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]]>Mumbai Boat Accident – मुंबई में हुआ नाव हादसा एक दिल दहला देने वाली घटना बनकर सामने आया, जिसमें 98 लोगों की जान बच गई, जिनमें वैशाली अदकाने और उनका परिवार भी शामिल था।
यह हादसा इतना भयंकर था कि उसमें मच्छी-मंडी से लेकर बाहुबली फिल्म जैसा एक नजारा देखने को मिला। 14 महीने के बच्चे को बचाने के लिए उसके मामा ने उसे समंदर के बीच कंधे पर रखा और 30 मिनट तक उसे बचाने के लिए संघर्ष किया।
वैशाली अदकाने ने बताया कि उनका परिवार 8 लोगों के साथ फेरी पर सवार था, जो एलिफेंटा केव्स से लौट रहा था। अचानक, एक नेवी स्पीडबोट ने फेरी से टक्कर मार दी, जिससे फेरी में जोरदार झटका आया और सभी लोग फर्श पर गिर गए।
इसके बाद फेरी के ड्राइवर ने सभी को लाइफ जैकेट पहनने की सलाह दी और सभी ने जैकेट पहन लिया। थोड़ी देर बाद, वैशाली को एहसास हुआ कि फेरी एक तरफ झुकने लगी और फिर वह डूबने लगी। इस दौरान, कुछ लोग बोट के नीचे फंस गए और कुछ की लाइफ जैकेट भी छूट गई, जिससे वे डूब गए।
वैशाली अदकाने ने बताया,
“हमने बोट को पकड़ा हुआ था और समंदर में तैर रहे थे। यह वो वक्त था जब मौत सामने खड़ी थी और मुझे किसी भी हालत में अपने बेटे शारविल को बचाना था।” उनके भाई ने शारविल को कंधे पर बैठाया और खुद पानी में तैरते हुए उसे बचाने की कोशिश की। समंदर के बीचों-बीच, चारों ओर सिर्फ पानी था। 30 मिनट तक कोई सहायता नहीं मिली, और अगर थोड़ी देर और होती तो वे सभी मर सकते थे।
इस हादसे के दौरान, एक विदेशी कपल ने अपनी जान की परवाह किए बिना 7 लोगों को डूबने से बचाया। यह कपल असली नायक बनकर सामने आया और उनके साहस की सराहना की गई।
इस हादसे में कुल 113 लोग सवार थे, जिनमें से 13 लोगों की मौत हो गई, 2 लोग घायल हो गए, और 98 लोग सुरक्षित बच गए। दो लोग अब भी लापता हैं। वैशाली का परिवार खुशकिस्मत था कि उनकी जान बच गई, लेकिन वे हमेशा इस भयावह हादसे को नहीं भूल सकते।
मुंबई के इस नाव हादसे में यह दिखा कि कैसे एक परिवार ने मौत का सामना किया और कैसे एक विदेशी कपल ने अपनी जान जोखिम में डालकर दूसरों की जिंदगी बचाई। इस हादसे ने एक बार फिर यह साबित किया कि संकट की घड़ी में इंसानियत और साहस ही सबसे बड़ी ताकत बनकर सामने आती है।
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]]>The post Ambedkar Row – अंबेडकर का कांग्रेस के साथ विवाद और नेहरू की चिट्ठी का सच appeared first on Chandigarh News.
