंजाबी पर्व है। यह पर्व विशेष रूप से पंजाब, हरियाणा और उत्तर भारत के कुछ हिस्सों में धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन को लेकर एक खास मान्यता और परंपरा जुड़ी हुई है, जिसके कारण लोहड़ी को खास महत्व प्राप्त है।

लोहड़ी का अर्थ

लोहड़ी शब्द का अर्थ होता है “ल (लकड़ी) + ओह (गोहा यानी सूखे उपले) + ड़ी (रेवड़ी)।” इस पर्व का आयोजन मुख्य रूप से सूर्योदय से पहले की रात को किया जाता है। इस दिन लोग लकड़ी, उपले और रेवड़ी की सामग्री एकत्रित कर, एक स्थान पर आग जलाते हैं और आसपास के लोग मिलकर इस आग के आसपास नृत्य करते हैं। लोहड़ी का यह पर्व, विशेष रूप से नए साल की शुरुआत का प्रतीक है, जो खुशी और समृद्धि का संदेश देता है।

लोहड़ी का उत्सव

लोहड़ी का उत्सव पूरे जोश और उत्साह के साथ मनाया जाता है। लोग बच्चों को लेकर ‘लोहड़ी गीत’ गाते हुए लकड़ी और सूखे उपले इकट्ठे करते हैं। यह सामग्री गांव के किसी खुले स्थान पर रखकर आग जलाते हैं। इस समय लोग पारंपरिक गीत गाते हैं, जैसे कि “ओए होए, होए, बारह वर्षी खडन गया सी, खडके लेआंदा रेवड़ी…” और साथ ही ढोल की थाप पर नृत्य करते हैं।

लोहड़ी का यह दिन आनंद और उल्लास का प्रतीक होता है, जहां लोग एक-दूसरे को बधाई देते हैं और घर-घर मिठाई, रेवड़ी और मूंगफली बांटी जाती है। खासकर तिल के लड्डू और ड्राईफ्रूट्स भी इस दिन का अहम हिस्सा होते हैं। इसके अलावा, यह पर्व परिवार के बुजुर्गों के साथ मान्यताओं और पारंपरिक रीति-रिवाजों को भी याद करने का अवसर है।

लोहड़ी में प्रसाद की परंपरा

लोहड़ी की रात में जलती हुई आग में गोबर के उपले, तिल, गुड़, रेवड़ी और मूंगफली चढ़ाए जाते हैं, जिन्हें बाद में प्रसाद के रूप में बांटा जाता है। पंजाबी समाज में यह परंपरा है कि लोग लोहड़ी के दिन जलती आग से 2-4 दहकते हुए कोयले घर लेकर आते हैं, जिन्हें वे शुभ माना जाता है। इस दिन लोग अपनों के घर जाकर बधाई देते हैं और पारंपरिक लोहड़ी गीत गाते हैं।

धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व

लोहड़ी केवल एक सांस्कृतिक उत्सव नहीं है, बल्कि यह धार्मिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। लोहड़ी और मकर संक्रांति एक-दूसरे से जुड़ी हुई हैं। जहां लोहड़ी के दिन शाम को आग जलाकर पूजा की जाती है, वहीं अगले दिन मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है। मकर संक्रांति के दिन सूर्य के उत्तरायण होने के कारण इसे एक धार्मिक यज्ञ के रूप में देखा जाता है, जो पूरे साल की खुशहाली और समृद्धि का प्रतीक है।

लोहड़ी का पारंपरिक उत्सव

लोहड़ी पर लोग खासतौर पर ढोल, नगाड़े और विभिन्न संगीत वाद्ययंत्रों के साथ नृत्य करते हैं। गिद्दा और भांगड़ा नृत्य इस दिन का प्रमुख आकर्षण होते हैं, जो लोगों के उत्साह को और बढ़ाते हैं। बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक सभी इस खुशी में शामिल होते हैं और पूरे गांव में रंग-बिरंगी लोहड़ी की छटा दिखाई देती है।

समापन

लोहड़ी का यह पर्व न केवल एक पारंपरिक उत्सव है, बल्कि यह परंपराओं और रीति-रिवाजों को आगे बढ़ाने का एक तरीका भी है। इस दिन के आयोजन से न सिर्फ खुशी मिलती है, बल्कि यह हमें हमारे धार्मिक और सांस्कृतिक इतिहास से भी जोड़ता है।

लोहड़ी के इस पर्व को धूमधाम से मनाएं और अपने परिवार और दोस्तों के साथ खुशियों का आदान-प्रदान करें।

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