Lohri is a Festival of Womens – Chandigarh News https://chandigarhnews.net Latest Chandigarh News Thu, 02 Jan 2025 13:41:00 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.7.1 https://chandigarhnews.net/wp-content/uploads/2023/08/chandigarh-news-favicon-icon-1.jpg Lohri is a Festival of Womens – Chandigarh News https://chandigarhnews.net 32 32 Lohri is a Festival of Womens – लोहड़ी है बहन-बेटियों का त्योहार, जानिए पौराणिक महत्व https://chandigarhnews.net/lohri-is-a-festival-of-womens/ https://chandigarhnews.net/lohri-is-a-festival-of-womens/#respond Sat, 04 Jan 2025 01:30:43 +0000 https://chandigarhnews.net/?p=55974 Lohri is a Festival of Womens – लोहड़ी है बहन-बेटियों का त्योहार, जानिए पौराणिक महत्व Lohri is a Festival of

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Lohri is a Festival of Womens – लोहड़ी है बहन-बेटियों का त्योहार, जानिए पौराणिक महत्व

Lohri is a Festival of Womens – लोहड़ी पर्व का भारतीय समाज में विशेष स्थान है, खासकर पंजाब और हरियाणा में यह धूमधाम से मनाया जाता है। यह पर्व बसंत के आगमन का प्रतीक होता है और 13 जनवरी, पौष महीने की आखिरी रात को मनाया जाता है।

लोहड़ी का पर्व विशेष रूप से नववधू, बहन, बेटी और बच्चों का उत्सव माना जाता है। साथ ही यह पर्व कृषि, मौसम और परंपराओं से भी जुड़ा है। आइए जानते हैं इस पर्व के पौराणिक महत्व और खास परंपराओं के बारे में:

पौराणिक मान्यता

पौराणिक कथाओं के अनुसार, लोहड़ी का पर्व सती के त्याग के रूप में मनाया जाता है। यह मान्यता है कि जब प्रजापति दक्ष के यज्ञ में शिव के अपमान से आहत होकर सती ने यज्ञ की आग में कूदकर आत्मदाह कर लिया था, तब से इस दिन को याद करके लोहड़ी मनाई जाती है।

इस कारण लोहड़ी में बहन और बेटियों का विशेष महत्व माना जाता है, क्योंकि सती को श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए इस दिन परिवार के सदस्य एकत्र होते हैं।

नववधू, बहन, बेटी और बच्चों का उत्सव

लोहड़ी का पर्व खासतौर पर नववधू, बहन, बेटी और बच्चों के लिए बहुत खास होता है। इस दिन यदि किसी घर में नई शादी हुई हो या बच्चा हुआ हो तो उन्हें विशेष रूप से बधाई दी जाती है।

खासकर पहली लोहड़ी, जो नववधू या नवजात के लिए होती है, बहुत खास मानी जाती है। इस दिन परिवार के बड़े प्रेम से बहन और बेटियों को घर बुलाते हैं और उन्हें तिल-गुड़, रेवड़ी, और अन्य पकवानों के साथ सम्मानित किया जाता है।

बच्चों का उत्सव

गांवों में लोहड़ी के दिन बच्चे बहुत उत्साहित रहते हैं। वे पौष महीने के पहले से ही लोकगीत गाकर लकड़ी और उपले इकट्ठा करते हैं, जिन्हें बाद में आग में जलाया जाता है।

इन बच्चों का यह उत्सव विशेष होता है क्योंकि वे मुहल्ले के किसी खुले स्थान पर आग जलाते हैं और इस दौरान स्थानीय लोग सामूहिक रूप से लोहड़ी मनाते हैं। बच्चे इस दौरान रेवड़ी, मूंगफली, तिल-गुड़ के लड्डू आदि बांटते हैं और हर जगह खुशियाँ फैलती हैं।

लोहड़ी व्याहना

लोहड़ी से जुड़ी एक और परंपरा ‘लोहड़ी व्याहना’ के नाम से जानी जाती है। इसके अंतर्गत कुछ लड़के दूसरे मुहल्लों से जलती हुई लकड़ी उठाकर अपने मुहल्ले की लोहड़ी में डाल देते हैं।

इसे एक प्रकार का सामूहिक उत्सव माना जाता है। इस परंपरा में कभी-कभी छीना-झपटी भी होती है, जो लोहड़ी के जश्न का हिस्सा बन जाती है।

विशेष पकवान

लोहड़ी के दिन विशेष पकवान बनाए जाते हैं, जिनमें गजक, रेवड़ी, मुंगफली, तिल-गुड़ के लड्डू, मक्का की रोटी और सरसों का साग प्रमुख होते हैं। ये पकवान घर-घर बनते हैं और साथ में लोहड़ी के गीत गाए जाते हैं।

छोटे बच्चे इन पकवानों को इकट्ठा करने के लिए लोहड़ी के गीत गाकर लकड़ी, मेवे, रेवड़ी आदि एकत्र करते हैं, ताकि लोहड़ी का आनंद और उत्सव परिवार के हर सदस्य तक पहुंचे।

निष्कर्ष

लोहड़ी केवल एक त्योहार नहीं है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति का प्रतीक है जो परिवार, समाज और परंपराओं को जोड़ता है। यह त्योहार खासतौर पर बहन-बेटियों, नववधू और बच्चों के लिए खास होता है, और उनके साथ लोहड़ी मनाने से घर में सुख-समृद्धि और खुशहाली बनी रहती है।

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