]]>Ambedkar Row –संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर को भारतीय राजनीति और समाज सुधारों में उनके योगदान के लिए एक उच्च स्थान दिया जाता है। लेकिन इतिहास के पन्नों में झांकने पर कांग्रेस पार्टी और अंबेडकर के बीच के तनावपूर्ण रिश्ते भी सामने आते हैं। हाल ही में संसद में गृह मंत्री अमित शाह द्वारा दिए गए बयान ने अंबेडकर और कांग्रेस के इतिहास पर नई बहस छेड़ दी।
1952 में भारत के पहले आम चुनावों के दौरान पंडित जवाहरलाल नेहरू ने लेडी माउंटबेटन को एक चिट्ठी लिखी थी। इस चिट्ठी में उन्होंने अंबेडकर और अन्य राजनीतिक दलों के साथ कांग्रेस के संबंधों पर चर्चा की थी।
“बंबई शहर और प्रांत में हमारी सफलता अपेक्षा से अधिक रही है। अंबेडकर को बाहर कर दिया गया है। समाजवादियों का प्रदर्शन खराब रहा है, जबकि कम्युनिस्टों ने अपेक्षा से बेहतर प्रदर्शन किया है।”
नेहरू ने यह भी लिखा कि अंबेडकर ने हिंदू संप्रदायवादियों के साथ गठबंधन किया है, जो नेहरू के अनुसार, कांग्रेस के खिलाफ “सिद्धांतहीन गठबंधन” था। नेहरू ने इस चिट्ठी में विभिन्न राजनीतिक दलों पर भी कटाक्ष किया, जो कांग्रेस को हराने के लिए एकजुट हो गए थे।
डॉ. अंबेडकर और कांग्रेस के बीच का रिश्ता कभी भी सहज नहीं रहा। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान अंबेडकर कांग्रेस की नीतियों और नेतृत्व के आलोचक थे। संविधान निर्माण के समय उन्हें भारतीय संविधान का मसौदा तैयार करने का महत्वपूर्ण कार्य दिया गया, लेकिन यह सहयोग राजनीतिक मतभेदों से मुक्त नहीं था।
अंबेडकर का मानना था कि कांग्रेस ने दलितों के अधिकारों के लिए पर्याप्त प्रयास नहीं किए। उन्होंने यह भी महसूस किया कि उन्हें कांग्रेस के भीतर उचित सम्मान नहीं दिया गया।
अंबेडकर ने 1951 में नेहरू कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया था। उनके इस्तीफे का मुख्य कारण हिंदू कोड बिल को लेकर कांग्रेस के भीतर असहमति थी। अंबेडकर इस बिल को महिलाओं के अधिकारों और सामाजिक सुधारों के लिए महत्वपूर्ण मानते थे, लेकिन कांग्रेस के भीतर इसका व्यापक विरोध हुआ।
नेहरू और अंबेडकर के संबंध जटिल थे। नेहरू ने अंबेडकर के प्रति अपने व्यक्तिगत सम्मान को हमेशा बनाए रखा, लेकिन राजनीतिक दृष्टिकोण से दोनों के बीच मतभेद गहरे थे। नेहरू की चिट्ठी में यह स्पष्ट होता है कि वह अंबेडकर की राजनीति और गठबंधन बनाने की रणनीति से असहमत थे।
आज अंबेडकर के प्रति कांग्रेस और अन्य राजनीतिक दलों के दृष्टिकोण पर सवाल उठाए जा रहे हैं। भाजपा और कांग्रेस के बीच इस मुद्दे पर जारी सियासी लड़ाई अंबेडकर के ऐतिहासिक योगदान और उनके साथ किए गए व्यवहार की नए सिरे से समीक्षा का अवसर प्रदान करती है।
डॉ. अंबेडकर और कांग्रेस के संबंध भारतीय राजनीति के इतिहास का एक जटिल और महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। नेहरू की लेडी माउंटबेटन को लिखी गई चिट्ठी और अंबेडकर के साथ कैबिनेट में हुए विवाद इन रिश्तों के तनावपूर्ण पहलुओं को उजागर करते हैं। आज भी अंबेडकर के विचार और उनके साथ किए गए राजनीतिक व्यवहार पर बहस जारी है, जो भारतीय लोकतंत्र और सामाजिक न्याय की दिशा में हमारे प्रयासों को नया दृष्टिकोण देती है।
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]]>The post Rahul Gandhi Sansad News – Rahul Gandhi के खिलाफ FIR दर्ज, लगे गंभीर आरोप appeared first on Chandigarh News.
