Lohri Interesting Facts – Chandigarh News https://chandigarhnews.net Latest Chandigarh News Sat, 04 Jan 2025 13:25:41 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.7.1 https://chandigarhnews.net/wp-content/uploads/2023/08/chandigarh-news-favicon-icon-1.jpg Lohri Interesting Facts – Chandigarh News https://chandigarhnews.net 32 32 Lohri Interesting Facts – लोहड़ी पर्व की 10 दिलचस्प बातें https://chandigarhnews.net/lohri-interesting-facts/ https://chandigarhnews.net/lohri-interesting-facts/#respond Sun, 05 Jan 2025 00:30:45 +0000 https://chandigarhnews.net/?p=56177 Lohri Interesting Facts – लोहड़ी पर्व की 10 दिलचस्प बातें लोहड़ी का पर्व पंजाब और हरियाणा में खासतौर पर मनाया

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Lohri Interesting Facts – लोहड़ी पर्व की 10 दिलचस्प बातें

लोहड़ी का पर्व पंजाब और हरियाणा में खासतौर पर मनाया जाता है। यह पर्व विशेष रूप से मकर संक्रांति के आसपास होता है, और इस बार 13 जनवरी 2022 की रात को मनाया जाएगा। आइए जानते हैं लोहड़ी पर्व की 10 दिलचस्प बातें:

  1. कब मनाते हैं लोहड़ी

लोहड़ी उत्सव पौष महीने की आखरी रात को मनाया जाता है। इसके अगले दिन माघ महीने की सक्रांति को माघी के रूप में मनाया जाता है।

  1. लोहड़ी को पहले कहा जाता था तिलोड़ी

लोहड़ी को पहले तिलोड़ी कहा जाता था। यह शब्द “तिल” और “रोड़ी” (गुड़ की रोड़ी) के मेल से बना था, जो समय के साथ बदलकर लोहड़ी के रूप में प्रसिद्ध हो गया। पंजाब के कई इलाकों में इसे “लोही” या “लोई” भी कहा जाता है।

  1. लोहड़ी का शाब्दिक अर्थ

लोहड़ी का शाब्दिक अर्थ “ल” (लकड़ी), “ओह” या “गोहा” (सूखे उपले), और “ड़ी” (रेवड़ी) से मिलकर बनता है। इस पर्व में लकड़ी, सूखे उपले और रेवड़ी को आग में डाला जाता है और रेवड़ी को खाया भी जाता है।

  1. सती माता की याद में मनाया जाता है यह पर्व

पौराणिक मान्यता के अनुसार, सती के त्याग के रूप में यह त्योहार मनाया जाता है। कथानुसार, जब प्रजापति दक्ष के यज्ञ की आग में कूदकर शिव की पत्नी सती ने आत्मदाह कर लिया था, तो उसी दिन की याद में लोहड़ी मनाई जाती है। उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल और दक्षिण भारत के ‘पोंगल’ पर भी बेटियों को भेंट दी जाती है, और इस दिन बहन और बेटियों को विशेष रूप से घर बुलाया जाता है।

  1. ऐसे मनाते हैं लोहड़ी

लोहड़ी की संध्या को लोग लकड़ी जलाकर अग्नि के चारों ओर नाचते-गाते हैं और आग में रेवड़ी, मूंगफली, खील, मक्की के दानों की आहुति देते हैं। अग्नि की परिक्रमा करते और आग के चारों ओर बैठकर लोग आग सेंकते हैं। इस दौरान रेवड़ी, खील, गज्जक, मक्का खाने का आनंद लिया जाता है।

  1. बहुत पहले से ही शुरु हो जाता है यह त्योहार

गांवों में पौष मास के पूर्व से ही लड़के-लड़कियां लोहड़ी के लोकगीत गाकर लकड़ी और उपले एकत्रित करते हैं। इस से मुहल्ले के किसी खुले स्थान पर आग जलाई जाती है। आग की परिक्रमा करते हुए लोग रेवड़ी अर्पित करते हैं। घर लौटते समय लोहड़ी से दहकते कोयले घर पर लाने की प्रथा भी है।

  1. महामाई

नव विवाहित लड़के या जिन्हें पुत्र होता है उनके घर से पैसे लेकर बच्चे रेवड़ी बांटते हैं। लोहड़ी के दिन या उससे कुछ दिन पूर्व बच्चे “मोहमाया” या “महामाई” का चंदा मांगते हैं, जिससे लकड़ी और रेवड़ी खरीदी जाती है।

  1. लोहड़ी व्याहना

कहा जाता है कि कुछ लड़के दूसरे मुहल्लों से जलती हुई लकड़ी उठा कर अपने मुहल्ले की लोहड़ी में डाल देते हैं। इसे ‘लोहड़ी व्याहना’ कहा जाता है। इस प्रक्रिया में कभी-कभी छीना झपटी और झगड़े भी होते हैं।

  1. विशेष पकवान

लोहड़ी के दिन विशेष पकवान बनाए जाते हैं, जैसे गजक, रेवड़ी, मुंगफली, तिल-गुड़ के लड्डू, मक्का की रोटी और सरसों का साग। लोहड़ी से कुछ दिन पहले ही बच्चे लोकगीत गाकर लकड़ी, मेवे, रेवड़ी इकट्ठा करते हैं।

  1. दुल्ला भट्टी

लोहड़ी का त्योहार दुल्ला भट्टी से भी जुड़ा हुआ है। कहा जाता है कि अकबर के काल में पंजाब की लड़कियों को गुलामी के लिए अमीर मुस्लिम लोगों को बेच दिया जाता था। जब दुल्ला भट्टी को यह पता चला तो उसने इन लड़कियों को न सिर्फ मुक्त किया, बल्कि उनका विवाह भी हिंदू लड़कों से करवाया।

लोहड़ी एक ऐसा उत्सव है जो न केवल फसल और कृषि से जुड़ा है, बल्कि इससे जुड़े मान्यताओं और परंपराओं ने इसे और भी खास बना दिया है।

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