Machli ki Kahani – Chandigarh News https://chandigarhnews.net Latest Chandigarh News Sun, 05 Jan 2025 06:39:51 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.7.1 https://chandigarhnews.net/wp-content/uploads/2023/08/chandigarh-news-favicon-icon-1.jpg Machli ki Kahani – Chandigarh News https://chandigarhnews.net 32 32 Machli ki Kahani – सिमी मछली की शरारतें https://chandigarhnews.net/machli-ki-kahani/ https://chandigarhnews.net/machli-ki-kahani/#respond Sun, 05 Jan 2025 14:30:58 +0000 https://chandigarhnews.net/?p=56259 Machli ki Kahani – सिमी मछली की शरारतें Machli ki Kahani –एक बार ढोलकपुर जंगल के एक तालाब में सिमी

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Machli ki Kahani – सिमी मछली की शरारतें

Machli ki Kahani –एक बार ढोलकपुर जंगल के एक तालाब में सिमी नाम की मछली रहती थी। सिमी थोड़ी नटखट और शरारती थी। वह हमेशा कुछ नया करने या शैतानी करने के बारे में सोचती रहती थी। एक दिन उसने अपनी माँ से कहा, “माँ, कितने दिन हो गए हम तालाब में ही हैं। चलो न, पानी के ऊपर जाते हैं। मुझे वहाँ खेलना है, प्लीज माँ।”

माँ ने जवाब दिया, “नहीं सिमी, अभी नहीं। बाहर शिकारी हो सकते हैं। रात में चलेंगे, जब कोई न हो। तब तुम खूब खेल लेना।”

सिमी ने पूछा, “शिकारी कौन होते हैं माँ, और ये क्यों हमें बाहर नहीं जाने देते?” माँ ने समझाया, “शिकारी वो होते हैं जो हमें पकड़कर जाल में डाल लेते हैं। अगर हम बाहर गए, तो वो हमें पकड़ लेंगे और हम सब अलग हो जाएंगे। समझी मेरी प्यारी सिमी?”

सिमी ने माँ की बात सुनी, लेकिन उसकी इच्छा बाहर जाने की थी। जैसे ही उसे लगा कि माँ ध्यान नहीं दे रही, वह चुपके से तालाब के ऊपर निकल गई। बाहर पहुँचते ही उसने खुला नीला आसमान देखा, चिड़ियों की मीठी आवाज सुनी और ठंडी हवा का आनंद लिया। सिमी खुश होकर खेलने लगी।

लेकिन जैसे ही वह आगे बढ़ने की कोशिश करती है, वह महसूस करती है कि उसका शरीर जाल में फँस चुका है। एक आवाज आती है, “वाह, आज तो मजा आ गया! पहली बार ही इतनी अच्छी मछली पकड़ी।” शिकारी ने जाल खींचा। सिमी डरते हुए कहती है, “भाई, मुझे पानी से बाहर मत निकालो! मैं कैसे जिंदा रहूँगी?” शिकारी जवाब देता है, “सॉरी, मैं कुछ नहीं कर सकता। मुझे मछलियाँ चाहिए।”

सिमी दिमाग लगाकर सोचती है और शिकारी से कहती है, “अगर मैं तुम्हें और मछलियाँ दूँ, तो क्या तुम मुझे छोड़ोगे?” शिकारी थोड़ी राहत महसूस करता है और पूछता है, “कैसे?” सिमी कहती है, “मेरे पास और भी मछलियाँ हैं। मैं उन्हें लाकर तुम्हारे पास लाऊँगी। हम सब दोस्त मिलकर एक साथ रहेंगे।”

शिकारी ने सोचा, “क्या सच में?” सिमी मुस्कुराते हुए कहती है, “अब तुम्हारी मर्जी है। एक मछली चाहती हो या बहुत सारी?” शिकारी जाल को ढीला कर देता है और कहता है, “ठीक है, जल्दी जाओ और सबको लेकर आओ। मैं यहीं इंतजार करूंगा।”

जैसे ही जाल खुलता है, सिमी तुरंत नीचे अपनी माँ के पास जाती है और खुशी से माँ को गले लगाते हुए कहती है, “माँ, तुम बहुत अच्छी हो! अब मैं तुम्हारी हर बात मानूँगी।”

शिकारी अभी भी सोचता रह गया कि सिमी उसे और मछलियाँ लाकर देगी, लेकिन सिमी ने अपनी माँ से मिलकर पूरी तरह से अपनी गलती समझ ली थी।

मोरल: हमें कभी भी अपनी माँ और पेरेंट्स की बात माननी चाहिए, क्योंकि वे हमेशा हमारी भलाई के लिए सोचते हैं। अगर गलती से हम मुसीबत में फँस जाएं, तो हमें उसकी सिचुएशन से निकलने का रास्ता सोचना चाहिए।

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