]]>Rahul Gandhi Sansad News – गुरुवार को संसद परिसर में हुई झड़प ने राजनीतिक माहौल को गर्मा दिया। इस घटना के बाद कांग्रेस नेता राहुल गांधी के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज की गई है। आरोप है कि उन्होंने बीजेपी सांसद को धक्का मारकर शारीरिक हमला किया, जिससे दो सांसद घायल हो गए।
संसद परिसर में संविधान निर्माता बी.आर. आंबेडकर के अपमान को लेकर विपक्ष और बीजेपी सांसदों के बीच बहस शुरू हुई। इसी दौरान, केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर और बीजेपी की बांसुरी स्वराज समेत अन्य सांसदों ने आरोप लगाया कि राहुल गांधी ने उन्हें उकसाने की कोशिश की और धक्का-मुक्की की।
अनुराग ठाकुर, बांसुरी स्वराज, और तेलुगु देशम पार्टी (TDP) के एक सांसद ने संसद मार्ग थाने में शिकायत दर्ज कराई। शिकायत में राहुल गांधी पर शारीरिक हमला करने और सांसदों को चोट पहुंचाने का आरोप है।
घटना में बीजेपी सांसद प्रतापचंद्र सारंगी और मुकेश राजपूत घायल हुए। सारंगी के सिर पर चोट लगने के बाद उन्हें दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल के आईसीयू में भर्ती कराया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घायल सांसदों से फोन पर बात कर उनकी स्थिति की जानकारी ली।
कांग्रेस ने इन आरोपों को राजनीति से प्रेरित बताया। राहुल गांधी ने कहा कि यह सब उन्हें और उनकी पार्टी को बदनाम करने की साजिश है।
बीजेपी नेताओं ने राहुल गांधी के व्यवहार को “अहंकारी और सामंती” बताया। केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा, “संसद उनकी जागीर नहीं है। उनके व्यवहार ने निर्वाचित सांसदों को गंभीर चोटें पहुंचाई हैं।”
दिल्ली पुलिस ने शिकायत दर्ज कर मामले की जांच शुरू कर दी है। पुलिस अधिकारी ने कहा, “हम घटना के सभी पहलुओं की जांच कर रहे हैं। संसद परिसर की सीसीटीवी फुटेज का विश्लेषण किया जाएगा।”
यह घटना संसद में बढ़ते तनाव को दर्शाती है, जहां विपक्ष और सरकार के बीच टकराव अब शारीरिक झड़प तक पहुंच गया है। यह मामला आने वाले दिनों में और बड़ा मुद्दा बन सकता है।
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]]>The post RBI Gold News – RBI ने क्यों वापस मंगाई 102 टन सोने की खेप? क्या ये आर्थिक सुरक्षा का नया कदम है? appeared first on Chandigarh News.
]]>हाल ही में भारत के केंद्रीय बैंक, RBI ने 102 टन सोना विदेश से वापस भारत में मंगवाया है। यह कदम मौजूदा वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच उठाया गया है, जो भारत की आर्थिक सुरक्षा के प्रति एक महत्वपूर्ण संकेत है।
सोना किसी भी देश की आर्थिक स्थिरता और शक्ति का प्रतीक होता है और केंद्रीय बैंकों के लिए यह एक सुरक्षित संपत्ति मानी जाती है। इसे वैश्विक संकट के समय आर्थिक सुरक्षा कवच के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। आइए, इस निर्णय के कारणों और इसके महत्व को समझते हैं।
सोना किसी भी देश के लिए एक “आखिरी सुरक्षा” का काम करता है। जैसे आम लोग अपनी आर्थिक सुरक्षा के लिए बचत करते हैं, वैसे ही केंद्रीय बैंक सोने को अपने भंडार में सुरक्षित रखते हैं। वैश्विक बाजार में अस्थिरता होने पर या मुद्राओं की कीमत में गिरावट आने पर सोना एक स्थायी मूल्य बनाए रखने का कार्य करता है।
भारत का केंद्रीय बैंक RBI इस समय सोने के भंडार को मजबूत कर रहा है ताकि किसी भी संकट में भारतीय अर्थव्यवस्था को स्थिर रखा जा सके।
मार्च 2024 तक, भारत के कुल विदेशी मुद्रा भंडार में सोने का प्रतिशत मूल्य लगभग 8.15% था, जो कि सितंबर 2024 तक बढ़कर 9.32% हो गया। RBI के पास मार्च 2024 तक कुल 822.10 टन सोना था, जिसमें से 408.31 टन भारत में और 387.26 टन विदेश में बैंक ऑफ इंग्लैंड और बैंक फॉर इंटरनेशनल सेटेलमेंट्स (BIS) में सुरक्षित था।
इस वर्ष RBI ने इंग्लैंड से 100 टन सोना वापस मंगवाया और हाल ही में अक्टूबर में 102 टन और सोने की खेप भारत में लाई गई है।
अब कुल 854.73 टन सोने का लगभग 60% हिस्सा, यानी 510.46 टन, भारत में ही सुरक्षित है, जबकि शेष 324.01 टन BIS और बैंक ऑफ इंग्लैंड में सुरक्षित हैं।
इसके अलावा, 20.26 टन सोने को गोल्ड डिपॉजिट के रूप में रखा गया है। इस बढ़ते भंडार से भारत की मुद्रा और अर्थव्यवस्था को स्थिरता मिलेगी और किसी भी वैश्विक संकट से निपटने में सहूलियत होगी।
BRICS समूह, जिसमें ब्राजील, रूस, भारत, चीन, और दक्षिण अफ्रीका शामिल हैं, एक नई वैश्विक मुद्रा की संभावनाओं पर विचार कर रहा है। BRICS के देशों के साथ व्यापारिक लेन-देन में भारत की वित्तीय स्थिति मजबूत बनी रहे, इसके लिए RBI अपने सोने के भंडार को मजबूत कर रहा है। यह निर्णय वैश्विक आर्थिक समीकरणों में भारत को एक मजबूत स्थिति में रखने के उद्देश्य से लिया गया है।
अमेरिका में महंगाई तेजी से बढ़ रही है, जिससे वैश्विक मंदी की आशंका बढ़ी है। ऐसे में, RBI ने सोने को एक “हैज” के रूप में सुरक्षित रखने का निर्णय लिया है। मुद्रास्फीति के समय सोना एक स्थायी मूल्य रखता है, और यह कदम भारतीय अर्थव्यवस्था को बाहरी झटकों से बचाने में सहायक हो सकता है।
चीन की आर्थिक चुनौतियां, जैसे धीमी आर्थिक वृद्धि और बढ़ता कर्ज, वैश्विक बाजारों के लिए एक संभावित खतरा बन सकते हैं। इस अनिश्चितता के चलते RBI ने सोने का भंडार बढ़ाने का निर्णय लिया है ताकि भारतीय अर्थव्यवस्था इन अस्थिरताओं के प्रभाव से सुरक्षित रहे। चीन की आर्थिक स्थिति को देखते हुए यह कदम भारत के लिए एक महत्वपूर्ण आर्थिक सुरक्षा कवच का काम करेगा।
वर्तमान में इजराइल-ईरान, रूस-यूक्रेन, उत्तर कोरिया-दक्षिण कोरिया, और चीन-ताइवान के बीच भूराजनीतिक तनाव बढ़ा हुआ है। इन वैश्विक तनावों के कारण आर्थिक अस्थिरता का खतरा भी है। RBI द्वारा सोना वापस लाने का यह निर्णय भारत की आर्थिक सुरक्षा को मजबूत करने की दिशा में उठाया गया एक महत्वपूर्ण कदम है। यह संभावित वैश्विक संकटों के दौरान वित्तीय स्थिरता को बनाए रखने में सहायक हो सकता है।
भारत अपने व्यापारिक लेन-देन में रुपये के उपयोग को बढ़ावा देने की दिशा में कदम उठा रहा है। रुपये को एक मजबूत मुद्रा बनाने के लिए सोने का भंडार बढ़ाना जरूरी है। इससे विदेशी व्यापार साझेदारों के लिए रुपया अधिक भरोसेमंद बनेगा और भारत की व्यापारिक स्वतंत्रता को मजबूती मिलेगी।
RBI का यह कदम मौजूदा वैश्विक आर्थिक और राजनीतिक परिदृश्य को देखते हुए एक एहतियात मानी जा सकती है। अमेरिकी महंगाई और मंदी, चीन की धीमी होती अर्थव्यवस्था, और BRICS मुद्रा की संभावनाओं जैसे वैश्विक कारक इस निर्णय के पीछे हो सकते हैं। साथ ही, भूराजनीतिक तनावों का बढ़ना भी एक प्रमुख कारण हो सकता है। RBI का यह कदम भारत की वित्तीय स्थिति को मजबूत बनाए रखने के लिए एक एहतियाती कदम है ताकि किसी भी वैश्विक संकट में भारतीय अर्थव्यवस्था सुरक्षित और स्थिर रह सके।
यह कदम घरेलू बाजार को स्थिरता और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में मजबूती प्रदान करेगा। इसके अलावा, इससे यह भी स्पष्ट संकेत मिलता है कि भारत अपनी वित्तीय स्वतंत्रता को बढ़ाने और अप्रत्याशित वैश्विक संकटों से निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार है। सोने के इस भंडार से न केवल विदेशी मुद्रा भंडार की स्थिरता बनी रहेगी, बल्कि भविष्य में संभावित आर्थिक संकट के समय भी यह भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करेगा।
RBI का 102 टन सोना विदेश से वापस लाना एक बड़ा कदम है, जो भारत की वित्तीय स्थिरता और आर्थिक सुरक्षा को मजबूत करने के उद्देश्य से उठाया गया है। यह निर्णय इस बात का संकेत है कि भारत वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच अपनी अर्थव्यवस्था को सुरक्षित बनाए रखने की दिशा में अग्रसर है।
वैश्विक अस्थिरता के इस दौर में भारत का यह कदम एक मजबूत आर्थिक भविष्य की ओर संकेत करता है। समय के साथ यह कदम कितना कारगर साबित होगा, यह देखने वाली बात होगी, लेकिन फिलहाल यह निश्चित है कि भारत अपनी आर्थिक मजबूती और स्वतंत्रता को लेकर गंभीर है। RBI का यह निर्णय भारत के लिए एक नई आर्थिक दिशा की ओर संकेत करता है और इस बात का प्रमाण है कि केंद्रीय बैंक किसी भी अप्रत्याशित स्थिति से निपटने के लिए तैयार है।
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]]>The post Good News India – भारत ने इस मामले में चीन को छोड़ा पीछे, एशिया-यूरोप और अमेरिका appeared first on Chandigarh News.
]]>कभी मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में सबसे आगे रहने वाला चीन अब इस क्षेत्र में काफी पिछड़ता दिखाई दे रहा है। चीन की आर्थिक वृद्धि में आई सुस्ती के बीच भारत ने इस क्षेत्र में प्रभावशाली प्रदर्शन किया है। HSBC के ताजा आंकड़ों के अनुसार, अक्टूबर में भारत के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में उल्लेखनीय बढ़ोतरी देखी गई, जिससे भारत ने इस क्षेत्र में चीन को पीछे छोड़ दिया है।
भारत के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में वृद्धि का एक प्रमुख कारण विदेशी बाजारों से मिले ऑर्डर्स हैं। एशिया, यूरोप, लैटिन अमेरिका और अमेरिका जैसे विभिन्न देशों से भारत को अक्टूबर में नए ऑर्डर मिले, जिससे बिक्री में भी तेज वृद्धि हुई। इस मांग के कारण देश में मैन्युफैक्चरिंग का स्तर बढ़ा है और रोजगार के नए अवसर भी पैदा हुए हैं।
विदेशी मांग में वृद्धि से भारत के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को मजबूती मिली है, जिससे सेक्टर में नौकरियों की संख्या में भी इजाफा हुआ है। अक्टूबर के महीने में भारत में विभिन्न अंतरराष्ट्रीय बाजारों से पहले की तुलना में अधिक ऑर्डर आए, जिससे सेक्टर में तेजी देखी गई है।
HSBC इंडिया मैन्युफैक्चरिंग परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (PMI) के अनुसार, अक्टूबर में भारत का PMI 57.5 पॉइंट पर पहुंच गया, जो सितंबर में 56.5 पॉइंट था। PMI में आई यह वृद्धि दर्शाती है कि भारतीय मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर ने सुधार की दिशा में कदम बढ़ाए हैं। दूसरी ओर, चीन का PMI 50.30 पॉइंट पर स्थिर रहा, हालांकि चीन में भी अक्टूबर के महीने में PMI में हल्का सुधार हुआ है, परंतु भारत की तुलना में यह काफी पीछे है।
भारत का PMI 50 पॉइंट से अधिक है, जो कि वृद्धि का संकेत है, जबकि चीन का PMI 50 पॉइंट के आसपास होने से संकेत मिलता है कि चीन का मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर स्थिर बना हुआ है। भारत की इस बढ़त से साफ है कि भारतीय मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर ने चीन की तुलना में अधिक तेजी से सुधार किया है और वैश्विक मांग के अनुसार अपने उत्पादन को बढ़ाने में सफल रहा है।
पिछले कुछ वर्षों में भारतीय उत्पादों की मांग अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ी है। विभिन्न विदेशी कंपनियों ने भारत में बने उत्पादों में रुचि दिखाई है और ऑर्डर बुक किए हैं। पिछले 20 वर्षों में जितनी औसत ऑर्डर की संख्या थी, उससे भी अधिक संख्या में वर्तमान में ऑर्डर मिल रहे हैं। इसके पीछे नए उत्पादों की लॉन्चिंग और प्रभावशाली मार्केटिंग का भी बड़ा योगदान रहा है।
इस मांग के बढ़ने से भारत का मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर और मजबूत हुआ है। उत्पादों की इस लोकप्रियता ने भारत को अंतरराष्ट्रीय मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में एक मजबूत स्थान दिया है। साथ ही, भारत में निर्मित उत्पादों की गुणवत्ता और उनकी उचित कीमत भी इस बढ़ती मांग का एक बड़ा कारण है।
मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में मांग बढ़ने से रोजगार के अवसर भी बढ़े हैं। अक्टूबर में विभिन्न मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों ने अधिक कर्मचारियों को नौकरी दी है, जो कि सितंबर की तुलना में अधिक थी। यह डेटा दर्शाता है कि भारत का मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर न केवल उत्पादन में बल्कि रोजगार सृजन में भी योगदान दे रहा है।
अक्टूबर में दर्ज किए गए आंकड़ों के अनुसार, मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में रोजगार के आंकड़े पिछले 20 वर्षों में सबसे अधिक हैं। एचएसबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय मैन्युफैक्चरर्स अब भविष्य में उत्पादन की मात्रा को लेकर अधिक आशावादी हैं। इस आशावाद का सीधा असर आने वाले समय में उत्पादन और रोजगार पर पड़ सकता है, जिससे देश की आर्थिक स्थिति भी मजबूत हो सकती है।
HSBC की रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि भारतीय मैन्युफैक्चरर्स भविष्य में अपने उत्पादन को लेकर अधिक सकारात्मक दृष्टिकोण अपना रहे हैं। इस सकारात्मकता का मुख्य कारण अंतरराष्ट्रीय बाजारों से मिले नए ऑर्डर्स और घरेलू स्तर पर बढ़ती मांग है। भारत के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में आए इस बदलाव ने कंपनियों को अपने उत्पादन की गुणवत्ता और मात्रा में सुधार करने के लिए प्रेरित किया है।
रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय मैन्युफैक्चरर्स अब बेहतर उत्पादन क्षमता और नए उत्पादों के निर्माण पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। इससे न केवल भारत में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को गति मिलेगी, बल्कि अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भी भारतीय उत्पादों की प्रतिष्ठा में सुधार होगा।
चीन की धीमी वृद्धि दर के बीच भारत का मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर तेजी से उभर रहा है। HSBC के आंकड़ों के मुताबिक, अक्टूबर में भारत ने इस क्षेत्र में चीन को पीछे छोड़ दिया है। विदेशी मांग में आई वृद्धि, उत्पादों की बढ़ती लोकप्रियता, और रोजगार के नए अवसरों ने भारतीय मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को नई ऊंचाइयों पर पहुंचा दिया है।
इन सभी सकारात्मक बदलावों से भारत का मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर वैश्विक बाजार में अपनी पहचान बना रहा है, जो आने वाले समय में देश की आर्थिक मजबूती में सहायक सिद्ध हो सकता है।
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]]>The post Sudhir Mehta and Sameer Mehta – 5000 करोड़ रुपये दान कर शामिल हुए सबसे बड़े दानवीरों में सुधीर मेहता और समीर मेहता appeared first on Chandigarh News.
]]>Sudhir Mehta and Sameer Mehta – सुधीर और समीर मेहता जो की टोरेंट ग्रुप के संस्थापक है उन्होंने अपने पिता उत्तम्भाई नाथलाल मेहता की जनम शताब्दी पर 5,000 करोड़ रुपये दान करने का संकल्प लिया है. युएनऍम फाउंडेशन द्वारा शिक्षा,स्वास्थय देखभाल और कला को बढ़ावा देने के लिए इस दान का प्रबंध किया जायेगा.
रविवार के दिन इन् दो अरबपति भाइयों सुधीर और समीर मेहता ने अपने पिता उत्तम्भाई मेहता और टोरेंट ग्रुप के संथापना के जनम शताब्दी के अवसर पर समाज के लिए 5,000 करोड़ रुपये दान करने का संकल्प लिया.
यह कार्य करने की वजह से ये दो भाइयों की गिनती उन् अरबपतियों की केटेगरी में शामिल हो गयी है जिन्होंने अपनी सालो की संपत्ति का एक बहुत महत्वपूर्ण हिस्सा समाज की उन्नति के लिए समर्पित कर दिया है.
इस दान का प्रंबंध युएनऐम फाउंडेशन द्वारा कई सामाजिक कार्य जैसे शिक्षा, स्वास्थय देखभाल और कला को बढाने के लिए किया गया है. मेहता परिवार की संपत्ति में टोरेंट फार्म ग्रुप का बहुत बड़ा रोल है. क्यूंकि इस कंपनी की कीमत लगभग 5 अरब डालर है.
एक विज्ञप्ति के अनुसार युएंनऐम फाउंडेशन 1 अप्रैल से अगले 5 साल तक लगभग 5,000 करोड़ रुपये यानी की 600 मिलियन डालर का दान शुरू कर देंगे. सुधीर और समीर के पिता उत्तम्भाई नाथलाल मेहता ने इस कंपनी की स्थापना साल 1959 में की थी.
भारतीय सरकार ने इसी वर्ष बजाज ऑटो नाम की कंपनी को दो और तीन पहियों वाले वाहनों के निर्माण के लिए लाइसेंस दिया था और इसी वर्ष हम सबके प्यारे दूरदर्शन का शुभारम्भ हुआ था.
टोरेंट ग्रुप जो की अहम्दाबाद में स्थित है वह एक भारतीय बहुराष्ट्रीय समूह है. इस कंपनी की शुरुआत उत्तम्भाई नाथ्लाल मेहता ने की थी. और आज के समय में इससे उनके दो बेटे सुधीर और समीर मेहता द्वारा चलाया जा रहा है. इस कंपनी के मुख्य व्यवसाय फार्मास्यूटिकल, गैस और बिजली है.
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]]>The post Shark Tank Success Story – जिस आईडिया को शार्क टैंक ने नकार दिया, उसी से खड़ी कर दी करोड़ो की कंपनी कड़ी इस कपल ने appeared first on Chandigarh News.
]]>Shark Tank Success Story – दो लोगो की फूलो में दिलचस्पी होने की वजह से बना ये बिज़नस. जब निधि गुप्ता और अनुज भगत एक मेट्रिमोनियल साईट यानि की शादी डॉट कॉम पर मिले तो दोनों ने मिल कर बनाया शेड्स ऑफ़ स्प्रिंग नाम का स्टार्टअप. इस स्टार्टअप के लिए कभी भी शार्क टैंक के Judges ने फंडिंग नहीं दी थी परन्तु फिर आज के समय में ये स्टार्टअप कर रहा है पैसो की बारिश.
फूल हमेशा से ही हमारी मानव संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रहे है, यह मित्रता , प्रेम, सहानुभूति के रूप में हमेशा से हमारे हित में काम करते रहे है. जिस कारन निधि और अनुज को यह बिज़नस आईडिया पसंद आया और उन्होंने इस सालो पुराणी परंपरा को लोगो के सामने लाने के लिए यह बिज़नस बनाया.
इस कंपनी की शुरुआत निधि गुप्ता और अनुज भगत ने एक साथ मिलकर की थी. जब दोनों Shaadi.com पर मिले तो दोनों का फूलो के प्रति प्रेम इस बिज़नस मॉडल का ऑब्जेक्टिव बन गया.
शेड्स ऑफ़ स्प्रिंग न केवल ताज़े फूल बल्कि भिन्न – भिन्न प्रकार के फूलों की पेशकश करता है. जिन में इनके पास लगभग 500 से ज्यादा किस्म के फूल उपलभ्द है. अनुज और निधि के इस बिज़नस का एक और सबसे ख़ास नमूना है इनका फ्लैगशिप प्रोडक्ट जो एक DIY सब्सक्रिप्शन बॉक्स है.
कई संस्थापकों का यह दावा है की फूल काटने के 48- 72 घंटो के भीतर ही यह खेत से सीधे ग्राहकों के पास पहुंचा दिए जाते है. और साथ ही साथ ये फूल पुरे 7 दिनों के लिए ताज़ा रहते है. इससे निधि और अनुज ने मिलकर 2019 में शुरू किया था.
पीछे कुछ वर्ष 2021-22 में निधि और अनुज ने मिलकर पुरे 9 करोड़ रुपये का रेवेन्यू जेनरेट किया था और कंपनी की शुरुआत के पहले ही साल दोनों को 50 लाख रुपये की कमाई हुई थी. ग्रॉस मार्जिन भी कुल 29 फीसदी था.
ये नंबर्स कई लोगो को कम ज़रूर लग सकते है परन्तु ध्यान देने वाली बात यह है की इन्हें अपने टोटल रेवेनयु का 50 प्रतिशत सब्सक्रिप्शन बॉक्स से प्राप्त होता है. अब अगर मार्जिन की बात करी जाए तो 20 प्रतिशत इन्हें सब्सक्रिप्शन बॉक्स से और 40 प्रतिशत बूके से होता है.
अपने बिज़नस को और आगे तक पहुँचाने के लिए निधि और अनुज अपने आईडिया को शार्क टैंक इंडिया पर भी लेकर गए. दोनों ने मिलकर शार्क्स से 1 प्रतिशत इक्विटी के बदले 3 करोड़ रुपये की मांग की. इस से उनकी कंपनी की वैल्यू 300 करोड़ रुपये की हो गयी.
कई शार्क्स ने निधि और अनुज के इस बिज़नस मॉडल की खूब प्रशंसा की पर यही कुछ शार्क्स को कंपनी की इवैल्यूएशन को लेकर संदेह किया. अंत में निधि और अनुज के इस बिज़नस को कोई भी फंडिंग नहीं मिल पायी.
शेड्स ऑफ़ स्प्रिंग ने भारत के फ्लावर गिफ्टिंग इंडस्ट्री में अपनी एक अलग जगह बना ली है और साथ ही साथ इनके यूनिक और इनोवेटिव उत्पादों ने खुद को अपने प्रतिस्पर्धीयों से अलग स्थापित कर दी है. कुछ न्यूज़ रिपोर्ट्स के अनुसार Shades of Spring Company की एक्चुअल इवैल्यूएशन करीब 300 करोड़ रुपये है.
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